संदेश

लघुकथा लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

दादू महाराज और कोतवाल

चित्र
लघुकथा। एक बार की बात है, दादू महाराज से एक कोतवाल को मिलना था। रास्ते में एक आदमी मिला, जो सड़क के कांटे साफ कर रहा था, उससे पूछा, क्यों रे! दादू महाराज कहां रहते हैं! दादू जी ने इशारे से बता दिया कि सामने वाली झोपड़ी उन्हीं की है। रूखा जवाब सुनकर कोतवाल गुस्सा हुआ और गाली देते हुये झोपड़ी की ओर चल दिया। सिर पर कांटे का बोझ लादे दादू वहां पहुंचे, तो कोतवाल को गाली देने का दु:ख हुआ और दादू महाराज से क्षमा मांगी। दादू महाराज ने कहा कि इसमें आपका कोई दोष नहीं, दोष उस पूर्वाग्रह भरी आपकी मनुष्य सम्बन्धी मान्यता का है, जो आपके मुख से ऐसे वचन निकालती है। मनुष्य मात्र में आप ईश्वर को देखने लगेंगे, तो यह आदत स्वत: छूट जायेगी। बता दें कि वेदों में वर्णित है कि ऋषि कहते हैं कि परमेश्वर हमारे परम पिता हैं, उनसे जितना लगाव रखेंगे, जीवन उतना सुखी रहेगा। जिस तरह पिता अपने बच्चों को प्रसन्न देखकर आनंदित होता है, उसी तरह परमपिता परमेश्वर अपने बच्चों को हर्षित देखकर उल्लसित व प्रफुल्लित होते हैं। यानि, मनुष्य में देवत्व भाव है।

सकारात्मक सोच का परिणाम

चित्र
लघुकथा। एक लड़की को सपने में शेर दिखाई देता, वह इससे हमेशा डर जाती। परिजन लड़की को मनोचिकित्सक के पास ले गये, मनोचिकित्सक ने लड़की से कहा कि वह शेर तो मुझे भी रोज दिखाई देता है, वह शेर तो बहुत भला है, काटता बिल्कुल नहीं, खेल व दौड़ के लिये वह साथी ढूंढ रहा है इसलिये वह सपने में आता है। मनोचिकित्सक ने लड़की से कहा कि अबकी बार शेर सपने में आये तो उससे दोस्ती करना, फिर देखना कि शेर आपके साथ कैसे खेलता है। लड़की का समाधान हो गया, लड़की को रात में सपना अब भी आता, लेकिन वह डरने की ​बजाय हंसने-मुस्कुराने लगी, वह बिल्कुल निडर बन गयी। इसलिये कहा जाता है कि मन में हमेशा सद्विचार लाने चाहिये, जिससे स्वप्न भी दिखे तो वह भी श्रेष्ठ हो।

उपकार भूलने वाले होते हैं अहंकारी

चित्र
लघुकथा। गुलाब के फूल ऊपर की टहनी पर खिल रहे थे और सड़ा गोबर उसकी जड़ में सिर झुकाये पड़ा था। गुलाब अपने सौभाग्य से सड़े गोबर के दुर्भाग्य की तुलना करते हुए गर्व से बोला और व्यंग्य की हंसी हंस दी। माली उधर से निकला तो उससे यह सब देखा नहीं गया और गुलाब के कान से मुंह सटाकर कहा कि तुम्हें इस सुंदर स्थिति में पहुंचाने में इन पिछड़े समझे जाने वालों का कितना योगदान रहा है, जरा इसे भी समझने का प्रयास करो। अहंकार वही लोग करते हैं जो दूसरों का उपकार याद नहीं रखते।

जरूर माननी चाहिए उचित सलाह

चित्र
लघुकथा। एक मूर्ख व्यक्ति चूल्हे पर रखकर लकड़ियां सुखा करता था, उसके पड़ोसी ने देखा तो सलाह दी कि आप ऐसा न किया करें, इससे तो कभी आपके घर में आग भी लग सकती है। तुम अशुभ बोल रहे हो, कहकर मूर्ख व्यक्ति ने मुंह फेर लिया और उसकी सलाह नहीं मानी। कुछ समय बाद वैसा ही हुआ। लकड़ियां जलने लगीं और उसके घर में आग लग गई, शोर सुनकर पड़ोसी आये और बड़ी कोशिशों के बाद आग पर काबू पाया, तब तक मूर्ख व्यक्ति का घर राख हो चुका था। यानि उचित सलाह जरूर माननी चाहिए।

भला करने वालों से लोग अधिक प्यार करते हैं

चित्र
लघुकथा। एक बगीचा था, उसमें तितली और मधुमक्खी दोनों एक ही फूल पर आकर बैठतीं। एक दिन दोनों झगड़ने लगीं कि फूल पर मेरा अधिकार है। फैसला कराने के लिये तोते को बुलाया गया। उसने मधुमक्खी के पक्ष में निर्णय दिया और कहा कि यह दूसरों के लिए शहद निकालती है, इसलिए बैठने का अधिकार तो इसी का रहेगा। तितली को उदास देखकर तोता कहने लगा कि यदि मधुमक्खी तुम्हें अनुमति दे तो तुम भी फूल पर बैठ सकती हो, लेकिन लोग उसी को अधिक प्यार करते हैं जो उनका भला करता है।

कठिन है कांटों रहित रास्ता बनाना

चित्र
लघुकथा। एक रास्ता बड़ा कंटीला था, उसमें कंकड़ भी बिछे थे, जो उस पर चलता उसके पैर लहुलुहान हो जाते। एक व्यक्ति ने उन कांटों और कंकड़ों को बीनना शुरू कर दिया, रास्ता बहुत लम्बा था, चलने से फिर नये कांटे और कंकड़ उभर आते। उसके इस श्रम को देखकर एक समझदार इंसान ने कहा कि इस रास्ते पर चलने वाले को जूते पहनने चाहिये। कांटों रहित रास्ता बनाना कठिन है। संसार में विग्रह कांटों की तरह है, उन्हें हटाया नहीं जा सकता। हम अपने गुण, कर्म, स्वभाव को ही ऐसा बना सकते हैं कि किसी अड़चन या मुश्किलों से परास्त न होना पड़े।