आध्यात्मिक सुख के आगे नगण्य है भौतिक सुख

 आस्था : अद्भुत और अतुलनीय भारत की महिमा पूरी दुनिया में फैली हुई है। दुनिया में दो ही तरह के लोग रहते हैं—एक वह जो आध्यात्मिक पद्धति से जीवन जीते हैं दूसरे वह लोग भौतिक सुख में डूबे हुए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि आध्यात्मिक सुख के आगे भौतिक सुख नगण्य है। और यह प्रायोगिक है कि भौतिक सुख में जीने वाले लोग कई बीमारियों से पीड़ित रहते हैं और अध्यात्मिक सुख में जीने वाले लोगों के माथे पर तेज, हष्ट—पुष्ट शरीर, विनम्रता, राष्ट्र से लगाव समेत कई बेहतरीन स्वभाव के स्वामी होते हैं। यदि आस्था की बात की जाये तो पुरातत्व के अवशेषों से पता चलता है, कि भगवान शिव बेबीलोन में भी मिलते थे। इसके अतिरिक्त विश्व के विभिन्न भागों में शिव भगवान की पूजा की जाती है और उनके भव्य मंदिर विद्यमान हैं। पाकिस्तान में भी महाभारत काल का एक शिव मंदिर है जिसे ‘कटासराज मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के बारे में यह कथा मशहूर है, कि सती दाह के पश्चात जब महादेव दुखी हो गए थे. तो उनके आंसुओं से दो कूँड़ों का निर्माण हुआ। एक को पुष्कर सरोवर तो दूसरा कटासराज मंदिर के स्थान पर है। पाकिस्तान के चकवाल शहर में स्थापित यह शिव मंदिर विश्व भर के हिंदुओं के लिए एक बहुत बड़ा तीर्थस्थल है। पहले तो पूरा भारत पाकिस्तान, अफगानिस्तान समेत कई देशों का समूह जम्बूद्वीप था, जहां सनातन विद्यमान थी, और आज भी पड़ताल की जाये तो सनातन धर्म की संस्कार सभी में मिलेंगे, लेकिन नाम और पंथ बदलने से सत्य को लोग झूठ में बड़ी होशियारी के साथ परिवर्तित करना चाह रहे हैं। वहीं नीदरलैंड की राजधानी एम्स्टर्डम के जुईदोस्त में लगभग 4000 एकड़ क्षेत्र में फैला ‘शिव हिन्दू मंदिर’ हिन्दू समुदाय की धार्मिक और आस्थिक भावनाओं की संतुष्टि करता है। पंचमुखी शिव की मूर्ति के साथ शिव परिवार के साथ अन्य देवताओं की भी प्राण प्रतिष्ठा इस मंदिर में की गई है। 2011 के जून माह से इस मंदिर में भक्तों का दिन-रात आवागमन लगा रहता है। इस मंदिर की विशेष बात यह है, कि यह मंदिर भक्तों के लिए 365 दिन और चौबीस घंटे खुला रहता है। इस मंदिर में प्रसाद बनाने की अलग व्यवस्था है और मंदिर की देख-रेख के लिए हर समय पुजारी की भी व्यवस्था है। 
मलेशिया के एक राज्य जोहोर की राजधानी बरु मलय देश के दक्षिणी छोर पर स्थित है। इस स्थान के प्रसिद्ध स्थलों में एक तो सुलतान अबूर बकर का 1866 में बनाया शाही महल है, जो अब म्यूज़ियम के रूप में दर्शकों को लुभा रहा है। दूसरा 1922 में सुल्तान अबूर बकर द्वारा ही बनाया गया एक हिन्दू मंदिर है, जो अरुल्मिगु श्रीराजाकलीअम्मन मंदिर के नाम से जाना जाता है। जोहोर बरु के सबसे पुराने मंदिरों में से एक मंदिर होने के कारण इस मंदिर की न केवल हिन्दू शिव भक्तों के बीच बल्कि प्रत्येक आस्थावान के लिए दर्शनीय है। इस मंदिर की विशेषता इसकी सजावट है जिसके लिए 3 लाख सच्चे मोतियों का इस्तेमाल किया गया है। श्रीलंका के पुत्तलम डिस्ट्रिक्ट में जहाँ तमिल और सिंहली प्रजातियों का मिलाजुला संगम है, इसी स्थान पर रामायण काल का शिव भगवान का एक प्रसिद्ध मंदिर है, जो ‘मुन्नेस्वरम मंदिर’ के नाम से जाना जाता है। 1000 वर्ष ईसा पूर्व स्थापित यह मंदिर राम-रावण युद्ध पश्चात श्री राम द्वारा शिव पूजा के लिए बनाया गया था। वर्तमान समय में इस मंदिर में शिव पूजन के अतिरिक्त कुछ बौद्ध मंदिर भी निर्मित किए गए हैं। स्विट्जरलैंड में हिन्दू धर्म और सभ्यता का बहुत आस्था से निर्वाह होता है। इस बात के प्रतीक स्विट्जरलैंड के विभिन्न हिन्दू मंदिर हैं, जहाँ पूरी आस्था और श्रद्धा से पूजा और अर्चना की जाती है। ज्यूरीख का ‘शिवा टैंपल” इस बात का साक्षी है, कि यहाँ हर धर्म का सम्मान किया जाता है। इस मंदिर के गर्भ गृह में शिव लिंग के साथ ही शिव का नटराज स्वरूप और देवी पार्वती की मूर्ति की स्थापना की गयी है। महाशिवरात्री हो या सावन के सोमवार, यहाँ शिव भक्त पूरी आस्था से अपनी पूजा अर्चना करते दिखाई देते हैं।

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