जीवन में अवसर का लाभ उठायें!

बोधकथा : गांव की सीमा पर पेड़ के नीचे एक साधु तपस्या करता रहता था। एक बार गांव में भीषण बाढ़ आयी। सभी गांव वाले सुरक्षित व ऊंचाई वाले स्थान की ओर जा रहे थे। गांव वालों ने साधु को भी अपने साथ चलने को कहा, लेकिन साधु ने कहा-भगवान उसकी रक्षा करेंगे। कुछ समय पश्चात बाढ़ का जल उसकी कमर तक आ पहुंचा। उसी समय एक नाविक नाव लेकर आया और उसे अपनी नाव में बैठा लेने का प्रस्ताव करने लगा। साधु ने उसे भी यही कहा-भगवान उसकी रक्षा करने आएंगे। कुछ समय बाद साधु की नाक तक जलस्तर आ गया। अब साधु पेड़ पर चढ़ गया। कुछ देर बाद बाढ़ का जल साधु की प्राणलीला लील गया। साधु स्वर्ग पहुंचा तो उसने भगवान को उलाहना दिया कि उसने उनकी कितनी कठिन तपस्या की, किन्तु वे उसे बचाने नहीं आये। भगवान ने उत्तर दिया कि वे तो उसे दो बार बचाने आये-पहली बार ग्रामीणों के रूप में, दूसरी बार नाविक के रूप में, किन्तु तुम आये अवसरों को पहचान कर उनका लाभ नहीं ले पाये। कथा का सार तत्व ये है कि जीवन में ईश्वर हमें कई अवसर देता है, लेकिन मनुष्य जल्दी पहचान नहीं पाता।

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