कैसे करें नवजात शिशु की देखभाल

जीवनशैली : बच्चों के पैदा होने के बाद जो खुशी मां, बाप को होती है, वह शायद किसी को मिलती हो। लेकिन देखरेख के अभाव में बच्चों का स्वास्थ्य खराब हो जाता है और बच्चे गलत स्वभाव के आदी हो जाते हैं। जन्म के बाद शुरुआती चौबीस घंटे शिशु के लिए अहम होते हैं, इस दौरान उसे विशेष देखभाल की जरूरत होती है। भले ही डिलीवरी सामान्य हो या सीजेरियन। जब बच्चा इस संसार में आंखें खोलता है तो उसे सुरक्षित महसूस कराने और सबसे पहले गर्मी देने के लिए मां के सीने पर रखा जाता है, जिससे वह अपनी मां की त्वचा को महसूस कर सके। इसके बाद उसे मां के पहले दूध और नींद की जरूरत होती है। फिर उसका वजन किया जाता है और विटामिन के इंजेक्शन भी दिए जाते हैं ताकि ब्लीडिंग को रोका जा सके। 
इसके अलावा भी जन्म के पहले 24 घंटों में कई तरह की जांच करनी होती हैं। जैसे ही बच्चा जन्म लेता है, डॉक्टर उसके मुंह और नाक से म्युकस और एमनियोटिक फ्ल्यूड को साफ करने के लिए सक्शन करते हैं, जिससे बच्चा खुद से सांस लेना शुरू कर सके। जन्म के एक मिनट और पांच मिनट के बाद सांसों की गति मापी जाती है। जन्म के बाद बच्चे का एप्गार स्कोर चेक करते हैं। यह टेस्ट बताता है कि जन्म के बाद नई दुनिया से बच्चा कैसे एडजस्ट कर रहा है। इसका मापन जन्म के 1 मिनट बाद, 5 मिनट बाद और कभी-कभी 10 मिनट के बाद किया जाता है, जब बच्चा अपनी मां की छाती पर होता है। इस टेस्ट में बच्चे की हार्ट बीट, सांसें, स्किन अपीयरेंस, मसल्स टोन और रिफ्लेक्सेस की माप की जाती है। उच्चतम स्कोर 10 है। अगर यह स्कोर 7 या उससे अधिक आता है तो समझना चाहिए आपका बच्चा नॉर्मल एक्ट कर रहा है।

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