संदेश

आस्था लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

क्यों मनाया जाता है शारदीय नवरात्रि!

चित्र
 शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन शुक्ल और ब्रह्म योग आस्था। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल यानि 2022 में नवरात्रि 26 सितम्बर से शुरू होकर 5 अक्टूबर को समाप्त होगी। वहीं महा नवमी 4 अक्टूबर को मनाई जायेगी, जबकि दुर्गा अष्टमी 3 अक्टूबर को है। इस साल अश्विन मास की नवरात्रि में मां दुर्गा गज यानी कि हाथी पर सवार होकर आ रही हैं। मां दुर्गा की हाथी की सवारी को खेती और फसलों के लिए शुभ माना जाता है, इससे धन-धान्‍य के भंडार भरे रहते हैं। साथ ही यह बारिश होने की भी सूचक है। शारदीय नवरात्र के प्रथम दिन यानि घटस्‍थापना के लिए दिन भर का समय बहुत शुभ रहेगा। इस दौरान शुक्ल और ब्रह्म योग का अद्भुत संयोग बन रहा है, जिसे पूजा-पाठ और शुभ योगों के लिए बहुत शुभ माना गया है।    मां दुर्गा का आवाहन मंत्र है- ॐ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते।। नवरात्रि और दशहरे से जुड़ी कथा के अनुसार-माता सीता का हरण करके ले गए रावण से युद्ध करने से पहले भगवान श्रीराम ने 9 दिन तक अनुष्ठान करके मां दुर्गा का आर्शीवाद लिया था और फिर 10वें दिन रावण का वध किया था।...

करवा चौथ के दिन निर्जल व्रत न रहें कुंवारी लड़कियां

चित्र
  आस्था। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल यानि 2022 में करवा चौथ 13 अक्टूबर को पड़ेगा। सुहागिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत रखती हैं। विवाहित महिलाओं के साथ कई कुंआरी लड़कियां भी व्रत करती हैं। हालांकि, इनके लिए नियम अलग होते हैं। कहा जाता है कि कुंवारी लड़कियां को व्रत के दौरान केवल करवा माता, भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करनी चाहिए और कथा सुननी चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, कुंवारी लड़कियां विवाहित महिलाओं की तरह चंद्रमा को देखकर नहीं बल्कि तारों को देखकर ही व्रत का समापन करें। करवा चौथ व्रत के दिन सुहागिन महिलाएं पूजा के दौरान छलनी का इस्तेमाल करती हैं, ऐसे में कु्ंआरी लड़कियां छलनी का इस्तेमाल न करें। सबसे अहम बात कि करवा चौथ के दिन कुंवारी लड़कियों को निर्जला व्रत नहीं करना चाहिए। अविवाहित युवतियों फलाहार व्रत रखना चाहिए। चूंकि सुहागिन महिलाएं निर्जला व्रत में पति के हाथों से पानी पीकर पारण करती हैं, ऐसे में कुंआरी लड़कियों को निर्जला व्रत नहीं करना चाहिए। करवा चौथ के दिन तामसिक भोजन नहीं करना चाहिए। इस न‍ियम का पालन केवल व्रती मह‍िलाओं को ही नहीं ब...

पांच योग में 17 सितम्बर को मनाई जाएगी विश्वकर्मा जयंती

चित्र
आस्था। शास्त्रों के अनुसार कन्‍या संक्रांति के दिन भगवान विश्‍वकर्मा की जयंती मनाई जाती है। कन्‍या संक्रांति यानि जिस दिन सूर्य कन्‍या राशि में गोचर करते हैं। इस वर्ष यानि 2022 में 17 सितम्बर को कन्या संक्रांति की तिथि पड़ेगी। कन्‍या संक्रांति के दिन विश्‍वकर्मा पूजा की जाती है। इस दिन लोग अपने औजारों, मशीनों, उपकरणों की पूजा करते हैं। इस दिन भगवान विश्‍वकर्मा की और उद्यम के उपयोग में आने वाले उपकरणों की पूजा करने से वे अच्‍छे से चलती रहती हैं। विश्वकर्मा भगवान की पूजा के दिन अगर कोई भी टूल्स, औजार या कोई उपकरण मांगने आए तो उसे टाल देना चाहिए, ऐसा करने से भगवान विश्वकर्मा को सम्मान मिलता है। विश्वकर्मा पूजा के दिन सुबह जल्दी स्नान करके स्वच्छ कपड़े पहने चाहिए, कार्यस्‍थल पर चौकी पर नया पीला कपड़ा बिछाकर भगवान विश्वकर्मा की मूर्ति या चित्र स्थापित करना चाहिए, फिर मशीनों, औजारों, वाहनों का पूजन करें। इस दौरान भगवान विश्वकर्मा के मंत्रों ॐ आधार शक्तपे नम:, ओम कूमयि नम:, ओम अनन्तम नम:, पृथिव्यै नम: का जाप करें। इसके बाद हल्‍दी, अक्षत, फूल अर्पित करें, धूप-दीप दिखाएं, फल व मिठाइयों का भोग ल...

पुत्र की रक्षा के लिये जीवित्पुत्रिका व्रत रखती हैं महिलाएं

चित्र
आस्था। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार प्रत्येक अश्विन महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है। इस व्रत को पुत्रवती स्त्रियां पुत्र के जीवन की रक्षा करने के उद्देश्य से करती हैं। इस व्रत में पूरे दिन न‍िर्जला व्रत रखा जाता है। यह पर्व उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल और नेपाल के मिथिला और थरुहट में आश्विन माह में कृष्ण-पक्ष के सातवें से नौवें चंद्र दिवस तक तीन द‍िनों तक मनाया जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है। 17 सितम्बर को दोपहर 2 बजकर 14 मिनट पर अष्टमी तिथि शुरू होगी और 18 सितम्बर को दोपहर 4 बजकर 32 मिनट पर समाप्त होगी। उदया तिथि के अनुसार, जीवित्पुत्रिका व्रत 18 सितम्बर को रखा जाएगा। 19 सितम्बर की प्रात:6 बजकर 10 मिनट के बाद व्रत पारण किया जा सकेगा। जीवित्पुत्रिका व्रत के दिन प्रात: स्नान करने बाद व्रती प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीपकर साफ कर लें। इसके बाद वहां एक छोटा सा तालाब बना लें। तालाब के पास एक पाकड़ की डाल लाकर खड़ाकर कर दें। अब शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मा...

महालक्ष्मी व्रत का पहला शुक्रवार 9 सितम्बर को

चित्र
आस्था। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि से महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत होती है, इस बार यानि 2022 में यह व्रत बीते 3 सितम्बर राधाष्टमी के दिन से महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत हुई थी। महालक्ष्मी व्रत 16 दिवसीय व्रत होते हैं, इसमें लगातार 16 दिनों तक मां लक्ष्मी की पूजा-उपासना, व्रत आदि रखे जाते हैं। एक कलश में जल भरकर उस पर नारियल रख दें और इसे मां लक्ष्मी के मूर्ति के सामने रखें। इसके पश्चात मां लक्ष्मी को फल, नैवेद्य तथा फूल चढ़ाएं और दीपक या धूप जलाएं। आप माता लक्ष्मी की पूजा करें तथा महालक्ष्मी स्त्रोत का जाप करें। महालक्ष्मी व्रत के प्रत्येक दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने की परम्परा है। महालक्ष्मी व्रत का समापन 17 सितम्बर के दिन होगा। 16 दिन तक लगातार महालक्ष्मी की पूजा-अर्चना करने के बाद व्रत का उद्यापन 17 सितम्बर को किया जाएगा, कल यानि 9 सितम्बर को महालक्ष्मी व्रत का पहला शुक्रवार पड़ेगा। इन 16 दिनों तक मां लक्ष्मी की सच्चे दिन से पूजा करने से भक्तों को धन-वैभव, सुख समृद्धि मिलता है। व्रत में उद्यापन के दिन एक सुपड़ा लेते हैं। इस सुपड़े में 16 श्रृंगार के स...

चंद्रमा का सबसे प्रिय नक्षत्र रोहिणी में मनेगा 'करवा चौथ'

चित्र
आस्था। करवा चौथ के दिन महिलाएं निर्जला व्रत रहती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं। महिलाएं इस दिन चौथ माता यानि माता पार्वती की उपासना करती हैं और उनसे अपने पति की लम्बी उम्र की कामना करती हैं। रात के समय महिलाएं चंद्रमा का अर्घ्य देने के बाद अपना व्रत खोलती हैं। करवा चौथ को लेकर विवाहित महिलाएं खूब उत्साहित रहती हैं। करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस बार यह व्रत 13 अक्टूबर 2022 को रखा जाएगा। इस बार करवा चौथ पर बेहद ही शुभ संयोग भी बन रहा है। इस बार यानि 12 अक्टूबर 2022 को रात में 2 बजे से चतुर्थी तिथि शुरू हो जायेगी और 13 तारीख को रात में तीन बजकर 9 मिनट पर चतुर्थी तिथि समाप्त हो जायेगी। इसलिए 13 अक्टूबर को ही करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा। चंद्रमा करवा चौथ के दिन वृष राशि में संचार करेंगे जो चंद्रमा की उच्च राशि है। इस पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग मिलने से करवा चौथ का व्रत विवाहिताओं के लिए और भी शुभ फलदायी रहेगा। चंद्रमा का सबसे प्रिय नक्षत्र रोहिणी है। वैसे तो करवा चौथ की कई कथाएं हैं, लेकिन एक कथा भी प्रचलित है, जो निम्न है-करवा नाम की ए...

अनंत चतुर्दशी के दिन भुजा पर बांधें 14 गांठों वाला अनंत सूत्र

चित्र
आस्था। अनंत चतुर्दशी का व्रत भगवान विष्णु को प्रसन्न करने और अनंत फल देने वाला माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने के साथ यदि कोई व्यक्ति यदि श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करता है, तो उसकी सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं, यह व्रत धन-धान्य, सुख-संपदा और संतान आदि की कामना के साथ किया जाता है। मान्यता है कि जब पाण्डव धृत क्रीड़ा में अपना सारा राज-पाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनंत चौदस का व्रत करने की सलाह दी थी। पांडवों में सबसे बड़े युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रोपदी के साथ विधि-विधान से अनंत चतुर्दशी का व्रत किया तथा अनन्त सूत्र धारण किया। अनन्तचतुर्दशी-व्रत के प्रभाव से पांडव सभी संकटों से मुक्त हो गए। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भाद्रपद शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को अनंत चतुर्दशी या अनंत चौदस कहा जाता है, इस दिन अनंत भगवान यानि विष्णु की पूजा के बाद बांह पर अनंत सूत्र बांधने की परम्परा है, इसमें 14 गांठें होती हैं। बता दें कि अनंत चतुर्दशी के दिन ही गणेश विसर्जन भी किया जाता है इसलिए इस तिथि का खास महत्व है। अनन्त चतुर्दशी शुक्रवार, सितम्बर...

छह सितम्बर को गणेश, विष्णु और मंगल देव की करें आराधना

चित्र
आस्था। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 6 सितम्बर 2022 दिन मंगलवार को गणेशोत्सव के साथ एकादशी होने से इस दिन गणेश जी, विष्णु जी और मंगल ग्रह की विशेष पूजन का बेहद शुभ योग बन रहा है, जो अति फलदायी है। एक दिन तीन शुभ मुहूर्त होने से श्रद्धालुओं को पूजन से पहले सावधानी रखनी चाहिए, जिससे सभी देवों का आशीर्वाद मिल सके। एकादशी पर सबसे पहले भगवान गणेश की पूजा करें, जल, दूर्वा, हार-फूल, जनेऊ अर्पित करना चाहिए। धूप-दीप जलाकर आरती करें, मोदक का भोग लगाना चाहिए। वहीं जो लोग एकादशी का व्रत करते हैं, उन्हें इस दिन सुबह जल्दी उठ जाना चाहिए। स्नान के बाद घर के मंदिर में विष्णु जी की पूजा और व्रत का संकल्प लेना चाहिए। व्रत करने वाले व्यक्ति को पूरे दिन सिर्फ फलाहार करना चाहिए। इस दिन अन्न का सेवन वर्जित रहता है।  भगवान विष्णु का पंचामृत से अभिषेक करना चाहिए। पूजा में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। पूजा के बाद भगवान से क्षमा याचना करें। एकादशी पर पूरे दिन पूजा और व्रत करने के बाद अगले दिन यानी द्वादशी तिथि पर सुबह फिर से भगवान विष्णु की पूजा करें और जरूरतमंद लोगों को भोजन कराएं, इसके बाद स्वयं ख...

16 दिन तक करें महालक्ष्मी का पूजन, बनेंगे धनवान

चित्र
आस्था। भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि के दिन से महालक्ष्मी व्रत शुरू हो जाता है, जो अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी को समाप्त होता है। 16 दिनों तक चलने वाले इस पर्व में देवी महालक्ष्मी की विशेष आराधना की जाती है। मां लक्ष्मी की पूजा करने के साथ व्रत करने से जल्द ही मनचाहा फल मिलता है। महालक्ष्मी व्रत के दौरान कुछ उपाय करने से धन, धान्य, सुख, वैभव में बढ़ोत्तरी होती है। महालक्ष्मी व्रत शुरू करने से पहले श्रीयंत्र स्थापित करना लाभदायी रहेगा और सोलह दिन तक विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए। इससे शुभ फलों की प्राप्ति होगी। देवी लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए चरणों में कमल का फूल अर्पित करें। मान्यता है कि महालक्ष्मी व्रत के 16 दिनों तक प्रवेश द्वार के एक ओर घी का दीपक जलाएं। इससे मां लक्ष्मी का घर में हमेशा वास रहेगा। महालक्ष्मी व्रत के दौरान मां लक्ष्मी को बताशा, शंख, कमलगट्टे, शंख, मखाना आदि अर्पित करना शुभदायी रहेगा। बता दें कि मां लक्ष्मी को कौड़ियां अति प्रिय है। इसलिए पूजन के दौरान मां को कौड़ियां अर्पित करें। इसके बाद महालक्ष्मी व्रत समाप्त होने के बाद इन्हें लाल रंग के कपड़े मे...

गणेश चतुर्थी को न करें चंद्र दर्शन, लगेगा कलंक

चित्र
आस्था । शास्त्रों के अनुसार तारा मंडल के स्वामी चंद्रमा ने  भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के मोटे पेट पर व्यंग्य करते हुए हंस दिया, इस पर कुपित होकर गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दे डाला कि वह कभी भी पूर्ण रूप में नहीं दिखेंगे और जाने-अनजाने में भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी की रात्रि में जो उन्हें देखेगा, उन पर लांछन लग जाएगा। बता दें कि चतुर्थी का मुहूर्त में कोई विशेष स्थान नहीं है क्योंकि तिथियों में यह रिक्ता तिथि है, रिक्ता का अर्थ है रिक्त होना या खाली होना। इस तिथि को सभी तिथियों की मां भी कहा गया है, यह बात ध्यान देने वाली है कि यह कोई शुभ मुहूर्त नहीं है, इस तिथि में नये कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। एक मान्यता यह भी है कि छोटा चूहा गणेश जी का वजन सहन नहीं कर सका और फिसल गया। अजीब नजारा देखकर चांद हंसने लगा। गणेश ने क्रोधित होकर चंद्रमा को श्राप दे दिया कि जो कोई भी गणेश चतुर्थी की रात को चंद्रमा को देखेगा, उस पर झूठा आरोप लगा जाएगा। इस बार यानि 2022 में गणेश चतुर्थी 31 अगस्त को है, लेकिन चतुर्थी में चंद्रोदय 30 अगस्त को होगा इसलिए इन दोनों दिन चंद्...

हरतालिका तीज के दिन महिलाएं करती हैं तपस्या

चित्र
आस्था। सनातन धर्म में हरियाली तीज व्रत का खास महत्व है, हरियाली तीज व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना पूरी श्रद्धा भाव से करती हैं। इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन सुखद बना रहता है, पति की लम्बी आयु की महिलाएं कामना करती हैं। जो भी शादीशुदा महिला इस व्रत को करती है, उसे मां पावर्ती से सदा सुहागिन रहने का आशीर्वाद मिलता है, यदि अविवाहित कन्याएं इस व्रत को रखती हैं तो उन्हें सुयोग्य वर मिलता है। व्रत पूजन के लिए भगवान शिव और माता पावर्ती की मूर्ति या तस्वीर। इस मूर्ति या तस्वीर को रखने के लिए पूजा की चौकी, पीले या लाल रंग का नया वस्त्र, भगवान के लिए वस्त्र, माता पावर्ती के लिए चुनरी, कलश, मेवा, बताशे, आम के पत्ते (आप पान का पत्ता भी ले सकते हैं), घी, दिया, कच्चा नारियल, धूप, अगरबत्ती, कपूर, पुष्प, पांच प्रकार के फल, सुहाग का सामान, सुपारी, पूजा पर भोग लगाने के लिए प्रसाद, मिठाई आदि जरूरी सामान की व्यवस्था कर लेना चाहिए। हरतालिका तीज पर महिलाओं में सजने-संवरने का भी काफी उत्स...

चतुर्थी को मंदिर में करें गणेश दर्शन

चित्र
आस्था। शास्त्र के अनुसार इस साल यानि 2022 में गणेश चतुर्थी 31 अगस्त को पड़ रही है। इस बार गणेश चतुर्थी पर अद्भुत संयोग बन रहा है। ऐसा दुर्लभ संयोग 10 साल पहले 2012 में बना था, गणेश पुराण में बताया गया है कि गणेश का जन्म भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को दिन के समय हुआ था, उस दिन शुभ दिवस बुधवार था। इस साल भी कुछ ऐसा ही संयोग बन रहा है। इस साल भी भाद्र शुक्ल चतुर्थी तिथि बुधवार को है। 31 अगस्त से लेकर पूरे 10 दिन तक भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाएगी। कुछ लोग अपने घरों में भी भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित करते हैं। भगवान गणेश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर का नाम जरूर आता है। मुम्बई स्थित श्री सिद्धिविनायक मंदिर में पूरे वर्ष भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन गणेशोत्सव के इस खास मौके पर यहां की रौनक देखने लायक होती है। देश की एक से बढ़कर हस्तियां यहां दर्शन करने के लिए पंक्ति लगाकर खड़े रहते हैं। वहीं पुणे स्थित श्रीमंत दगदूशेठ गणपति मंदिर भगवान गणेश के भक्तों के बीच खूब प्रसिद्ध है। इस मंदिर से जुड़ी एक दिलचस्प बात ये है कि इस मंदिर का निर्माण श्री दगडू...

किस दिन कौन सा तिलक लगाना रहेगा शुभ

चित्र
आस्था। सनातन धर्म का प्रमुख अंग है टीका या तिलक लगाना। सनातन संस्कृति में पूजा-अर्चना, संस्कार विधि, मंगल कार्य, यात्रा गमन आदि शुभ कार्यों में माथे पर तिलक लगाकर उसे अक्षत से विभूषित किया जाता है। तिलक लगाने के 12 स्थान हैं। सिर, ललाट, कंठ, हृदय, दोनों बाहुं, बाहुमूल, नाभि, पीठ, दोनों बगल में, इस प्रकार बारह स्थानों पर तिलक करने का विधान है। मस्तक पर तिलक जहां लगाया जाता है वहां आत्मा अर्थात हम स्वयं स्थित होते हैं। सोमवार को भगवान शंकर का दिन माना जाता है, इस दिन के स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं इसलिए इस दिन सफेद चंदन, विभूति या फिर भस्म का तिलक लगाना चाहिए, ऐसा करने से भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न होते हैं। मंगलवार के दिन हनुमान की पूजा की जाती है और इस दिन का स्वामी ग्रह मंगल है, इस दिन लाल चंदन या चमेली के तेल में घुला हुआ सिंदूर का तिलक लगाने की परम्परा है, ऐसा करने से जीवन में सभी संकट दूर होते हैं। बुधवार का दिन भगवान गणेश का दिन होता है, इस दिन के ग्रह स्वामी बुध हैं। इस दिन सूखे सिंदूर का तिलक किया जाता है, ऐसा करने से जातकों को यश मिलता है, कार्य क्षमता बढ़ती है। गुरुवार को विष्णु ज...

अनंत चतुर्दशी को समाप्त होगा गणेश चतुर्थी उत्सव

चित्र
आस्था। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का जन्म उत्सव मनाया जाता है। इस साल यानि 2022 में यह तिथि 31 अगस्त को है। गणेश चतुर्थी के दिन मंदिरों व घरों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाती है और पूरे 10 दिनों तक गणपति बप्पा की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है और गणेश उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी को होगा। गणेश जी को बाधाओं को दूर करने वाले और विनाश के हिंदू देवता शिव की संतान और उनकी पत्नी देवी पार्वती के रूप में जाना जाता है। गणेश जी की मूर्ति स्थापना के लिये सबसे पहले चौकी पर गंगाजल छिड़कें और इसे शुद्ध कर लें। इसके बाद चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर अक्षत रखें। भगवान श्रीगणेश की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें। इसके बाद भगवान गणेश को स्नान कराएं और गंगाजल छिड़कें। मूर्ति के दोनों ओर रिद्धि-सिद्धि के रूप में एक-एक सुपारी रखें। भगवान गणेश की मूर्ति के दाईं ओर जल से भरा कलश रखें। हाथ में अक्षत और फूल लेकर गणपति बप्पा का ध्यान करें। गणेश जी के मंत्र ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें। प्रत्येक शुभ कार्य से पहले सर्वप्रथम गणेश जी की ही पूजा होती है। घर के दक्...

अजा एकादशी के व्रत से दूर होंगे संकट

चित्र
  आस्था। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अजा एकादशी का व्रत 23 अगस्त 2022 को है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद अजा एकादशी व्रत कथा जरूर सुनें या पढ़ें। इस व्रत कथा को पढ़ने या सुनने मात्र से ही पाप नष्ट हो जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि भाद्रपद कृष्ण एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जानते हैं और भगवान कृष्ण अजा एकादशी की कथा युधिष्ठिर को सुनाई-चक्रवर्ती राजा हरिश्चंद्र जब अपने बुरे दिन बिता रहे थे तब एक दिन दुख के सागर में डूबे राजा हरिश्चंद्र सोच रहे थे कि उनके दुख के दिन कब और कैसे समाप्त होंगे। उसी समय गौतम मुनि वहां पहुंचे। राजा ने अपने दु:ख से निकलने का उपाय ऋषि से पूछा। ऋषि गौतम ने बताया कि भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की जो एकादशी होती है उसे अजा एकादशी कहते हैं। इस एकादशी के पुण्य से तुम्हारे सारे कष्ट समाप्त हो जाएंगे। राजा ने गौतम मुनि के बताए विधान के अनुसार अजा एकादशी का व्रत किया और इसी व्रत के पुण्य से ऐसा संयोग बना कि राजा के बुरे दिन समाप्त हो गए। बता दें कि अजा एकादशी का व्रत करने वाले जातक ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रिया...

गणेश चतुर्थी पर सभी मनोकामनाएं पूरा करेंगे 'प्रथमेश'

चित्र
आस्था। सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी प्रमुख त्योहारों में से एक है। गणेश चतुर्थी पूरे भारत में मनाया जाता है, मान्यता है कि कलयुग में गणेश चतुर्थी पूजन विशेष फलदायी होता है। महाराष्ट्र में यह त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। चतुर्थी के दिन गणेश की प्रतिमा को घरों में स्थापित कर नौ दिनों तक पूजन किया जाता है। बड़ी संख्या में आसपास के लोग दर्शन करने पहुँचते हैं। नौ दिन बाद गानों और बाजों के साथ गणेश प्रतिमा को किसी तालाब इत्यादि जल में विसर्जित करने की परम्परा है। हालांकि मौजूदा दौर में मूर्तियों को मिट्टी में विसर्जित करने की सलाह ज्योतिषियों द्वारा दी जा रही है। इस बार यानि 2022 में गणेश चतुर्थी की शुरुआत 31 अगस्त से हो रही है। 30 अगस्त, मंगलवार दोपहर 3 बजकर 33 मिनट  पर चतुर्थी तिथि शुरू होगी और 31 अगस्त दोपहर 3 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगा। उदयातिथि के आधार पर गणेश चतुर्थी का व्रत 31 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक है। गणेश चतुर्थी के दिन घर में गणपति बप्पा की स्था...

षष्ठी के दिन हल से जोती गई वस्‍तुओं का सेवन नहीें करतीं महिलाएं

चित्र
आस्था। भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था, इस साल यानि 2022 में हल छठ व्रत 17 अगस्‍त को है। इस बार षष्‍ठी तिथि 16 अगस्‍त को रात 8 बजकर 17 मिनट से लग रही है और 17 अगस्त को यह रात 8 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के हिसाब से 17 अगस्त को हल छठ व्रत रखने वाली महिलाओं को इस दिन सुबह स्नानादि करके संतान की लम्बी आयु की कामना करते हुए निर्जला व्रत का संकल्प लेना चाहिए। श्री कृष्ण के जन्म से दो तिथि पहले भाद्रपद के कृष्णपक्ष की षष्ठी को उनके बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। हलषष्ठी का व्रत विशेषकर पुत्रवती महिलाएं करती हैं। भाद्र मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी को हल छठ क्यों कहते हैं, इस विषय में मान्यता है कि बलराम का प्रमुख शस्‍त्र हल था, इसलिए इसे हलछठ कहा जाता है। इस दिन किसान हल की भी पूजा करते हैं। इस व्रत का नियम है कि इस दिन व्रत करने वाली महिलाओं को हल से जोती गई वस्‍तुओं के अलावा गाय के दूध, दही और घी के सेवन की मनाही होती है।

वृद्धि योग में 18 अगस्त को मनायी जायेगी कृष्ण जन्माष्टमी

चित्र
आस्था। कृष्ण जन्माष्टमी को जन्माष्टमी वा गोकुलाष्टमी के रूप में हर साल मनाया जाता है, भागवान विष्णु के दस अवतारों में से आठवें और चौबीस अवतारों में से 22वें अवतार श्रीकृष्ण के जन्म के आनन्दोत्सव के लिये मनाया जाता है। श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में आधी रात के समय वृष के चंद्रमा में हुआ था। जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के भक्त व्रत रखते हैं और रात 12 बजे उनके जन्म के साथ ही विधि विधान से उनका पूजन कर व्रत समाप्त करते हैं। इस वर्ष जन्‍माष्‍टमी और भी खास इसलिए है क्‍योंकि जन्‍माष्‍टमी के दिन वृद्धि योग लगा है। इसके अलावा इस दिन अभिजीत मुहूर्त भी रहेगा, जो कि दोपहर 12 बजकर 5 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। जन्‍माष्‍टमी पर ध्रुव योग भी बना है जो कि 18 अगस्‍त को 8 बजकर 41 मिनट से 19 अगस्‍त को रात 8 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। वहीं वृद्धि योग 17 अगस्‍त को दोपहर 8 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर 18 अगस्‍त को 8 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि जन्‍माष्‍टमी पर वृद्धि योग में पूजा करने से श्रद्धालु के घर की सुख, सम्पत्ति में वृद्धि होती है और मां लक्ष्‍मी प्रसन्न रहती है...

श्रावणी पूर्णिमा को जनेऊ धारण करने का उत्तम समय

चित्र
  आस्था। सावन माह की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस साल यानि 2022 में सावन पूर्णिमा 11 अगस्त को है। कुल जानकार 12 अगस्त को रक्षाबंधन मनाने की सलाह दे रहे हैं। शास्त्रों के अनुसार श्रावण पूर्णिमा के दिन ब्राह्मण मन, वचन और कर्म की पवित्रता का संकल्प लेते हैं और पुराने जनेऊ का त्याग कर नया जनेऊ धारण करते हैं। पंडित कामता प्रसाद मिश्र बताते हैं कि सनातन धर्म में विवाह और मुंडन जैसे कुल 16 संस्कार होते हैं, इन्हीं में जनेऊ या यज्ञोपवीत भी एक संस्कार है। यह एक ऐसा पवित्र सूत होता है, जिसे कंधे के ऊपर और दाईं भुजा के नीचे पहना जाता है। जनेऊ में तीन-सूत्र त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक, देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक, सत्व, रज और तम के प्रतीक होते हैं। साथ ही ये तीन सूत्र गायत्री मंत्र के तीन चरणों के प्रतीक हैं तो तीन आश्रमों के प्रतीक भी। जनेऊ के एक-एक तार में तीन-तीन तार होते हैं। अत: कुल तारों की संख्‍या नौ होती है। इनमें एक मुख, दो नासिका, दो आंख, दो कान, मल और मूत्र के दो द्वारा मिलाकर कुल नौ होते हैं। यानि हम मुख से अच्छा बोले और खाएं, आंखों से ...

अनोखे मत्यगजेंद्र मंदिर में हैं चार शिवलिंग

चित्र
आस्था। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में कई धार्मिक स्थान है, जहां घूमने व दर्शन करने से मन प्रफुल्लित हो जाता है। भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट के रामघाट के पास स्थित मत्यगजेंद्र (शिवलिंग) का वर्णन शिवपुराण में भी है। विशेष बात यह है कि मत्यगजेंद्र मंदिर में चार शिवलिंग हैं, ऐसा विश्व में कहीं और नहीं है, इसलिये इसे अनोखा मंदिर कहा जाता है। सावन का पवित्र महीना चल रहा है, ऐेसे में चित्रकूट स्थित मत्यगजेंद्र मंदिर का जिक्र करना जरूरी है। सावन के सोमवार पर मत्यगजेंद्र मंदिर पर शिवभक्तों का जमावड़ा रहता है। आसपास की पवित्र नदियों और निकट बह रही मंदाकिनी नदी के जल से श्रद्धालु भगवान ​शंकर अभिषेक करते हैं। सोमवार को विशेष पूजन के लिए तड़के से ही लोग मंदिर प्रांगण में जुट जाते हैं। मत्यगजेंद्र मंदिर पवित्र मंदाकिनी नदी के किनारे रामघाट पर स्थित है। भगवान शिव के स्वरूप मत्यगजेंद्र को चित्रकूट का क्षेत्रपाल कहा जाता है, इसलिए बिना इनके दर्शन के चित्रकूट की यात्रा फलित नहीं होती है। शिवपुराण में निम्न श्लोक का उल्लेख है-             ...