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राष्ट्र चेतना के अमर गायक रामनरेश त्रिपाठी

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परिचय : उत्तर भारत के अधिकांश प्राथमिक विद्यालयों में एक प्रार्थना बोली जाती है— हे प्रभो आनन्ददाता, ज्ञान हमको दीजिये शीघ्र सारे दुगुर्णों को दूर हमसे कीजिये। लीजिये हमको शरण में हम सदाचारी बनें ब्रह्मचारी धर्मरक्षक वीरव्रतधारी बनें। यह प्रार्थना एक समय इतनी लोकप्रिय थी कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना के बाद जब शाखाएं प्रारम्भ हुईं, तो उस समय जो प्रार्थना बोली जाती थी, उसमें भी इसके अंश लिये गये थे। हे गुरो श्री रामदूता शील हमको दीजिये शीघ्र सारे सद्गुणों से पूर्ण हिन्दू कीजिये। लीजिये हमको शरण में रामपंथी हम बनें ब्रह्मचारी धर्मरक्षक वीरव्रतधारी बनें। यह प्रार्थना संघ की शाखाओं पर 1940 तक चलती रही। 1940 में सिन्दी बैठक में अनेक महत्वपूर्ण निर्णय हुए। उनके अनुसार इसके बदले संस्कृत की प्रार्थना नमस्ते सदा वत्सले... को स्थान मिला, जो आज भी बोली जाती है। इस प्रार्थना के लेखक श्री रामनरेश त्रिपाठी का जन्म 4 मार्च 1889 को ग्राम कोइरीपुर जौनपुर, उत्तर प्रदेश में हुआ था। वह कुछ समय पट्टी प्रतापगढ़ तथा फिर कक्षा नौ तक जौनपुर में पढ़े। इसके बाद वे हिंदी के प्रचार—प्रसार तथा समाज सेवा में...

सादगी की प्रतिमूर्ति श्री लक्ष्मण श्रीकृष्ण भिड़े

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परिचय : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्य को विश्वव्यापी रूप देने में अप्रतिम भूमिका निभाने वाले श्री लक्ष्मण श्रीकृष्ण भिड़े का जन्म अकोला, महाराष्ट्र में 1918 में हुआ था। उनके पिता श्री श्रीकृष्ण भिड़े सार्वजनिक निर्माण विभाग में कार्यरत थे। छात्र जीवन से ही उनमें सेवाभाव कूट—कूट कर भरा था। 1932—33 में जब चन्द्रपुर में भयानक बाढ़ आयी तो अपनी जान पर खेलकर उन्होंने अनेक वरिवारों की रक्षा की। एक बार मां को बिच्छू के काटने पर उन्होंने तुरंत अपना जनेऊ मां के पैर में बांध दिया। इससे रक्त का प्रवाह बंद हो गया और मां की जान बच गयी। चंद्रपुर में उनका सम्पर्क संघ से हुआ। वे बाबा साहब आप्टे से बहुत प्रभावित थे। 1941 में वे प्रचारक बने तथा 1942 में उन्हें लखनऊ भेज दिया गया। 1942 से 57 तक उन्होंने उत्तर प्रदेश में अनेक स्थानों एवं दायित्वों पर रहते हुए कार्य किया। 1957 में उन्हें कीनिया भेजा गया। 1961 में वे फिर उत्तर प्रदेश में आ गये। 1973 में उन्हें विश्व विभाग का कार्य दिया गया। इसके बाद बीस साल तक उन्होंने उन देशों का भ्रमण किया, जहां हिंदू रहते हैं। विदेशों से हिंदू हित एवं भारत हित में उन्ह...