प्रचार पर प्रतिबंध : मुख्यमंत्री योगी ने निकाला तोड़, बजरंग बली की पूजा की
लखनऊ : चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश के चार दिग्गज नेताओं योगी आदित्यनाथ, मायावती, मेनका गांधी और आजम खान पर चुनाव प्रचार करने पर प्रतिबंध लगा दिये। मुख्यमंत्री और भाजपा के स्टार नेता योगी आदित्यनाथ ने प्रचार पर प्रतिबंध का बेहतरीन तोड़ निकाला। उन्होंने मंगलवार यानि आज लखनऊ के हनुमान सेतु पर बजरंग बली के मंदिर में पूजा की। योगी मंदिर में करीब 20 मिनट तक रहे और हनुमान चालीसा पढ़े। इस दौरान उन्होंने वहां मौजूद मीडिया से कोई बात नहीं की और मुस्कुराते हुए वापस लौट गए। आज लखनऊ सीट से भाजपा के प्रत्याशी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह को नामांकन करना है लेकिन मुख्यमंत्री योगी इस नामांकन में शामिल नहीं होंगे। सीएम आज दिन में कई अन्य हनुमान मंदिर में भी जाएंगे। भाजपा के स्टार प्रचारकों में से एक योगी के चुनाव प्रचार पर आज सुबह छह बजे से 72 घंटों के लिए प्रतिबंध है। यानि दूसरे चरण के लिए होने वाली वोटिंग के दिन तक सीएम योगी बीजेपी के लिए प्रचार नहीं कर पाएंगे। चुनाव आयोग ने आचार सहिंता के उल्लंघन के मामले में दोषी पाने के बाद यह कार्रवाई की। चुनाव आयोग के निर्देशों के अनुसार, 72 घंटे तक योगी आदित्यनाथ किसी भी जनसभा, पदयात्रा और रोड शो आदि में हिस्सा नहीं ले सकेंगे। इतना ही नहीं वे प्रिंट या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में साक्षात्कार भी नहीं दे सकेंगे। ऐसे में योगी ने मंदिरों में पूजा का फैसला किया है। चुनाव आयोग ने बीएसपी अध्यक्ष मायावती पर 48 घंटे, रामपुर से समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार आजम खान पर 72 घंटे, केंद्रीय मंत्री और सुल्तानपुर से बीजेपी उम्मीदवार मेनका गांधी के प्रचार अभियान पर 48 घंटे के प्रतिबंध लगाए हैं। सभी नेताओं पर बयानबाजी कर आचार सहिंता के उल्लंघन का आरोप है। ध्यान रहे कि दूसरे चरण के लिये 18 अप्रैल को होने वाले मतदान के मद्देनजर आज शाम पांच बजे से प्रचार अभियान थम जायेगा। ऐसे में इन नेताओं पर प्रतिबंध किसी बड़े झटके से कम नहीं है। दूसरे चरण में 97 सीटों पर वोट डाले जाएंगे। इसमें उत्तर प्रदेश की आठ सीटें (नगीना (सु.), अमरोहा, बुलंदशहर (सु.), अलीगढ़, हाथरस (सु.), मथुरा, आगरा (सु.) और फतेहपुर सीकरी) शामिल है। इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को फटकार लगायी थी और कहा था कि ऐसे बड़बोले नेताओं पर कार्रवाई करें, जो चुनाव आचार संहिता के खिलाफ है। इसके जवाब में चुनाव आयोग ने न्यायालय में कहा था कि उसके पास सीमित शक्तियां हैं।
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