स्वामी रामतीर्थ की उदारता
बोधकथा : बता उन दिनों की है जब स्वामी रामतीर्थ सैन फ्रांसिस्को गए हुए थे। वहां शास्ता पर्वतीय चोटी पर पहुंचने के लिए एक प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। प्रतियोगिता के लिए युवा दल को जाते देख स्वामी जी भी उनके साथ हो लिए ताकि पर्वतीय चोटी का आनंद ले सकें। स्वामी जी सबसे पहले वहां पहुंच गए। निर्णायक मंडल ने उन्हें ही विजेता घोषित कर दिया और पुरस्कार के लिए आमंत्रित किया। स्वामी जी ने पुरस्कार लौटाते हुए कहा, 'इसका असली हकदार वह युवक है जो ठीक मेरे बाद पहुंचा। उसने इसके लिए तैयारी की होगी पर मैं तो बस ऐसे ही प्रकृति का आनंद लेने चला आया था।
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