सुख की तलाश


बोधकथा : दार्शनिक कन्फ्यूशियस एक बार अपने शिष्यों के साथ एक पहाड़ी से गुजर रहे थे। थोड़ी दूर चलने के बाद वे एक जगह अचानक रुके और बोले-कहीं कोई रो रहा है। एक जगह उन्होंने देखा कि एक स्त्री रो रही है। कन्फ्यूशियस ने उसके रोने का कारण पूछा तो उसने कहा कि उसके पुत्र को चीते ने मार डाला। इस पर कन्फ्यूशियस ने उस स्त्री से पूछा कि तुम्हारा बाकी का परिवार कहां है? इस पर स्त्री ने जवाब दिया कि हमारा पूरा परिवार इसी पहाड़ी पर रहता था लेकिन अभी थोड़े दिन पहले ही मेरे पति और ससुर को भी इसी चीते ने मार दिया था। इस पर कन्फ्यूशियस बोले कि अगर ऐसा है तो तुम इस खतरनाक जगह को छोड़ क्यों नहीं देती। इस पर स्त्री ने कहा-इसलिए नहीं छोडती क्योंकि कम से कम यहां किसी अत्याचारी का शासन तो नहीं है। चीते का अंत तो किसी न किसी दिन हो ही जायेगा। कन्फ्यूशियस ने इस पर अपने शिष्यों से कहा कि इस महिला ने हमें अवगत करवाया है कि एक बुरे शासक के राज्य में रहने से अच्छा है किसी जंगल या पहाड़ी पर ही रह लिया जाये।

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