मीठी वाणी में बोले, वही अच्छी पत्नी
सुभाषित—
सा भार्या या प्रियं बू्रते स पुत्रो यत्र निवृति:।
तन्मित्रं यत्र विश्वास: स देशो यत्र जीव्यते।
भावार्थ : जो मीठी वाणी में बोले वही अच्छी पत्नी है, जिससे सुख तथा समाधान प्राप्त होता है वही वास्तव में पुत्र है, जिस पर हम बिना झिझके सम्पूर्ण विश्वास कर सकते हैं वही अपना सच्चा मित्र है तथा जहां पर हम काम करके अपना पेट भर सकते हैं वही अपना देश है।
एकवर्णं यथा दुग्धं भिन्नवर्णासु धेनुषु ।
तथैव धर्मवैचित्र्यं तत्त्वमेकं परं स्मृतम् ॥
भावार्थ : जिस प्रकार विविध रंग रूप की गायें एक ही रंग का (सफेद) दूध देती है, उसी प्रकार विविध धर्मपंथ एक ही तत्त्व की सीख देते हैं।
सा भार्या या प्रियं बू्रते स पुत्रो यत्र निवृति:।
तन्मित्रं यत्र विश्वास: स देशो यत्र जीव्यते।
भावार्थ : जो मीठी वाणी में बोले वही अच्छी पत्नी है, जिससे सुख तथा समाधान प्राप्त होता है वही वास्तव में पुत्र है, जिस पर हम बिना झिझके सम्पूर्ण विश्वास कर सकते हैं वही अपना सच्चा मित्र है तथा जहां पर हम काम करके अपना पेट भर सकते हैं वही अपना देश है।
एकवर्णं यथा दुग्धं भिन्नवर्णासु धेनुषु ।
तथैव धर्मवैचित्र्यं तत्त्वमेकं परं स्मृतम् ॥
भावार्थ : जिस प्रकार विविध रंग रूप की गायें एक ही रंग का (सफेद) दूध देती है, उसी प्रकार विविध धर्मपंथ एक ही तत्त्व की सीख देते हैं।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें