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तीन दिन में तीन राशियों के परिवर्तन से तीन राशि के जातकों की चमकेगी किस्मत

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ज्योतिष। पृथ्वी के चलायमान होने चलते नित नये परितर्वन ब्रह्मांड में होते रहते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 16 अक्टूबर 2022 को मंगल मीन राशि में परिवर्तन करेंगे। 17 अक्टूबर को सूर्य राशि परिवर्तन करेंगे, 17 सितम्बर 2022 को अपनी सिंह राशि से निकलकर बुध की राशि कन्या में गोचर कर रहे हैं सूर्य। वहीं 18 अक्टूबर को शुक्र राशि परिवर्तन करेंगे, बीते 24 सितम्बर को कन्या राशि में गोचर हुए थे शुक्र। पंडित कामता प्रसाद मिश्र ने बताया कि इस तरह तीन राशियों मंगल, सूर्य और शुक्र के राशि परिवर्तन से तीन राशि के जातकों का भाग्य उदय होने वाला है, जातकों की चमकेगी किस्मत।   मेष : धनागम के नये स्रोत बनेंगे। आर्थिक समस्याओं से छुटकारा मिलेगा। जीवनसाथी के साथ समय व्यतीत करेंगे। जीवनसाथी के साथ बेहतर समय व्यतीत करेंगे। नौकरीपेशा लोगों के लिए भी ये समय शुभ रहेगा।   वृश्चिक : इस राशि के जातकों के लिए यह समय किसी वरदान से कम नहीं कहा जा सकता है। दाम्पत्य जीवन सुखमय रहेगा। कार्यों में सफलता मिलेगी, आर्थिक पक्ष मजबूत होगा, निवेश करने से लाभ हो सकता है।   मीन : कार्यक्षेत्र में जातक द्वारा किए ...

आज रात पृथ्वी के सबसे नजदीक रहेंगे गुरु बृहस्पति

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 107 साल बाद 2129 में बनेगा ऐसा दुर्लभ संयोग    ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार आज की रात यानि 26 सितम्बर 2022 की रात बेहद खास है। गुरु ग्रह बृहस्पति 59 साल बाद पृथ्वी के सबसे करीब आने वाले है।  जानकारों के अनुसार आज के बाद यह दुर्लभ संयोग 107 साल बाद 2129 में बनेगा। इस खगोलीय घटना के दौरान बृहस्पति और पृथ्वी के बीच सिर्फ 59.1 करोड़ किलोमीटर की दूरी होगी। बृहस्पति जब पृथ्वी से सबसे दूर होता है, तब यह दूरी 96.5 करोड़ किलोमीटर होती है। गौरतलब है कि गुरु बृहस्पति हर 13 महीने में पृथ्वी के करीब आता है, लेकिन कभी इतना नजदीक नहीं होता। पंडित कामता प्रसाद मिश्र के अनुसार बृहस्पति के निकट आने से मीन, धनु और कन्या राशि वाले जातकों को अधिक लाभ होगा।वहीं अच्छी बारिश होने के योग हैं। बता दें कि देवगुरु बृहस्पति को धन, वैभव, ऐश्वर्य और सुख-सम्पदा आदि का कारक माना गया है। मौजूदा समय में गुरु ग्रह मीन राशि में गोचर कर रहे हैं, गुरु 29 जुलाई को मीन राशि में वक्री हुए थे। अब 24 नवम्बर 2022 को फिर से मार्गी होंगे। बृहस्पति को टेलिस्कोप या दूरबीन के माध्यम से देखा जा सकता है। रोज की तुलना मे...

59 साल बाद ग्रहों का अनोखा और विलक्षण संयोग

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ज्योतिष। शस्त्र के अनुसार 24 सितम्बर 2022 को 59 वर्ष बाद अनोखा और विलक्षण संयोग बन रहा है। इस दिन गुरु बृहस्पति और शनि वक्री अवस्था में रहेंगे व शुक्र ग्रह राशि परिवर्तन करेंगे। धन व ऐश्वर्य का कारक ग्रह शुक्र कन्या राशि में 24 सितम्बर को रात सवा नौ बजे गोचर होंगे। बता दें, कन्या राशि में ग्रहों के राजा सूर्य पहले से ही विराजमान हैं। पंडित कामता प्रसाद मिश्र के अनुसार शुक्र के राशि परिवर्तन से सभी राशि के जातकों पर प्रभाव पड़ेगा, लेकिन पांच राशियों के लिये शुक्र का परिवर्तन विशेष लाभकारी सिद्ध होगा- वृष : इस दौरान वृष राशि के जातकों के जीवन पर अच्छा प्रभाव पड़ने वाला है। नौकरी में पदोन्नति के योग हैं। इस राशि के जातकों को व्यापार में मुनाफा के कई योग दिख रहे हैं। वहीं नौकरी पेशा जातकों को कार्य स्थल में काम की वाहवाही मिलेगी। मिथुन : मिथुन राशि में हंस नाम का राजयोग बन रहा है। ऐसे में इस राशि के जातकों को नौकरी और व्यापार में अपार सफलता मिलेगा। इसके साथ ही धन लाभ के पूर्ण आसार हैं, समाज में मान-सम्मान बढ़ेगा, व्यवसाय में वृद्धि के योग। कन्या : इस राशि के लिये दुर्लभ संयोग अच्छा साब...

वक्री हैं बृहस्पति, 3 राशियों की चमकेगी किस्मत

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ज्योतिष। शास्त्रों के अनुसार महर्षि अंगिरा के सबसे ज्ञानी पुत्र ऋषि बृहस्पति थे। महाभारत के आदिपर्व के अनुसार बृहस्पति महर्षि अंगिरा के पुत्र तथा देवताओं के पुरोहित हैं। बता दें कि मौजूदा समय में देवगुरु बृहस्पति 12 साल बाद अपनी स्वराशि मीन में वक्री हुए हैं, यानी गुरु ग्रह उल्टी चाल चल रहे हैं। गुरु बीते 29 जुलाई से वक्री हैं और 23 नवम्बर 2022 तक मीन राशि में वक्री रहेंगे। गुरु बृहस्पति के वक्री होने का प्रभाव तीन राशियों के लिए बेहद शुभ रहेगा— वृष : बृहस्पति देव अपनी राशि से 11वें स्थान में वक्री हुए हैं। वृष राशि वालों के लिये भौतिक सुख-सुविधाओं में वृद्धि होगी। सेहत अच्छी रहेगी। कार्यक्षेत्र में मान-सम्मान मिलेगा। नौकरी की तलाश करने वाले जातकों को शुभ समाचार मिल सकता है। आय के नए साधन खुलेंगे। व्यापारियों को मुनाफा होगा। मिथुन : मिथुन राशि वालों के लिए पैसे व करियर से सम्बन्धित सभी समस्याएं हल होंगी। पेशेवर रूप से जातक का विकास तेजा होगा। धनागम के नये मार्ग प्रशस्त होंगे, दाम्पत्य जीवन सुखमय रहेगा। कर्क : गुरु वक्री होने से कर्क राशि के जातकों को भाग्य का साथ मिलेगा, व्यापारियो...

17 सितम्बर को है कन्या संक्रांति, करें सूर्यदेव की पूजा

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ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार 12 संक्रांतियां होती हैं। इनमें दो संक्रांति खास होती है-पहला कुम्भ संक्रांति, जो बीते 13 फरवरी 2022 को था और दूसरा कन्या संक्राति। अश्विन माह में पड़ने वाली संक्रांति को कन्या संक्रांति कहा जाता है। 17 सितम्बर 2022 को सूर्य सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। इसलिए इसे कन्या संक्रांति कहा जाता है। कन्या राशि में सूर्य एक महीने तक विचरण करेंगे। बता दें कि सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि में परिवर्तन संक्रांति कहलाता है। हर महीने 30 दिन बाद सूर्य एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। इस दौरान सूर्य की पूजा आराधना करने से मनवांछित परिणाम मिलता है। संक्रांति के दिन पुण्य काल का मुहूर्त सुबह 7 बजकर 36 मिनट से लेकर दोपहर 2 बजकर 8 मिनट तक है और महापुण्यकाल का मुहूर्त प्रात: 7 बजकर 36 मिनट से प्रात: 9 बजकर 38 मिनट तक है। इस दिन सूर्य सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में सुबह 7 बजकर 36 मिनट पर प्रवेश करेंगे। कन्या संक्रांति के दिन आदित्यह्दयस्त्रोत का पाठ करना चाहिए। सूर्य देव को अर्घ्य देते समय जल में कुमकुम, लाल फूल, इत्र आदि चीजों को शामिल करें, ऐ...

अनंत चतुर्दशी पर सुकर्मा और रवि योग का अद्भुत संयोग

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ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार अनंत चतुर्दशी 9 सितम्बर 2022 को है, इस बार अनंत चतुर्दशी पर बेहद ही शुभ योग बन रहा है, जिससे विष्णु भगवान की पूजा से मनवांछित परिणाम मिलेंगे। अनंत चतुर्दशी के दिन भगवान विष्णु के अनंत रूपों की पूजा की जाती है और अनंद चतुर्दशी इसलिये भी खास होता है कि इस दिन धूमधाम से गणपति बप्पा को विदाई भी की जाती है। इस वर्ष अनंत चतुर्दशी पर सुकर्मा और रवि योग बन रहे हैं। मान्यता है कि सुकर्मा योग में कोई भी शुभ कार्य करने से जरूर सफलता मिलती है, वहीं, रवि योग में भगवान विष्णु की पूजा करने से सभी पापों से छुटकारा मिलता है। सुकर्मा योग 8 सितम्बर 2022 को रात 9 बजकर 41 मिनट से शुरू हो रहा है और 9 सितम्बर 2022 को शाम 6 बजकर 12 मिनट तक रहेगा। वहीं, रवि योग 9 सितंम्बर को सुबह 6 बजकर 10 मिनट से सुबह 11 बजकर 35 मिनट तक रहेगा।

23 अक्टूबर को मार्गी होंगे शनि, वृष, कन्या और धनु को मिलेगा लाभ

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ज्योतिष। शास्त्रों के अनुसार 5 जून 2022 को शनिदेव मकर राशि में वक्री हुए थे, 141 दिन वक्री रहने के बाद शनि 23 अक्टूबर 2022 को मार्गी हो जाएंगे। वहीं 17 जनवरी 2023 को अपनी स्वराशि कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे। शनि के कुम्भ राशि में प्रवेश करने से धनु राशि वालों को शनि की साढ़ेसाती से मुक्ति मिलेगी और मिथुन व तुला राशि वालों को शनि ढैय्या से मुक्ति मिलेगी। मौजूदा समय में शनि मकर राशि में संचार कर रहे हैं, इस कारण मिथुन और तुला राशि वालों पर शनि ढैय्या चल रही है। वहीं, कुम्भ, धनु व मकर राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है। शनि के मार्गी होने से वृष, कन्या और धनु राशि वालों के लिए शनि का मार्गी होना शुभ रहेगा। इस दौरान जातक की आर्थिक स्थिति में सुधार होगा, धन प्राप्ति के योग बनेंगे। मान्यता है कि वक्री होने पर शनि की चाल धीमी हो जाती है और कहा यह भी जाता है कि शनि के वक्री होने पर वह पीड़ित हो जाते हैं। शनि देव हर व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। दरअसल शनि देव को परिश्रम का कारक माना गया है। कुंडली का 10वां भाव, कर्म का माना गया है। कुंडली के दशम भाव के स्वामी शनि देव ...

एक माह तक मालामाल रहेंगे तीन राशि के जातक

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ज्योतिष। शास्त्रों में सूर्य को विशेष स्थान प्राप्त है। सूर्य से ही इस धरती पर जीवन है। यजुर्वेद ने "चक्षो सूर्यो जायत" कह कर सूर्य को भगवान का नेत्र माना है। छान्दोग्यपनिषद में सूर्य को प्रणव निरूपित कर उनकी ध्यान साधना से पुत्र प्राप्ति का लाभ बताया गया है। 17 अगस्त को कर्क राशि से निकलकर सिंह राशि में प्रवेश कर रहे हैं सूर्य। सूर्यदेव देर रात 1 बजकर पांच मिनट पर कर्क राशि से सिंह राशि में गोचर करेंगे। सूर्य इस राशि में 17 सितम्बर 2022, शुक्रवार देर रात 1 बजकर 2 मिनट तक रहेंगे और फिर गोचर करते हुए कन्या राशि में विराजमान हो जाएंगे। ग्रहों के राजा सूर्य के राशि परिवर्तन करने से कुछ राशि वालों के लिये शुभ योग और एक महीने तक मालामाल रहने के आसार हैं- मिथुन : इस राशि वालों की आर्थिक उन्नति होगी। धन संचय में सफल रहेंगे। पारिवारिक समस्याओं से मुक्ति मिलेगी। शुभ समाचार मिल सकते हैं। यह समय शुभ साबित होगा। इस दौरान आपको कार्यक्षेत्र में सफलता मिल सकती है। परिवार के सदस्यों का सहयोग मिलेगा।  सिंह : इस राशि के जातकों को शुभ समाचार मिलेगा। सरकारी नौकरी करने वाले जातकों के लिए समय उ...

त्योहारों का महीना भाद्रपद मास शुरू

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ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार 12 अगस्त 2022 दिन शुक्रवार को प्रात: 7 बजकर 5 मिनट से सावन माह समाप्त होने के साथ भाद्रपद महीने की शुरुआत हो गयी है। भाद्रपद महीना चातुर्मास का दूसरा माह है। इस भाद्रपद महीने में श्री​कृष्ण जन्माष्टमी 18 अगस्त, गणेश चतुर्थी, राधा अष्टमी, अनंत चतुर्दशी, कजरी तीज, भाद्रपद अमावस्या, भाद्रपद पूर्णिमा, प्रदोष व्रत व मासिक शिवरात्रि  जैसे व्रत और त्योहार पड़ रहे हैं। मान्यता है कि भाद्रपद पूर्णिमा के दिन गंगा या नर्मदा जैसी पवित्र नदी में स्नान करने से भक्तों को भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण पूजा आयोजित की जाती है। इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों के लिए अनाज, दालें, नमक खाना वर्जित है। भाद्रपद पूर्णिमा का दिन ‘महा मृत्युंजय हवन’ करने की भी परम्परा है। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन लोग अम्बा देवी मंदिर में देवी को प्रसन्न करने के लिए लोक नृत्य करते हैं ताकि श्रद्धालुओं को अच्छा स्वास्थ्य और समृद्धि मिले। भाद्रपद माह में गुड़, दही और उससे बनी चीजों का सेवन नुकसानदायक माना गया है क्योंकि इससे पेट सम्बन्धी समस्याएं हो सकती हैं। भाद्र...

पांच राशियों के लोग होंगे मालामाल

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ज्योतिष। शास्त्रों के अनुसार शुक्र का सम्बन्ध भौतिक सुविधाओं के साथ ही प्रेम और सौंदर्य से माना जाता है। इनके राशि परिवर्तन करने से कई जातकों के जीवन में शुभ प्रभाव पड़ते हैं। शुक्र का कर्क राशि में गोचर 7 अगस्त, रविवार को होने जा रहा है और 31 अगस्त तक शुक्र इसी राशि में रहेंगे। राखी से पहले ही शुक्र राशि परिवर्तन करके कई राशियों को लाभ और खुशियां देने वाले योग बन रहे हैं। शुक्र ग्रह को प्रेम व अन्य भौतिक सुखों के कारक के रूप में जाना जाता है। शुक्र ग्रह के राशि परिवर्तन करने से सभी राशियों पर इसका असर देखा जा सकता है- मेष : इस राशि के जातक वाहन खरीदना चाहते थे उनका सपना शुक्र ग्रह अगस्त माह में पूरा कर सकते हैं। चतुर्थ भाव में शुक्र ग्रह का गोचर होगा। यह भाव जातक की सुख-सुविधाओं, वाहन, माता आदि का कारक भाव माना जाता है। इस भाव में शुक्र के गोचर से जातक के जीवन में सकारात्मकता देखने को मिल सकती है। मिथुन : अगस्त माह में जातक की वाणी में शुक्र देव मिठास घोल सकते हैं जिससे सामाजिक स्तर पर जातक की ख्याति बढ़ सकती है। इस राशि से द्वितीय भाव में शुक्र ग्रह संचार करेंगे इसलिए पारिवारिक सु...

तीन राशियों के लिये उत्तम रहेगा सावन का तीसरा शनिवार

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ज्योतिष। 30 जुलाई 2022 को सावन का तीसरा शनिवार है। सावन महीने में शिव के साथ शनिदेव की पूजा अति फलदायी मानी गई है। मान्यता है कि सावन में पड़ने वाले शनिवार को शनिदेव की पूजा करने से शनिदोष का प्रभाव कम होता है। जिन राशियों पर शनिदेव की कृपा दृष्टि होती है, उनके काम जीवन में आसानी से हल होते हैं। बता दें कि शनिदेव की तीन प्रिय राशियां हैं- तुला : इस राशि के जातकों पर शनिदेव की विशेष कृपा रहती है। शनिदेव की कृपा से तुला राशि के जातकों का जीवन सुख-सुविधाओं भरा रहता है। तुला राशि में शनिदेव उच्च के होते हैं। तुला राशि वालों को शनिदेव की कृपा से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस राशि के जातक प्रतिभाशाली माने जाते हैं।  मकर : शनिदेव की विशेष कृपा से मकर राशि वालों को हर काम में सफलता हासिल होती है। मकर राशि के जातकों को परिश्रमी माना जाता है। इस राशि के जातकों का दाम्पत्य जीवन खुशहाल रहता है। इस राशि के जातक भाग्यशाली माने गए हैं। मकर राशि के स्वामी ग्रह स्वयं शनिदेव हैं। कुम्भ : शनिदेव की दूसरी राशि कुम्भ है। इस राशि पर शनिदेव हमेशा अपनी कृपा बरसाते हैं। शनिदेव की कृपा से इस राशि के ज...

मोती धारण करने से बनी रहती है मां लक्ष्मी की कृपा

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  ज्योतिष। रत्न शास्त्र  के अनुसार, मेष, कर्क, वृश्चिक और मीन राशि के लोगों के लिए मोती काफी अच्छा माना जाता है। मोती रत्न चंद्रमा का प्रतिनिधित्व करता है। चंद्रमा मन का कारक ग्रह होता है। मन को स्थिर, शांत और नकारात्मकता को खत्म करने के लिए मोती जरूर पहनना चाहिए। मोती धारण करने से आत्मविश्वास में बढ़ोत्तरी होती है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। बता दें कि किसी की कुंडली में चंद्रमा नीच का हो तो मोती धारण नहीं करना चाहिए। मोती पहनने से मां लक्ष्मी की कृपा हमेशा बनी रहती है। वहीं जिन लोगों को गुस्सा अधिक आता है, उन्हें मन शांत करने के लिए जरूर मोती धारण करना चाहिए।  मोती को चांदी की अंगूठी में हाथ की सबसे छोटी अंगुली में शुक्ल पक्ष के सोमवार को रात में पहनना चाहिए। रात के समय मोती धारण करने से उसकी शक्तियां बढ़ जाती हैं। इसके अलावा मोती को पूर्णिमा की रात को भी पहना जा सकता है। मोती की अंगूठी को पंचामृत में डूबाकर गंगाजल से धोकर साफ करने के बाद ही धारण करें। मालूम हो कि मोती रत्न गोल और सफेद रंग का होता है। कई जगहों पर यह हल्के गुलाबी रंग का भी पाया जाता है। मोती समुद्र ...

हरियाली अमावस्या पर पुष्य योग का दुर्लभ संयोग, सोना खरीदना बेहद शुभ

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ज्योतिष। श्रावण या सावन के पवित्र महीने के दौरान होने वाली पूर्णिमा को हरियाली अमावस्या के रूप में जाना जाता है और इसे अति शुभ माना जाता है। सावन महीने की अमास्या को हरियाली अमावस्या कहते हैं। इस अमावस्या तिथि को पितरों की प्रसन्नता और देवों की कृपा पाने के लिए वृक्षारोपण करने की परम्परा है। इस बार यानि अमावस्या तिथि पर दीपावली के समान शुभ योग बना है। पुराणों में हरियाली अमावस्या का महत्व वर्णित हैं। माना जाता है कि हरियाली अमावस्या पर शिवजी की पूजा पितृ स्वरूप में की जाती है। इससे पितृ दोष से मुक्ति मिलती है। हरियाली अमावस्या की तिथि के प्रकृति से सम्बन्धित भी माना जाता है। हरियाली अमावस्या के दिन पीपल की पूजा करके इसके फेरे लिए जाते हैं और मालपुओं का भोग लगाया जाता है। इस दिन पीपल, बरगद, केला, नीबू, तुलसी आदि का वृक्षारोपण करना अतिशुभ माना जाता है। दरअसल वृक्षों की प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करने के पर्व के रूप में भी हरियाली अमावस्या को जाना जाता है। हरियाली अमावस्या 27 जुलाई दिन बुधवार को रात 9 बजकर 11 मिनट से होगी, जो बृहस्पतिवार रात यानि 28 जुलाई की रात 11 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। ...

बेहद शुभ फलदायी है शिवरात्रि और मंगला गौरी व्रत

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ज्योतिष। हर महीने की चतुर्दशी को शिवरात्रि मनाई जाती है। सावन के शिवरात्रि का विशेष महत्व होता है। इस साल यानि 2022 में शिवरात्रि 26 जुलाई को है। इस साल श्रावण माह में शिवरात्रि और मंगला-गौरी व्रत एक ही दिन पड़ रहे हैं, जो बेहद शुभ संयोग है। मंगला-गौरी व्रत सावन महीने के सभी मंगलवार को रखा जाता है। मंगला-गौरी व्रत रखने से माता पार्वती और भगवान शंकर दोनों प्रसन्न होते हैं। यह संयोग कई वर्षों बाद बन रहा है। सावन महीने की शिवरात्रि 26 जुलाई की सायं 6:45 बजे से शुरू होकर 27 जुलाई की रात 9:10 बजे तक रहेगी। इस तरह भगवान शिव का जलाभिषेक 26 और 27 जुलाई दोनों ही दिन करने पर फलदायी रहेगा। मान्‍यता अनुसार शिवरात्रि के दिन चारों प्रहर की पूजा करने से पुरुषार्थ, धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष मिलता है। श्रावण शिवरात्रि की पूजा के लिए सबसे उत्‍तम मुहूर्त सायं 6:30 से 7:30 बजे तक रहेगा। बता दें कि सावन माह के दूसरे मंगलवार को खास संयोग बनने के कारण भक्तों पर भगवान शिव के साथ हनुमान जी की भी विशेष कृपा रहेगी। सावन माह का दूसरा मंगलवार तीन राशियों के जातकों का अमंगल दूर करेगा। वृष : इस राशि के जातकों के लिए...

आखिर कौन हैं तीन शक्तिशाली राशियां!

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ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार कुल 12 राशियां होती हैं और इन्हीं राशियों के आधार पर भविष्यफल निकाला जाता है। इन बारहों राशियों में से 3 राशियां ऐसी हैं जो सबसे अधिक शक्तिशाली राशियां हैं- मेष : इस राशि के स्वामी मंगल हैं, मेष राशि के जातक पर भगवान भोलेनाथ बहुत मेहरबान रहते हैं। मेष राशि के जातक तेजी से काम करने वाले, आशावादी और आत्मकेंद्रित होते हैं। राशि चक्र की प्रथम राशि होने के कारण ये शिशु की तरह मासूम होते हैं। इनका प्रतीक मेढ़ा होता है, जो निडर और साहसी होता है। इस राशि के जातक हमेशा अपना जीवन अपनी शर्तों पर जीना पसंद करते हैं। इस राशि के जातक मिलनसार होते हैं और बेहद ताकतवर होते हैं। सिंह : शास्त्रों में जिस तरह ग्रहों का राजा सूर्य को माना है उसी तरह सिंह राशि के जातक भी राजा से कम नहीं होते। सिंह राशि के स्वामी सूर्य हैं। ये साहसी, दृढ़-निश्चयी और शाही अंदाज वाले होते हैं। वहीं सिंह राशि की लड़कियां सुंदर और आस्‍थवान होती हैं। ऐसी लड़कियों के जीवन में पैसा और करियर अहम होता है। इनकी मांगें कभी पूरी नहीं होती है। जल्‍द सच्‍चे प्‍यार में पड़ती नहीं हैं। सिंह राशि के जातकों से लोग...

धन समृद्धि के लिए शुभ फलदायी माना जाता है 'गुरु पुष्य योग'

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ज्योतिष। शास्त्रों में बृहस्पति को पुष्य नक्षत्र का स्वामी माना गया है। ऐसे में इस नक्षत्र की शुरुआत गुरुवार को हो रही है, जिससे 'गुरु पुष्य योग' बना रहा है। यह गुरु पुष्य योग श्रावण अमावस्या को बन रहा है जो कि लोगों को धार्मिक और आर्थिक लाभ पहुंचाएगा। गुरु पुष्य का योग सभी कार्यों के लिए अति शुभ होता है। इस दिन लक्ष्मी व ज्ञान प्राप्ति के लिए साधक श्रीयंत्र का पूजन और मंत्र की सिद्धि करते हैं। पुष्य नक्षत्र में स्वर्ण खरीदने का प्रचलन इसलिए है, क्योंकि इसे शुद्ध, पवित्र और अक्षय धातु के रूप में माना जाता है और पुष्य नक्षत्र पर इसकी खरीदी अत्यधिक शुभ होती है। इस नक्षत्र में वाहन, भवन, भूमि और बहीखाते खरीदना भी शुभ होता है। 27 नक्षत्रों में आठवां नक्षत्र है पुष्य। सभी नक्षत्रों में इस नक्षत्र को सबसे अच्छा माना जाता है। सभी नए सामान की खरीदारी, सोना, चांदी की खरीदारी के लिए पुष्य नक्षत्र को सबसे पवित्र इसलिये माना जाता है क्योंकि चंद्रमा धन के देवता हैं, चंद्र कर्क राशि में स्वराशिगत माना जाता है। बारह राशियों में एकमात्र कर्क राशि का स्वामी चंद्रमा है और पुष्य नक्षत्र के सभी च...

24 जुलाई को कामिका एकादशी पर द्विपुष्कर योग का शुभ संयोग

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  ज्योतिष : श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को कामिका एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इस साल यानि 2022 में कामिका एकादशी 24 जुलाई दिन रविवार को मनाया जाएगा। सावन मास में पड़ने वाली एकादशी का विशेष महत्व होता है। इस दिन पूजा करने से भगवान विष्णु के साथ भोलेनाथ का भी आशीर्वाद मिलता है। इस साल कामिका एकादशी पर द्विपुष्कर योग का शुभ संयोग बन रहा है। द्विपुष्कर योग रात 10:00 बजे से अगले दिन सुबह 05:38 बजे तक रहेगा। ज्योतिष  शास्त्र के अनुसार द्विपुष्कर योग में किए गए कार्य में दोगुना वृद्दि होती है। मान्यता  है कि द्विपुष्कर योग में बहुमूल्य चीजें खरीदना शुभ होता है। इसके अलावा कामिका एकादशी के दिन वृद्धि व ध्रुव योग बन रहे हैं। द्विपुष्कर, वृद्धि व ध्रुव योग को बेहद शुभ योगों में गिना जाता है। इस अवधि में किए गए कार्यों में सफलता हासिल होती है। शास्त्रों के अनुसार वृद्धि योग में की गई पूजा-पाठ से मिलने वाले पुण्य में वृद्दि होती है, साथ ही इस योग में किए गए कार्यों में भी वृद्दि होती है। कामिका एकादशी व्रत के बारे में भगवान ​श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताया था​ कि इस व्रत...

44 दिन तक चार राशियों पर रहेगी 'मंगल' की विशेष कृपा, जातक होंगे मालामाल

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ज्योतिष। लाल ग्रह यानि 'मंगल' 27 जून 2022 को स्वयं की राशि मेष में प्रवेश करेंगे। मेष राशि में मंगल 10 अगस्त 2022 तक विराजमान रहेंगे। इस दौरान चार राशि के जातकों को विशेष धन लाभ होने वाला है। वैज्ञानिक दृष्टिकोण से हमारे सौरमंडल में मंगल सूर्य से 14.2 करोड़ मील दूर स्थित है। धरती सूर्य से 9.3 करोड़ मील की दूरी पर है। ज्ञात हो कि मंगल का मेष और वृश्चिक राशि पर आधिपत्य है। मेष : इस राशि के जातक इस दौरान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं। मंगल का ये गोचर नौकरीपेशा के लिए भी लाभकारी है। कार्यस्थल पर काम की तारीफ होगी। इस अवधि यानि 27 जून से 10 अगस्त तक में करियर में अच्छे परिणाम देखने को मिलेंगे। मिथुन : इस राशि के जातकों के लिए गोचर भी लाभकारी रहने वाला है। आमदनी में बढ़ोत्तरी होगी। पदोन्नति के प्रबल आसार हैं। नई नौकरी के लिये नये रास्ते खुलेंगे। सिंह : इस राशि के जातकों को एक नहीं, कई स्रोतों से धन की वृद्धि होगी। स्वास्थ्य उत्तम रहेगा। नौकरी व व्यवसाय में सफलता मिलेगी। निवेश के लिए अनुकूल समय।  तुला : इस राशि के जातकों को व्यवसाय में अच्छा मुनाफा मिलेगा। करियर के लिए अच्छा समय, आमदनी...

कर्क व वृश्चिक राशियां शनि ढैय्या से पीड़ित

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ज्योतिष। शनि को सबसे धीमी गति का ग्रह माना गया है। यही कारण है कि शनि को एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करने में ढाई साल का समय लगता है। 5 जून 2022 को सुबह 3:16 बजे शनिदेव वक्री हुये थे। वक्री शनि अब 141 दिन बाद मार्गी होंगे। शनि 23 अक्टूबर 2022, रविवार को प्रात: 9 बजकर 37 मिनट पर मार्गी होंगे। यानी शनि फिर से अपनी सीधी चाल शुरू करेंगे। मौजूदा समय में कर्क व वृश्चिक राशियां शनि ढैय्या से पीड़ित हैं। मकर, कुम्भ व मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती का प्रभाव है। ऐसे में इन राशियों के जातकों को शनि की वक्री अवस्था के दौरान विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है। शनिदेव वृष, कन्या और धनु राशि वालों के लिए शुभ साबित हो सकते हैं। शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए शनिवार के दिन शनि मंदिर में शनि से सम्बन्धित वस्तुओं का दान करना चाहिए। शनि चालीसा का पाठ जरूर करना चाहिए। तुला राशि शनि देव की सबसे प्रिय राशि मानी जाती है। इस राशि के जातक बहुत ही सच्चे और ईमानदारी से जीवन व्यतीत करने वाले होते हैं। माना जाता है कि इस राशि के लोगों पर शनि की विशेष कृपा बनी रहती है। बता दें कि ग्रह दो तरह से गति करते हैं—म...

आषाढ़ माह से ही शुरू होता है चतुर्मास, पूर्णिमा का खास महत्व

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ज्योतिष। 15 जून 2022 दिन बुधवार से आषाढ़ माह शुरू हो रहा है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को बहुत ही खास माना जाता है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा तिथि को ही गुरु पूर्णिमा, व्यास पूर्णिमा का पर्व मनाया जाता है। आषाढ़ माह से ही वर्षा ऋतु की विधिवत शुरुआत मानी जाती है। किसानों के लिए ये मास बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। आषाढ़ माह में जल में जंतुओं की उत्पत्ति बढ़ जाती है अत: इस माह में जल की स्वच्छता का विशेष ध्यान रखना चाहिए। आषाढ़ माह में पाचन क्रिया भी मंद पड़ जाती है अत: इस मास में सेहत का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस मास ही नहीं बल्की अगले तीन माह तक सेहत का ध्यान रखना चाहिए। इस महीने में जल युक्त फल खाने चाहिए। आषाढ़ में बेल बिलकुल भी न खाएं। इसी माह में देव सो जाते हैं। इसी माह में देवशयनी या हरिशयनी एकादशी होती है। इसी दिन से सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य बंद हो जाते हैं। आषाढ़ माह से ही चतुर्मास शुरू हो जाता है। चातुर्मास 4 महीने की अवधि है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है। इस अवधि में यात्राएं रोककर संत समाज एक ही स्थान पर रहकर व्रत, ध्यान और तप...