खुद के लिये नहीं किया जाता विद्या का प्रयोग

बोधकथा। एक गांव मे एक व्यक्ति पशु, पक्षियों का व्यापार किया करता था। उसे मालूम हुआ कि उसके गुरू को पशु, पक्षियों की बोली लगाने की अच्छी विद्या आती है, वह पहुंच गया गुरु के पास और जाते ही गुरु की सेवा करने लगा तो उसने कहा कि मुझे पशु, पक्षियों के व्यापार करने की विद्या बता दो, जिससे मुझे अच्छा मुनाफा हो सके। गुरु ने कहा—ठीक है, लेकिन एक बात ध्यान रखना कि कभी भी इस विद्या का प्रयोग अपने फायदे के लिए मत करना, व्यापारी ने कहा—ठीक है गुरु जी। व्यापारी जैसे ही घर पहुंचा कबूतर उससे कहता है कि दो दिन बाद बैल मरने वाले हैं, वह सुनते ही बैलों को बेच देता है। उसे अच्छा मुनाफा होता है। दूसरे दिन एक चिड़िया कहती है कि मुर्गियां मरने वाली हैं, उसने सारी मुर्गियां अच्छे दामों पर बेच दी। एक बार बिल्ली ने कहा कि तुम मरने वाले हो, तो व्यापारी परेशान हो जाता है और गुरु के पास जाता है और कहता है कि मै मरने वाला हूं। इस पर गुरु कहते हैं कि मैंने पहले कहा था कि इस विद्या का प्रयोग कभी खुद की भलाई के लिए मत करना। खुद के मुनाफे के लिए कभी मत करना। विद्या की हमेशा एक खासियत होती है, उसे कभी अपने लिए नहीं प्रयोग किया जाता।

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