दुख को आधा कर देती है मित्रता
आस्था : श्रीमद् भागवत में जिस तरह से श्री कृष्ण और सुदामा की मित्रता का वर्णन्न होता है, उसी प्रकार की मित्रता हम सभी को अपने जीवन काल में करना चाहिए। मित्र अगर सुख में हो तो मित्र उसके सुख को दोगुना कर देता और दुखी हो तो मित्रता उस दुख को आधा कर देता है। रामायण में वर्णित प्रभू श्रीराम के चरित्र का हम सभी को अनुकरण करना चाहिए। रामायण में जीवन का सार है, हमें कैसा व्यवहार अपने परिवार, मित्र से, प्रजा से करना चाहिए वो सारी बातें रामायण में निहित हैं। राम और हनुमान की भी मित्रता रामायण में पढ़ी व समझी जा सकती है।
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