क्या आपको पता है कि मंदिर में घंटियां क्यों लगायी जाती हैं
आस्था : देश में इतने अधिक मंदिर हैं कि उनकी गिनती करना मुश्किल है। लेकिन मंदिर में प्रवेश करते ही वहां बहुत सारी घंटियां लटकी होती हैं, मंदिर में लगी इन घंटियों का क्या मतलब होता है? मंदिर के द्वार पर और विशेष स्थानों पर घंटी या घंटे लगाने का प्रचलन प्राचीन काल से ही रहा है, लेकिन इस घंटे या घंटी लगाने का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व क्या है? एक तरफ जहाँ इसके कुछ आध्यात्मिक कारण हैं तो दूसरी तरफ इसके कुछ वैज्ञानिक कारण भी हैं। दरअसल जब हम मंदिर में प्रवेश करते हैं, तब मंदिर का वातावरण काफी शांत और शुद्ध होता है। यही वजह है कि मंदिर में प्रवेश करते ही हमारे मन को काफी सुकून मिलता है। इसके इलावा मंदिर जाने के बाद व्यक्ति कुछ समय के लिए सभी सांसारिक परेशानियों से मुक्त हो जाता है। इस दौरान व्यक्ति के मन में चल रहे सभी विचार कुछ समय के लिए शांत हो जाते हैं।
गौरतलब है कि मंदिर के वातावरण को शुद्ध करने में वहां मौजूद घंटियों का भी काफी बड़ा योगदान होता है। जब व्यक्ति मंदिर जाता है, तब घंटी बजाने के बाद ही अपनी पूजा शुरू करता है। हालांकि आज के समय में भले ही मंदिर के चारो तरफ दीवारें बना दी गई हो, लेकिन पहले के समय मंदिर चारो तरफ से खुला होता था। जिसके कारण वहां कई जानवर भी घुस आते थे गौरतलब है कि इसी परेशानी से बचने के लिए मंदिर में घंटिया लगाई जाती थी. दरअसल जानवर घंटियों की तेज आवाज सुन कर डर जाते थे और वहां से भाग जाते थे. यही इसका एक वैज्ञानिक कारण भी है। इसके अलावा वैज्ञानिकों का मानना है कि घंटियों से निकलने वाली तरंगें मानव मस्तिष्क के लिए काफी अच्छी होती है। यही वजह है कि मंदिर में लगी घंटिया लोहे और ताम्बे की धातु से बनी होती है, जो व्यक्ति के अंदर की नकारात्मक ऊर्जा को खत्म कर देती हैं। और सकारात्मक उर्जा का संचार करती हैं। मंदिर की घंटियों की आवाज से मन शांत हो जाता है। इतना ही नहीं मंदिर में घंटा बजाकर जाने से हम भगवान को अपनी आस्था उन तक पहुंचाते हैं। यह एक प्रकार से भगवान से गुहार लगाने जैसा भी है। कुछ पंडित यह भी कहते हैं कि वायुमंडल में मौजूद सूक्ष्म जीव मंदिर की घंटियों की आवाज से मर जाते हैं और पर्यावरण शुरू होता है।
गौरतलब है कि मंदिर के वातावरण को शुद्ध करने में वहां मौजूद घंटियों का भी काफी बड़ा योगदान होता है। जब व्यक्ति मंदिर जाता है, तब घंटी बजाने के बाद ही अपनी पूजा शुरू करता है। हालांकि आज के समय में भले ही मंदिर के चारो तरफ दीवारें बना दी गई हो, लेकिन पहले के समय मंदिर चारो तरफ से खुला होता था। जिसके कारण वहां कई जानवर भी घुस आते थे गौरतलब है कि इसी परेशानी से बचने के लिए मंदिर में घंटिया लगाई जाती थी. दरअसल जानवर घंटियों की तेज आवाज सुन कर डर जाते थे और वहां से भाग जाते थे. यही इसका एक वैज्ञानिक कारण भी है। इसके अलावा वैज्ञानिकों का मानना है कि घंटियों से निकलने वाली तरंगें मानव मस्तिष्क के लिए काफी अच्छी होती है। यही वजह है कि मंदिर में लगी घंटिया लोहे और ताम्बे की धातु से बनी होती है, जो व्यक्ति के अंदर की नकारात्मक ऊर्जा को खत्म कर देती हैं। और सकारात्मक उर्जा का संचार करती हैं। मंदिर की घंटियों की आवाज से मन शांत हो जाता है। इतना ही नहीं मंदिर में घंटा बजाकर जाने से हम भगवान को अपनी आस्था उन तक पहुंचाते हैं। यह एक प्रकार से भगवान से गुहार लगाने जैसा भी है। कुछ पंडित यह भी कहते हैं कि वायुमंडल में मौजूद सूक्ष्म जीव मंदिर की घंटियों की आवाज से मर जाते हैं और पर्यावरण शुरू होता है।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें