नौ सौ साल की उम्र तक जीते हैं तक्षक सांप!
जानकारी : उत्तर प्रदेश के लखीमपुर जिले में एक सांप पकड़ा गया है. जिसे ऐतिहासिक तक्षक सांप बताया जा रहा है. उसकी उम्र नौ सौ साल के आसपास बताई जा रही है। हालांकि इससे पहले भी लखीमपुर में कई तरह के सांप पकड़े जा चुके हैं, लेकिन अभी जो सांप मिला है, इसके बारे में कहा जा रहा है कि क्या कोई सांप नौ सौ सालों तक जिंदा रह सकता है। प्राचीन समय में सांपों की उम्र खासी ज्यादा बताई गई है। कई सांपों के बारे में कहा जाता है कि वो सौ साल से ऊपर जीते थे। कुछ सांपों के बारे में कहा गया कि वो पांच सौ साल से ज्यादा जीते हैं। पुराणों के अनुसार, तक्षक सांप की उम्र खासी ज्यादा होती थी, ये कई सौ साल जीते थे, लेकिन मौजूदा विज्ञान इसे सही नहीं ठहराता। विज्ञान और सांपों की जानकारी देने वालीं पुस्तकें कहती हैं कि दुनिया का कोई भी सांप 40-45 साल से ज्यादा समय तक जीवित नहीं रहता। पहले चर्चा तक्षक सांप की, ये कैसे होते हैं और भारतीय पौराणिक कथाओं में इनका क्या जिक्र होता है। इसके अनुसार पाताल के आठ नागों में एक नाग का नाम तक्षक था, जो कश्यप का पुत्र था।
राजा परीक्षित को इसी ने काटा था, इसके चलते राजा परीक्षित के बेटे राजा जनमेजय इस पर बहुत बिगड़े। उन्होंने संसार भर के सांपों का नाश करने के लिए सर्पयज्ञ आरंभ किया। बताते हैं कि तक्षक इससे डरकर इंद्र की शरण में चला गया। इस पर जनमेजय ने अपने ऋषियों को आज्ञा दी कि इंद्र यदि तक्षक को न छोड़ें, तो उन्हें भी मंत्रों के जरिए तक्षक के साथ खींचकर भस्म कर दिया जाए। ऋत्विकों के मंत्र पढ़ने पर तक्षक साथ इंद्र भी खिंचने लगे, तब इंद्र ने डरकर तक्षक को छोड़ दिया। जब तक्षक खिंचकर अग्निकुंड के समीप पहुंचा, तब जनमेजय से प्रार्थना की गई। तक्षक के प्राण बच गए, इसके बाद इस प्रजाति के जो सांप हुए, उन्हें तक्षक कहा जाने लगा। ये रंग और आकार-प्रकार में खास तरह के होते हैं। प्राचीन काल में इन सांपों की पूजा भी की जाती थी। तिब्बत, मंगोलिया और चीन के निवासी अब तक अपने आपको तक्षक या नाग के वंशधर बताते हैं। वैसे दुनिया में सांपों की 2500-3000 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिसमें 150 से 200 के बीच ही जहरीले होते हैं। भारत में करीब 240 के आसपास सांपों की प्रजातियां हैं।
राजा परीक्षित को इसी ने काटा था, इसके चलते राजा परीक्षित के बेटे राजा जनमेजय इस पर बहुत बिगड़े। उन्होंने संसार भर के सांपों का नाश करने के लिए सर्पयज्ञ आरंभ किया। बताते हैं कि तक्षक इससे डरकर इंद्र की शरण में चला गया। इस पर जनमेजय ने अपने ऋषियों को आज्ञा दी कि इंद्र यदि तक्षक को न छोड़ें, तो उन्हें भी मंत्रों के जरिए तक्षक के साथ खींचकर भस्म कर दिया जाए। ऋत्विकों के मंत्र पढ़ने पर तक्षक साथ इंद्र भी खिंचने लगे, तब इंद्र ने डरकर तक्षक को छोड़ दिया। जब तक्षक खिंचकर अग्निकुंड के समीप पहुंचा, तब जनमेजय से प्रार्थना की गई। तक्षक के प्राण बच गए, इसके बाद इस प्रजाति के जो सांप हुए, उन्हें तक्षक कहा जाने लगा। ये रंग और आकार-प्रकार में खास तरह के होते हैं। प्राचीन काल में इन सांपों की पूजा भी की जाती थी। तिब्बत, मंगोलिया और चीन के निवासी अब तक अपने आपको तक्षक या नाग के वंशधर बताते हैं। वैसे दुनिया में सांपों की 2500-3000 प्रजातियां पाई जाती हैं, जिसमें 150 से 200 के बीच ही जहरीले होते हैं। भारत में करीब 240 के आसपास सांपों की प्रजातियां हैं।
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