झूठा है कांगे्रस का चुनावी घोषणा पत्र, राजनीतिक दल कर रहे आलोचना


विचार : लोकसभा चुनाव 2019 में हार के डर से राहुल गांधी अमेठी सीट के अलावा केरल के वायनाड सीट से चुनाव लड़ेंगे, जहां हिंदुओं की संख्या नाम मात्र है। इससे पहले कांगे्रस पार्टी ने लोकसभा चुनाव के लिए मैनीफेस्टो या घोषणा पत्र जारी की। घोषणा पत्र में तमाम मुद्दों के साथ कांग्रेस की सरकार बनने पर देशद्रोह जैसे गम्भीर कानून नहीं लगाये जाएंगे। कांगे्रस के घोषणा पत्र की आलोचना हो रही है। वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने गुरुवार को अपनी दूसरी संसदीय सीट केरल के वायनाड से नामांकन दाखिल किया। राहुल के साथ उनकी बहन और पूर्वी उत्तर प्रदेश की पार्टी प्रभारी प्रियंका वाड्रा गांधी मौजूद थीं। यहां पर राहुल का सीधा मुकाबला लेफ्ट पार्टियों से है। राहुल आगामी लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश के अपने पैतृक गढ़ अमेठी के साथ-साथ वायनाड से भी चुनाव लड़ रहे हैं। नामांकन दाखिल करने के बाद राहुल गांधी ने यहां बड़ा रोडशो भी किया। राहुल प्रियंका के अलावा केसी वेणुगोपाल तथा मुकुल वासनिक सहित कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के साथ नामांकन-रोडशो में शामिल हुए।जिला मुख्यालय में उन्होंने जिला कलेक्टर एआर अजय कुमार को अपने दस्तावेज सौंपे। इससे पहले मंगलवार को जारी अपने घोषणापत्र में कांग्रेस का सारा ध्यान उन मुद्दों पर है जो जनता के जीवन, सुरक्षा और सम्मान से सीधे जुड़े हैं। यूं तो हर पार्टी अपने घोषणापत्र में बड़ी-बड़ी बातें कहती है, जिनका जमीनी हकीकत से कुछ खास लेना-देना नहीं होता। यही वजह है कि बीच के कई चुनावों में घोषणापत्रों की ओर कोई देखता भी नहीं था। लेकिन आम आदमी पार्टी के आने के बाद से राजनीतिक संस्कृति में यह ठोस बदलाव हुआ कि घोषणापत्र फिर से चर्चा में आ गए। आप ने हर विधानसभा क्षेत्र के लिए अलग मेनिफेस्टो जारी किए और इन्हें तैयार करने में आम लोगों की राय ली। इस क्रम में घोषणापत्र बनाना और जारी करना खुद में राजनीतिक गोलबंदी का उपक्रम बन गया। कांग्रेस का यह घोषणापत्र इस लिहाज से एक कदम और आगे जाता है कि इसके जरिए चुनाव की समूची कहानी (नैरेटिव) बदलने की कोशिश की गई है। विकास के तमाम दावों के बावजूद बीजेपी इस चुनाव में वोट प्रधानमंत्री मोदी के व्यक्तित्व, राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के नाम पर ही मांग रही है। इसके बरक्स कांग्रेस ने अपने वैकल्पिक कार्यक्रम के जरिए मतदाताओं को अपने जीवन की ठोस प्राथमिकताओं पर सोचने के लिए बाध्य किया है। हर साल गरीब तबके के 20 फीसदी लोगों के खाते में 72,000 रुपये डालने (न्याय) की घोषणा उसने पहले ही कर दी थी। इस सिलसिले को आगे बढ़ाते हुए मेनिफेस्टो में 22 लाख सरकारी नौकरियों का वादा किया गया है। मनरेगा में काम के दिनों को 100 से बढ़ाकर 150 करने और 10 लाख लोगों को ग्राम पंचायतों में रोजगार देने की बात भी इसमें है। युवाओं को कारोबार करने के लिए तीन साल तक किसी से भी अनुमति लेने की जरूरत नहीं पड़ेगी। किसानों को सर्वाधिक महत्व देते हुए कांग्रेस ने उनके लिए अलग से बजट बनाने की बात कही है। किसानों के कर्ज न चुकाने का मामला आपराधिक के बजाय दीवानी दंड संहिता के दायरे में लाना खुद में एक पैराडाइम शिफ्ट जैसा है। अपनी सरकार बनने पर कांग्रेस जीडीपी का 6 फीसदी हिस्सा शिक्षा पर खर्च करेगी और आईआईटी, आईआईएम समेत सारे टॉप शिक्षण संस्थानों तक गरीबों की पहुंच को आसान बनाएगी। जन-स्वास्थ्य को बीमा कंपनियों के हवाले छोडऩे के बजाय सरकारी अस्पतालों को सुविधा संपन्न बनाने की बात भी लीक से हटकर है। पार्टी ने एक महत्वपूर्ण घोषणा यह की है कि वह राजद्रोह और सशस्त्र बल विशेष अधिकार कानून (आफस्पा) की धाराओं को खत्म करेगी। इन्हें हटाने की मांग सीमावर्ती राज्यों में काफी समय से उठती रही है। खासकर राजद्रोह कानून सरकार विरोधी आवाजों को दबाने का एक टूल बनकर रह गया है। बहरहाल, यह कार्यक्रम अगर संयुक्त रूप से पूरे विपक्ष की ओर से आता तो कहीं बेहतर होता। कांगे्रस के इस लोकलुभावने वादे जनता पहले भी देख और सुन चुकी है। कांगे्रस पार्टी एक घोटालेबाज पार्टी है और एंटी भारत है। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता में इजाफा हुआ है। 2019 में फिर नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनेंगे, आम जनमानस में ऐसी चर्चा है। इसके अलावा सोनिया गांधी कांगे्रस के मैनीफेस्टो से नाराज बताई जा रही हैं, वह इसलिये कि मैनीफेस्टो में राहुल गांधी की फोटो छोटी लगी है।

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