ऐसे ही बढ़ता रहा प्रदूषण तो जल्द ही खत्म हो जायेगा जीवन!
विचार। दुनिया में केवल 10 फीसदी लोग ग्लोबल वार्मिंग से जुड़ी ग्रीन हाउस गैसों की अधिकतर मात्रा के उत्सर्जन के लिए ज़िम्मेदार हैं, लेकिन उसका नुक़सान पूरी दुनिया, ख़ास तौर से गरीब देशों व गरीब लोगों को उठाना पड़ रहा है। सर्वे में पता चला है कि वायु प्रदूषण का हानिकारक असर उन लोगों के हृदय पर भी पड़ सकता जो पहले से ही उच्च रक्तचाप और किडनी की बीमारी से ग्रस्त हैं। सीकेडी यानी क्रॉनिक किडनी डिजीज के साथ उच्च रक्तचाप की बीमारी से ग्रस्त वयस्कों में ग्लेसिटीन-3 के लेवल में वृद्धि का सम्बन्ध वायु प्रदूषण के संपर्क से हैं, जिसमें हार्ट के भीतर निशान बन जाते हैं, स्टडी के नतीजों को अमेरिकन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी किडनी वीक-2021 में ऑनलाइन प्रकाशित किया गया है। मायोकार्डियल फाइब्रोसिस तब होता है जब हृदय की फाइब्रोब्लास्ट नामक कोशिका कोलेजेनेस निशान ऊतक पैदा करने लगती हैं, इससे हार्ट बीट रुक सकती है और मौत हो सकती है। बीते रविवार यानि 7 नवम्बर 2021 को भी राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में वायु प्रदूषण ‘खतनाक’ स्तर पर मापा गया। दिल्ली के आईटीआई जहांगीर पुरी इलाके में एयर क्लालिटी लेवल खतरनाक स्तर पर पहुंच गया। भारत और दूसरे विकासशील देशों में लोगों की ग़रीबी, घनी आबादी के मुक़ाबले साधनों की कमी और जनसंख्या के एक बड़े हिस्से की खेती, पशुपालन व दूसरे प्राकृतिक संसाधनों पर निर्भरता की वजह से जलवायु परिवर्तन का असर सबसे ज्यादा होता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसे विकसित और विकासशील देशों के बीच के अन्याय के रूप में देखा जाता है। दुनिया के देशों को प्रकृति के साथ चलना होगा, तभी ब्रह्मांडा का कल्याण होगा। स्वार्थ साधना की आंधी में मनुष्य को वसुधा का कल्याण नहीं भूलना चाहिए। प्रकृति के साथ चलेंगे तो सभी जीव सुखी रहेंगे। प्रकृति के साथ यानि सूर्य की तरह हमें भी चक्कर लगाना चाहिए, यानि कि सूर्य देता बहुत कुछ है धरती को, लेकिन लेता कुछ भी नहीं। प्रदूषण कम करने के लिए मशीनों पर निर्भरता समाप्त करना होगा, मशीनीकरण खत्म करना होगा।
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