उम्र के साथ बदल जाती हैं निगाहें

जीवनशैली : उम्र के साथ इंसान की नजर भी बदलती है। नवजात बच्चों की दृष्टि बहुत साफ नहीं होती और उन्हें दुनिया के रंग भी इतने चटकीले नहीं दिखते। करीब छह साल की उम्र तक आते आते आमतौर पर बच्चों में 20/20 दृष्टि यानि परफेक्ट विजन आ जाता है। उम्र बढ़ने के साथ आंखों पर भी असर पड़ता है। निकट दृष्टिदोष कई बार कुछ बड़े बच्चों और किशोरों में ही विकसित होता है। 40 की उम्र से ही आंखों के लेंस का लचीलापन थोड़ा कम होने लगता है। यही वह समय होता है जब बहुत से लोगों को पढ़ने के लिए चश्मा लगाना पड़ जाता है। 65 वर्ष से बड़ी उम्र के लोगों में कैटेरेक्ट या मोतियाबिंद की समस्या होना आम बात है। आजकल तो इससे काफी कम उम्र के लोगों को भी मोतियाबिंद हो रहा है जिसमें आंखों के लेंस पर बदली सी छाई दिखती है। 
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक मोतियाबिंद दुनियाभर में अंधेपन का सबसे बड़ा कारण है। इसे किसी दवा से ठीक नहीं किया जा सकता। मामूली ऑपरेशन से आंखों पर पड़ी झिल्ली हटवा देना ही इसका इलाज है। एल्बिनिज्म एक दुर्लभ आनुवंशिक स्थिति है जिसमें व्यक्ति के शरीर में मेलानिन नाम का पिगमेंट कम या बिल्कुल भी नहीं बनता। मेलानिन ही आंखों, त्वचा और बालों को रंग देता है। इसकी अनुपस्थिति में भी लोगों में देखने की क्षमता पर असर पड़ता है। एक आंकड़े के अनुसार दुनिया भर में कई लाख ऐसे लोग हैं जो जन्मजात दृष्टिहीन नहीं थे बल्कि बाद मोतियाबिंद और ट्राकोमा जैसी बीमारियों के कारण अपनी दृष्टि खोते हैं। 

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