आरटीआई में संशोधन, सूचना आयुक्तों के वेतन में बदलाव
जानकारी : 2005 एक्ट के अनुसार सूचना आयुक्तों और मुख्य सूचना आयुक्तों की सैलरी चुनाव आयुक्तों और मुख्य चुनाव आयुक्तों के लगभग बराबर था लेकिन अब संशोधन के बाद सैलरी, भत्ता और अन्य सभी शर्तों पर केंद्र फैसला लेगी। अगर किसी की नियुक्ति सूचना आयुक्त या मुख्य सूचना आयुक्त के तौर पर होती है और वह व्यक्ति सरकारी नौकरी के तहत पेंशन या भत्ता पा रहा है तो उसकी सैलरी से उतने पैसे की कटौती कर ली जाती है, लेकिन अब इस बात का फैसला भी केंद्र ही लेगी।उदाहरण के तौर पर अगर सूचना आयुक्त की सैलरी एक लाख रुपए है और वह पहले से ही 25 हजार रुपए पेंशन और भत्ता पा रहा है तो उस हालत में सरकार सूचना आयुक्त के खाते में एक लाख 25 हजार रुपए नहीं देगी। सरकार पेंशन और भत्ते में से भी पैसे काट देगी यानि कि अब एक लाख रुपए से ज्यादा नहीं मिलेंगे। केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल 5 साल के लिए निर्धारित किया गया था लेकिन अब नए कानून के मुताबिक यह फैसला भी केंद्र सरकार के हाथों में होगा।
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