बोधकथा : जरूरतमंदों की सहायता करने से होते हैं प्रभु के दर्शन
एक बालक नदी में नहा रहा था। अचानक उसका पैर फिसला और वह तेज पानी के बहाव में फंस गया। एक महात्मा वहां बैठे जप कर रहे थे, किन्तु उन्होंने यह देखकर भी आंखें बंद कर लीं। संत ज्ञानेश्वर उसी रास्ते से जा रहे थे। बच्चे को डूबता देखकर वे तुरंत नदी में कूद पड़े और उसे किनारे ले आये। जप करते हुए महात्मा से संत ज्ञानेश्वर ने पूछा, क्या आपको प्रभु के दर्शन हुए? महात्मा ने कहा, नहीं। संत ज्ञानेश्वर ने कहा, उठो! पहले दीन-दुखियों की सहायता करो, प्रभु अपने आप मिल जायेंगे। महात्मा को अपनी भूल का एहसास हो चुका था।
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