पाकिस्तान के लिए सांप-छछूंदर वाली स्थिति
विचार : जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद-370 हटाने और दो केंद्र शासित प्रदेश बनाये जाने से पाकिस्तान को काठ मार गया लगता है। दरअसल, घटनाक्रम इतना गोपनीय रहा कि उसकी खुफिया एजेंसियों तक को भनक नहीं लगी। दशकों से जनता को कश्मीर मुद्दे पर उद्वेलित करने के कारण पाक हुक्मरानों व सेना पर लोगों का भारी दबाव है। दूसरे राजनीतिक दल व कट्टरपंथी संगठन लोगों को इसके खिलाफ लामबंद कर रहे हैं। पाकिस्तान से मामला न निगलते बनता है और न उगलते। दो दिन की ऊहापोह के बाद राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की बैठक में लिये गए फैसलों में भारत से राजनयिक सम्बन्धों का दर्जा घटाने, द्विपक्षीय व्यापार खत्म करने, द्विपक्षीय मामलों की समीक्षा, मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र संघ ले जाने, 14 अगस्त को कश्मीरियों के साथ खड़ा होने, पंद्रह अगस्त को काला दिवस मनाना शामिल है। पाकिस्तान ने उसके कुछ भूभागों से भारत के हवाई जहाजों के उडऩे पर रोक लगा दी है। ध्यान रहे कि बालाकोट एयर स्ट्राइक के बाद भी पाक ने अपने इलाकों से भारतीय हवाई जहाजों के आवागमन पर रोक लगा दी थी, जिसे पिछले महीने ही खोला गया था। नि:संदेह हताशा व बौखलाहट में ही पाक ऐसे कदम उठा रहा है। वह कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करना चाह रहा है। यह जानते हुए भी कि संयुक्त राष्ट्र में कश्मीर मुद्दे को कोई तरजीह नहीं दी जाती, जिसके लिये वह खुद जिम्मेदार है। जहां तक भारत से व्यापार बंद करने का सवाल है तो यह कदम उसके लिये ही आत्मघाती साबित होगा। पुलवामा हमले के बाद भारत द्वारा पाक से आयात किये जाने वाले सामान पर कर लगाये जाने से पहले ही व्यापार कम हो गया है। उस पर भारत से जो सस्ता प्याज-टमाटर पाकियों को राहत देता था, वो बंद हो जायेगा।
नि:संदेह पाक की भारत से व्यापार स्थगित करने की एकतरफा कोशिश का ज्यादा नुकसान पाक को ही होने जा रहा है। सीधी सी बात है कि भारत की निर्भरता पाक पर कम है और पाक की ज्यादा है। इस बात का अहसास पाक को भी है। पाकिस्तानियों को भी पता है कि पुलवामा हमले के बाद पाक के सामान पर भारत ने जो दो सौ प्रतिशत की ड्यूटी लगाई थी, उसकी वजह से पहले ही दोनों देशों में व्यापार न्यूनतम स्तर पर है। ऐसे में भारत से आने वाले सामान का आना बंद होने पर पाक दूर से ये सामान मंगवायेगा, जिससे उसकी लागत भी बढ़ जायेगी। जिसका दबाव निश्चित रूप से पहले से ही चरमराई अर्थव्यवस्था पर ही पड़ेगा। देश की अर्थव्यस्था डायलिसिस पर है और इमरान खान सेना को सतर्क रहने और परमाणु शक्तियों के जुमले दोहरा रहे हैं। इसके बावजूद भारत ने पाक के कदमों पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। भारत ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि पाक की दलीलें जमीनी हकीकत से मेल नहीं खातीं। गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने जारी एक बयान में पाक द्वारा लिये गये एकतरफा फैसलों पर खेद जताया। साथ ही इस बात पर भी बल दिया कि फैसलों पर पुनर्विचार करते हुए कूटनीतिक संपर्क की गुंजाइश बनी रहनी चाहिए। विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे को भारतीय संविधान व संप्रभुता से जुड़ा मसला बताते हुए कहा कि यह निर्णय कश्मीर के आर्थिक विकास को गति देने तथा लैंगिक व सामाजिक असमानता दूर करने का प्रयास है, जिसे नकारात्मक नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए। साथ ही चेताया भी है कि इन भावनाओं का उपयोग सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिये नहीं किया जाना चाहिए। यह भी कि डर फैलाकर दखल देने की कोशिशें कामयाब नहीं होने दी जायेंगी।
नि:संदेह पाक की भारत से व्यापार स्थगित करने की एकतरफा कोशिश का ज्यादा नुकसान पाक को ही होने जा रहा है। सीधी सी बात है कि भारत की निर्भरता पाक पर कम है और पाक की ज्यादा है। इस बात का अहसास पाक को भी है। पाकिस्तानियों को भी पता है कि पुलवामा हमले के बाद पाक के सामान पर भारत ने जो दो सौ प्रतिशत की ड्यूटी लगाई थी, उसकी वजह से पहले ही दोनों देशों में व्यापार न्यूनतम स्तर पर है। ऐसे में भारत से आने वाले सामान का आना बंद होने पर पाक दूर से ये सामान मंगवायेगा, जिससे उसकी लागत भी बढ़ जायेगी। जिसका दबाव निश्चित रूप से पहले से ही चरमराई अर्थव्यवस्था पर ही पड़ेगा। देश की अर्थव्यस्था डायलिसिस पर है और इमरान खान सेना को सतर्क रहने और परमाणु शक्तियों के जुमले दोहरा रहे हैं। इसके बावजूद भारत ने पाक के कदमों पर सधी हुई प्रतिक्रिया दी है। भारत ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि पाक की दलीलें जमीनी हकीकत से मेल नहीं खातीं। गुरुवार को विदेश मंत्रालय ने जारी एक बयान में पाक द्वारा लिये गये एकतरफा फैसलों पर खेद जताया। साथ ही इस बात पर भी बल दिया कि फैसलों पर पुनर्विचार करते हुए कूटनीतिक संपर्क की गुंजाइश बनी रहनी चाहिए। विदेश मंत्रालय ने इस मुद्दे को भारतीय संविधान व संप्रभुता से जुड़ा मसला बताते हुए कहा कि यह निर्णय कश्मीर के आर्थिक विकास को गति देने तथा लैंगिक व सामाजिक असमानता दूर करने का प्रयास है, जिसे नकारात्मक नजरिये से नहीं देखा जाना चाहिए। साथ ही चेताया भी है कि इन भावनाओं का उपयोग सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिये नहीं किया जाना चाहिए। यह भी कि डर फैलाकर दखल देने की कोशिशें कामयाब नहीं होने दी जायेंगी।
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