पुरुषों का ऐश्वर्य है सज्जनों से मित्रता
सुभाषित—
आरोग्यं विद्वत्ता सज्जनमैत्री महाकुले जन्म।
स्वाधीनता च पुंसां महदैश्वर्यं विनाप्यर्थे: ।।
भावार्थ : आरोग्य, विद्वत्ता, सज्जनों से मैत्री, श्रेष्ठ कुल में जन्म, दूसरे के ऊपर निर्भर न होना यह सब धन नहीं होते हुए भी पुरूषों का एश्वर्य है ।
शिक्षा कल्पो व्याकरणं निरुक्तं छन्दसामिति ।
ज्योतिषामयनं चैव षडंगो वेद उच्यते ॥
भावार्थ : शिक्षा (उच्चार शास्त्र), कल्पसूत्र, व्याकरण (शब्द/ व्युत्पत्ति शास्त्र), निरुक्त (कोश), छन्द (वृत्त), और ज्योतिष (समय/खगोल शास्त्र)– यह छह वेदांग कहे गये हैं।
आरोग्यं विद्वत्ता सज्जनमैत्री महाकुले जन्म।
स्वाधीनता च पुंसां महदैश्वर्यं विनाप्यर्थे: ।।
भावार्थ : आरोग्य, विद्वत्ता, सज्जनों से मैत्री, श्रेष्ठ कुल में जन्म, दूसरे के ऊपर निर्भर न होना यह सब धन नहीं होते हुए भी पुरूषों का एश्वर्य है ।
शिक्षा कल्पो व्याकरणं निरुक्तं छन्दसामिति ।
ज्योतिषामयनं चैव षडंगो वेद उच्यते ॥
भावार्थ : शिक्षा (उच्चार शास्त्र), कल्पसूत्र, व्याकरण (शब्द/ व्युत्पत्ति शास्त्र), निरुक्त (कोश), छन्द (वृत्त), और ज्योतिष (समय/खगोल शास्त्र)– यह छह वेदांग कहे गये हैं।
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