खतरनाक बीमारी अल्जाइमर से रहें सावधान

स्वास्थ्य : नियमित तौर पर व्यायाम करने से अल्जाइमर के आनुवांशिक खतरे को भी कम करने में मदद मिलती है। अल्जाइमर एक दिमागी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति की याददाश्त कमजोर हो जाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि नियमित व्यायाम की मदद से ऐसे लोग भी खतरे को कम कर सकते हैं, जिनमें आनुवांशिक कारणों से पहले से ही अल्जाइमर की आशंका रहती है। अध्ययन के दौरान वैज्ञानिकों ने अलग-अलग वर्ग और आनुवांशिक स्थिति वाले लोगों को शामिल किया। शोधकर्ता ओजिओमा ओकोंक्वो ने कहा, ‘हमें यह प्रमाण मिला है कि शारीरिक सक्रियता के जरिये ऐसे खतरों से भी बचा जा सकता है, जिनके बारे में धारणा थी कि इनसे बचना संभव नहीं है। अल्जाइमर का आनुवांशिक खतरा इसी श्रेणी में आता है। व्यायाम ऐसे खतरे को कम करने में भी सक्षम है।’ अल्जाइमर्स डिजीज डिमेंशिया का ही एक प्रकार है। डिमेंशिया की तरह अल्जाइमर्स में भी मरीज को किसी भी वस्तु, व्यक्ति या घटना को याद रखने में परेशानी महसूस होती है और अपनी भावनाओं को व्यक्त करने में भी दिक्कत महसूस होती है। आइए जानते हैं इस मर्ज के विभिन्न पहलुओं के बारे में। अल्जाइमर भूलने की बीमारी है। इसके लक्षणों में याददाश्त की कमी होना, निर्णय न ले पाना, बोलने में दिक्कत आना आदि शामिल हैं। रक्तचाप, मधुमेह, आधुनिक जीवनशैली और सिर में चोट लग जाने से इस बीमारी के होने की आशंका बढ़ जाती है। 60 वर्ष की उम्र के आसपास होने वाली इस बीमारी का फिलहाल कोई स्थाई इलाज नहीं है। उम्र बढ़ने के साथ तमाम लोगों में मस्तिष्क की कोशिकाएं (न्यूरॉन्स) सिकुड़ने लगती हैं। नतीजतन न्यूरॉन्स के अंदर कुछ केमिकल्स कम हो जाते हैं और कुछ केमिकल्स ज्यादा हो जाते हैं। इस स्थिति को मेडिकल भाषा में अल्जाइमर्स डिजीज कहते हैं। अन्य कारणों में 30 से 40 फीसदी मामले आनुवांशिक होते हैं। इसके अलावा हेड इंजरी, वायरल इंफेक्शन और स्ट्रोक में भी अल्जाइमर सरीखे लक्षण उत्पन्न हो सकते हैं, लेकिन ऐसे लक्षणों को अल्जाइमर्स डिजीज नहीं कहा जा सकता। ब्रेन सेल्स जिस केमिकल का निर्माण करती हैं, उसे एसीटिलकोलीन कहते हैं। जैसे-जैसे ब्रेन सेल्स सिकुड़ती जाती है, वैसे-वैसे एसीटिलकोलीन के निर्माण की प्रक्रिया कम होती जाती है। 
दवाओं के जरिये एसीटिलकोलीन और अन्य केमिकल्स के कम होने की प्रक्रिया को बढ़ाया जाता है। बढ़ती उम्र के साथ ब्रेन केमिकल्स का कम होते जाना एक स्वाभाविक शारीरिक प्रक्रिया है लेकिन अल्जाइमर्स डिजीज में यह न्यूरो केमिकल कहीं ज्यादा तेजी से कम होता है। मस्तिष्क कोशिकाओं में केमिकल्स की मात्रा को संतुलित करने के लिए दवाओं का प्रयोग किया जाता है। दवाओं के सेवन से रोगियों की याददाश्त और उनकी सूझबूझ में सुधार होता है। दवाएं जितनी जल्दी शुरू की जाएं उतना ही फायदेमंद होता है। दवाओं के साथ-साथ रोगियों और उनके परिजनों को काउंसलिंग की भी आवश्यकता होती है। काउंसलिंग के तहत रोगी के लक्षणों की सही पहचान कर उसके परिजनों को उनसे निपटने की सटीक व्यावहारिक विधियां बतायी जाती हैं। नए शोध का दावा है कि भारत में आमतौर पर इस्तेमाल होने वाली हल्दी से बढ़ती उम्र में स्मृति को बेहतर करने के साथ ही भूलने की बीमारी अल्जाइमर के खतरे को कम किया जा सकता है। अमेरिकी शोधकर्ताओं ने डिमेंशिया पीड़ितों के मस्तिष्क पर करक्यूमिन सप्लीमेंट के प्रभाव पर गौर किया। करक्यूमिन हल्दी में पाया जाने वाला एक रासायनिक कंपाउंड है। पूर्व के अध्ययनों में इस कंपाउंड के सूजन रोधी और एंटीआक्सीडेंट गुणों का पता चला था। संभवत: यही कारण है कि भारत के बुजुर्गों में अल्जाइमर की समस्या कम पाई जाती है।

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