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अनोखे और अद्भुत गुणों से परिपूर्ण होता है सरसों का तेल

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  सेहत। सरसों का तेल या कड़वा तेल, इसका प्रयोग हर घरों में रोज होता है। आजकल आम बोलचाल भाषा में तेल लगाने को मजाक में लिया जाता है, लेकिन बता दें कि हमारे पूर्वजों ने सरसों के तेल को नियमित भोजन में ऐसे ही नहीं शामिल किया। सरसों के तेल में अद्भुत और अनोखे गुण होते हैं। सरसों का तेल भोजन का स्वाद बढ़ाता है, साथ ही शरीर में लगाने से हड्डियां और त्वचा मजबूत होती हैं, यही कारण हैं शिशु को माताएं सरसों के तेल से ही मालिश करती हैं, जिससे शरीर का समुचित विकास हो सके। वहीं अगर लाठी या दंड में सरसों का तेल लगाया जाये तो उसकी मजबूती, चमक और सुंदरता बढ़ जाती है। कड़वा तेल के कई चमत्कारिक फायदे हैं। नाभि और उसके आसपास तेल लगाने से तनाव में आराम मिलता है। साथ ही मानसिक सेहत में सुधार होता है, इसके लिए रोजाना नाभि में तेल लगाएं। नाभि में तेल लगाने से त्वचा में निखार आता है, इससे शरीर को पोषण प्राप्त होता है। कैल्शियम और विटामिन-डी की कमी से जोड़ों में दर्द की शिकायत होती है। इसके अलावा, जोड़ों में दर्द के कई अन्य कारण भी हैं। नाभि में तेल लगाने से जोड़ों के दर्द में शीघ्र आराम मिलता है। आंखों के लि...

पान की पत्तियों व तुलसी के बीज के सेवन से दूर होती है मुंह की बीमारियां

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सेहत। सनातन धर्म में पान की पत्तियों का भी पूजन होता है, पान की पत्तियों का पूजन ऐसे ही नहीं किया जाता, इसके कुछ आध्यात्मिक और वैज्ञानिक कारण हैं। पान की पत्तियां और तुलसी के बीज के सेवन से व्यक्ति को काफी लाभ हो सकता है, लेकिन इसके सेवन के लिए विशेषज्ञ की सलाह लेना उत्तम रहेगा। पान की पत्तियां और तुलसी का बीज रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक हैं। पान का पत्ता व तुलसी के बीज शरीर के कुछ ब्याधियों में रामबाण की तरह असर करता है, इसके सेवन से कई सामान्य बीमारियां व मुंह, दांत, जिह्वा आदि को सुगन्धित और स्वस्थ रखा जा सकता है। पान की पत्तियां शारीरिक क्षमता को बेहतर कर सकता है। इससे स्पर्म सीमेन काउंट और गुणात्मक सुधार किया जा सकता है। अगर आपको शारीरिक रूप से कमजोरी महसूस हो रही है तो नियमित रूप से अपने आहार में पान की पत्तियां और तुलसी के बीज शामिल करना लाभकारी रहेगा। पान की पत्तियों के साथ तुलसी का बीज खाने से आपकी पाचन क्रियाएं दुरुस्त होती हैं। बता दें कि तुलसी के बीज पान के साथ खाने से यह लार ग्रंथियों को सक्रिय रखने में सहायता करती हैं। पान की पत्तियां और तुलसी के बीज का मिश्रण स...

पृथ्वी पर पाया जाने वाला अद्भुत अनाज है जौ

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सेहत। पूज्यनीय अन्न जौ के अनगिनत फायदे हैं। जौ को "अनाज का राजा" कहा जाता है। देश के कई घरों में जौ के पानी को यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेक्शन के लिए एक प्राकृतिक उपचार माना जाता है। संक्रमण कम करने के लिए बच्चों या वयस्कों को अक्सर दैनिक आधार पर कुछ गिलास जौ के पानी के सेवन की सलाह दी जाती है। जौ के पानी को किडनी की पथरी या सिस्ट के लिए भी एक अच्छा उपाय बताया गया है। जौ का पानी बनाने के लिए एक चौथाई कप जौ को चार कप पानी में हल्का सा नमक डाल के 30 मिनट तक उबालें। बीच-बीच में चम्मच की मदद से जौ को मसल दें ताकि इसके गुण पानी में आ जाएं। 30 मिनट बाद गैस बंद कर दें और इसे ठंडा करने के बाद हल्का सा शहद और नींबू का रस मिलाकर इसका सेवन करें। आप चाहें तो इसे फ्रिज में ठंडा करके भी इस्तेमाल कर सकते हैं। आयुर्वेद में जौ के पानी को एक पाचक टॉनिक माना जाता है जो पाचन की प्रक्रिया को सुगम बनाने में मदद करता है, खासकर उन लोगों के लिए जिनकी 'अग्नि' कम होती है। विभिन्न प्रकार के शरीर, जैसे वात, पित्त और कफ, इसके लिए इसे कुछ मसालों में मिला सकते हैं। कब्ज या डायरिया से पीड़ित लोगों को अक्सर...