सावन माह में भगवान शिव का जलाभिषेक और बेलपत्र समर्पण



आस्था : सावन का महीना बस करीब है और शिवभक्त देवों के देव महादेव को प्रसन्न करने के लिए पूरी तैयारी में हैं। 17 जुलाई 2019 से शुरू हो रहे श्रावण माह भक्तिमय होने वाला है। जैसा कि ज्ञात है कि नीलंकठ कहे जाने वाले भगवान शिवशंकर समुद्र मंथन के समय विषपान किया था जिससे कि उनका शरीर नीला पड़ गया था और देवों ने भगवान शिव को जलाभिषेक किया और देवों के देव प्रसन्न हो गये। मान्यता है कि भगवान शिव को भक्त प्रसन्न करने के लिए बेलपत्र और समीपत्र चढ़ाते हैं। इस सम्बन्ध में एक मान्यता यह भी है कि 89 हजार ऋषियों ने महादेव को प्रसन्न करने की विधि परम पिता ब्रह्मा से पूछी- तो ब्रह्मदेव ने बताया कि महादेव सौ कमल चढ़ाने से जितने प्रसन्न होते हैं, उतना ही एक नीलकमल चढ़ाने पर होते हैं। ऐसे ही एक हजार नीलकमल के बराबर एक बेलपत्र और एक हजार बेलपत्र चढ़ाने के फल के बराबर एक समीपत्र का महत्व होता है। बेलपत्र महादेव को प्रसन्न करने का सुलभ माध्यम है। 
वहीं दूसरी ओर एक छोटी सी कथा समाज में प्रचलित है कि एक भील डाकू परिवार का पालन-पोषण करने के लिए लोगों को लूटा करता था। श्रावण महीने में एक दिन डाकू जंगल में राहगीरों को लूटने के इरादे से गया। एक पूरा दिन-रात बीत जाने के बाद भी कोई शिकार नहीं मिलने से डाकू काफी परेशान हो गया। इस दौरान डाकू जिस पेड़ पर छिपकर बैठा था, वह बेल का पेड़ था और परेशान डाकू पेड़ से पत्तों को तोड़कर नीचे फेंक रहा था। डाकू के सामने अचानक महादेव प्रकट हुए और वरदान मांगने को कहा। अचानक हुई शिव कृपा जानने पर डाकू को पता चला कि जहां वह बेलपत्र फेंक रहा था उसके नीचे शिवलिंग स्थापित है। इसके बाद से बेलपत्र का महत्व और बढ़ गया।

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