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आज भी बेजोड़ हैं चाणक्य की नीतियां

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नीति। चाणक्य कौटिल्य या विष्णुगुप्त नाम से भी प्रसिद्ध हैं। पिता श्री चणक के पुत्र होने के कारण वह चाणक्य कहे गए। विष्णुगुप्त कूटनीति, अर्थनीति, राजनीति के महाविद्वान और अपने महाज्ञान का 'कुटिल' 'सदुपयोग, जनकल्याण और अखंड भारत के निर्माण जैसे सृजनात्मक कार्यों में करने के कारण उन्हें कौटिल्य कहा जाता है। चाणक्य द्वारा रचित अर्थशास्त्र नामक ग्रन्थ राजनीति, अर्थनीति, कृषि, समाजनीति आदि का महान ग्रन्थ है। अर्थशास्त्र मौर्यकालीन भारतीय समाज का दर्पण माना जाता है। चाणक्य की नीतियां आज भी बेजोड़ मानी जाती हैं। काव्यशास्त्रविनोदेन कालो गच्छति धीमतां। व्यसनेन च मूर्खाणां निद्रया कलहेन वा।। अर्थ : ज्ञानी व्यक्ति अपना पूरा समय काव्य और शास्त्रों के अध्ययन में बिताते हैं। वहीं मूर्ख और अज्ञानी लोग अपना समय सोने, लड़ने और बुरी आदतों का पीछा करने में बिताते हैं। इसलिए व्यक्ति को अपना समय व्यर्थ के कार्यों से हटाकर रचनात्मक कार्यों में लगाना चाहिए, इससे व्यक्ति के कौशल में और अधिक निखार आएगा। सानन्दं सदनं सुतास्तु सधियः कांता प्रियालापिनी इच्छापूर्तिधनं स्वयोषितिरतिः स्वाज्ञापराः सेवकाः ...