बच्चों को 'हेपेटाइटिस' से बचाएं

स्वास्थ्य : शिशु के जन्म के एक घंटे बाद डॉक्टर रेस्पिरेशन रेट, बॉडी टेंप्रेचर, हार्ट बीट्स और मसल्स मूवमेंट के अलावा उसके रिएक्शंस, बाई बर्थ डिजीज और जॉन्डिस की भी जांच करते हैं। शिशु को जन्म के 24 घंटे के भीतर यूरीन और स्टूल जरूर डिस्चार्ज करना चाहिए। अगर इसमें जरा भी देर हो या फिर उसके यूरीन या स्टूल में गड़बड़ी दिखाई दे तो इस बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं। जरूरी देखभाल जन्म लेने के बाद बच्चे की केयर में बहुत सी बातों का ध्यान रखना होता है। बच्चे का सबसे पहला भोजन, डिलीवरी के बाद मां का पहला दूध होता है। यह थोड़ा-सा चिपचिपा और पीले रंग का होता है। मां के पहले दूध को कोलोस्ट्रकम कहते हैं। इसमें कईं एंटीबायोटिक्स होते हैं, जो बीमारियों से बच्चे को बचाते हैं और बच्चे के इम्यून सिस्टम को विकसित करने में सहायता कर उसे विभिन्न इंफेक्शंस से बचाते हैं। एंटीबॉयोटिक्स से भरपूर यह दूध नवजात शिशु के लिए एक परफेक्ट फूड माना जाता है। यह बच्चे को न सिर्फ पोषण ही नहीं सुरक्षा भी प्रदान करता है। जन्म के एक घंटे के भीतर ही यह बच्चे को दे देना चाहिए।
शिशु को स्किन से स्किन का संपर्क प्रदान करने के लिए डॉक्टर मां के सीने पर रखते हैं। इसे कंगारू देखभाल भी कहा जाता है। इससे उसका रोना कम होगा, वह फीडिंग शुरू करेगा और उसका बॉडी टेंप्रेचर बैलेंस रहेगा। आंकड़े बताते हैं कि यह तकनीक समय से पहले पैदा होने वाले या जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों की डेथ रेट को 51 प्रतिशत कम कर सकती है। पहली फीडिंग के बाद बच्चा छह-सात घंटे सोता है। संसार में अपने पहले दिन बच्चा जागने से अधिक सोता है। कईं बच्चे तो फीड करते-करते ही सो जाते हैं तो घबराएं नहीं, क्योंकि ऐसा होना बिल्कुल नॉर्मल है। इन सभी जांच और देखभाल के बाद जब डॉक्टर मां और शिशु की सेहत से पूरी तरह संतुष्ट हो जाएं तभी उसे हॉस्पिटल से घर लेकर जाएं। उसके बाद उसे सभी टीके सही समय पर लगाएं। 

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