प्यार की जीत

बोधकथा : दक्षिण अफ्रीका में रात्रि के नौ बजे के बाद बिना सरकारी स्वीकृति के भारतीयों को घूमना मना था। एक बार एक भारतीय विद्वान बिना स्वीकृति रात्रि नौ बजे के बाद टहल रहे थे। टहलते-टहलते लार्ड साहब के मकान के सामने से गुजरना हुआ तो पुलिस का एक सिपाही विद्वान के पास तेजी से आया और उसने विद्वान को झटका देकर नाली में धकेल दिया, जिससे विद्वान कीचड़ में सन गए। एक मित्र ने भारतीय के पास आकर कहा-चलो! शिकायत दीजिये इस बदतमीज के विरुद्ध, मैं इस बात की गवाही दूंगा कि आपको बिना किसी चेतावनी अथवा अपराध के यह सजा दी गई है। भारतीय ने कहा-नहीं! नहीं! मैं ऐसा नहीं करूंगा। यदि हम भारतीय ही ऐसा करेंगे तो हमारा प्रेम-सिद्धांत दूषित हो जाएगा। उनके द्वेष के आगे मैं हमारे प्रेम को मरने नहीं दूंगा। जिस दिन उसे हमारे प्रेम का अहसास होगा, उस दिन मेरी ही तो जीत होगी। देखते ही देखते भीड़ में से वही आदमी आया और भारतीय विद्वान से क्षमायाचना करने लगा।

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