दूसरों के साथ खुशियां बांटें

बोधकथा : दो वृद्ध एक अस्पताल के कमरे में भर्ती थे। एक उठकर बैठ सकता था परंतु दूसरा उठ नहीं सकता था। जो उठ सकता था, उसके पास एक खिड़की थी। वह दूसरे बुजुर्ग जो उठ नहीं सकता, को बाहर के दृश्य का वर्णन करता। दूसरा बुजुर्ग आंखें बन्द करके अपने बिस्तर पर पड़ा उन दृश्यों का आनन्द लेता रहता। एक दिन सुबह नर्स आयी तो उसने देखा कि वह बुजुर्ग नींद में ही चल बसा था। दूसरा बुजुर्ग बहुत दु:खी हुआ। उसने नर्स से इच्छा जाहिर की कि उसे पड़ोस के बिस्तर पर शिफ्ट कर दिया जाये। अब वह खिड़की के पास था। उसने सोचा चलो आज बाहर का दृश्य देखा जाये। वह कोहनी का सहारा लेकर उठा और बाहर देखा तो खिड़की के बाहर दीवार थी। उसने नर्स को बुलाकर पूछा तो नर्स ने बताया कि ये उनके जीवन का नजरिया था। वे तो जन्म से अंधे थे। यानी खुशियां दूसरों के साथ बांटने में ही हमारी खुशियां छिपी हैं।

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