आखिर कैसे उतरेगा चंद्रमा पर यान
विचार : देश का अहम मिशन चंद्रयान—दो सफलतापूर्वक रास्ते में है, सात सितम्बर 2019 को चांद पर यान उतरेगा। चांद की कक्षा में पहुंचते ही वैज्ञानिकों ने हर्ष जताया। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र के निदेशक के. शिवन ने कहा कि चंद्रयान—दो पृथ्वी की सतह छोड़कर चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया है। जैसा कि ज्ञात है कि धरती और चंद्रमा के बीच की दूरी करीब तीन लाख 84 हजार किलोमीटर है। चंद्रयान-2 में लैंडर-विक्रम और रोवर-प्रज्ञान चंद्रमा तक जाएंगे। चांद की सतह पर उतरने के 4 दिन पहले रोवर 'विक्रम' उतरने वाली जगह का मुआयना करना शुरू करेगा।
लैंडर यान से डिबूस्ट होगा। 'विक्रम' सतह के और नजदीक पहुंचेगा। उतरने वाली जगह की स्कैनिंग शुरू हो जाएगी और फिर 6 से 8 सितम्बर के बीच शुरू होगी लैंडिंग की प्रक्रिया। लैंडिंग के बाद 6 पहियो वाला प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से अलग हो जाएगा। इस प्रक्रिया में चार घंटे का समय लगेगा। यह एक सेमी प्रति सेकेंड की गति से बाहर आएगा। 14 दिन यानी 1 लूनर डे के अपने जीवनकाल के दौरान रोवर 'प्रज्ञान' चांद की सतह पर 500 मीटर तक चलेगा। यह चांद की सतह की तस्वीरें और वहां मौजूद खनिज की मौजूदगी का पता लगाएगा। वहीं इसरो के निदेशक के शिवन ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टच लैंडिंग देखने के लिए आमंत्रित किया गया है।
लैंडर यान से डिबूस्ट होगा। 'विक्रम' सतह के और नजदीक पहुंचेगा। उतरने वाली जगह की स्कैनिंग शुरू हो जाएगी और फिर 6 से 8 सितम्बर के बीच शुरू होगी लैंडिंग की प्रक्रिया। लैंडिंग के बाद 6 पहियो वाला प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से अलग हो जाएगा। इस प्रक्रिया में चार घंटे का समय लगेगा। यह एक सेमी प्रति सेकेंड की गति से बाहर आएगा। 14 दिन यानी 1 लूनर डे के अपने जीवनकाल के दौरान रोवर 'प्रज्ञान' चांद की सतह पर 500 मीटर तक चलेगा। यह चांद की सतह की तस्वीरें और वहां मौजूद खनिज की मौजूदगी का पता लगाएगा। वहीं इसरो के निदेशक के शिवन ने यह भी बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को टच लैंडिंग देखने के लिए आमंत्रित किया गया है।
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