अमेजन के जंगल में घट रहा पक्षियों का आकार
विश्लेषण। अमेजन जंगल का अधिकतर करीब साठ प्रतिशत हिस्सा ब्राजील में पड़ता है, पेरू में 13 प्रतिशत, कोलंबिया में 10 फीसदी, बाकी का हिस्सा वेनेजुएला, इक्वेडोर, बोलीविया, गयाना, सूरीनाम आ फ्रांस में बंटे हैं। अमेजन के जंगलों में काले कैमान, जगुआर, कौगर, और एनाकोंडा जैसे विशालकाय सांपों का बसेरा है। अमेजन मे कई प्रकार की आदिवासी जनजातियां भी पायी जाती हैं, जो कि सिर्फ अमेजॉन के जंगलों पर ही निर्भर हैं और यह प्रजाति विश्व में अन्यत्र कही और नहीं पायी जाती| अमेजन के जंगल में अनेक पक्षी पाए जाते हैं जिनमें प्रमुख रूप से गुंजन पक्षी, टूकन, रंगीन पक्षित वाले पक्षी एवं भोजन के लिए बड़ी चोंच वाले पक्षी मुख्य हैं। प्राणि वैज्ञानिकों ने अकेले ब्राजील में 96 हजार 660 और 1 लाख 28 हजार 843 अकशेरुकी प्रजातियों के बीच का वर्णन किया है। वहीं दूसरी ओर खबरों के अनुसार अमेजन के जंगल में भी जलवायु परिवर्तन का असर हो रहा है। अमेजन में पक्षियों के शरीर का आकार घट रहा है और उनके पंखों का फैलाव बढ़ रहा है। एक साइंस पत्रिका में छपे नए शोध के नतीजों में दावा किया गया है कि पिछले चार दशकों में ज्यादा गर्म और सूखे मौसम की वजह से अमेजन के जंगलों के अंदर रहने वाले पक्षियों पर यह असर पड़ रहा है। शोध के मुख्य लेखक वितेक जिरिनेक हैं। जिरिनेक इंटीग्रल इकोलॉजी रिसर्च सेंटर में इकोलॉजिस्ट हैं, अपने सहयोगियों के साथ मिलकर उन्होंने 40 सालों की अवधि में 15 हजार से भी अधिक पक्षियों को पकड़ा व उनकी लम्बाई नापी, उनका वजन लिया और उन्हें टैग किया। जिरिनेक ने पाया कि लगभग सभी पक्षी 1980 के दशक के मुकाबले हल्के हो गए हैं, अधिकांश प्रजातियों ने हर दशक में औसतन अपने शरीर के वजन का दो प्रतिशत गंवा दिया। इसका मतलब है, कोई प्रजाति जिसका वजन 1980 के दशक में 30 ग्राम रहा होगा उसका अब औसत वजन 27.6 ग्राम होगा, यह डेटा जंगल में किसी एक विशेष स्थान से नहीं लिया गया बल्कि एक बड़े इलाके से लिया गया, इसका मतलब है कि यह लगभग हर जगह ही जलवायु परिवर्तन का असर पड़ रहा है। वैज्ञानिकों ने 77 प्रजातियों की पड़ताल की जो जंगल की ठंडी, अंधेरी जमीन से लेकर सूर्य की रोशनी में नहाए वनस्पति के मध्य भाग में रहते हैं। ऊर्जा की चुनौतियां इस मध्य भाग में जो पक्षी सबसे ऊपर की तरफ रहते हैं, ज्यादा उड़ते हैं और ज्यादा देर तक गर्मी का सामना करते हैं उनके वजन में और उनके पंखों के आकार में सबसे ज्यादा बदलाव आए। टीम ने अनुमान लगाया कि ऐसा ऊर्जा की चुनौतियों की वजह से हुआ होगा। जिरिनेक ने अनुसार जलवायु परिवर्तन की वजह से छोटे आकार फायदेमंद होगा इसकी तो अच्छी सैद्धांतिक व्याख्या है, लेकिन पंखों के बड़े होने को समझना ज्यादा मुश्किल है।
लम्बे पंख और कम वजन-पंख अनुपात की वजह से उड़ान ज्यादा अच्छी रहती है, ठीक वैसे जैसे लम्बे पंखों वाले एक पतले जहाज को उड़ने के लिए कम ऊर्जा चाहिए होती है। वजन और पंखों का अनुपात अगर ज्यादा होगा तो पक्षी को उड़ते रहने के लिए पंख और तेजी से फड़फड़ाने पड़ेंगे, उसे और ऊर्जा की जरूरत होगी और वो और ज्यादा मेटाबॉलिक गर्मी पैदा करेगा। यह बदलाव प्राकृतिक चुनाव की वजह से होने वाले जेनेटिक बदलावों की वजह से हो रहे हैं या ये उपलब्ध संसाधनों के आधार पर विकास के अलग अलग पैटर्न के नतीजे हैं। एवल्यूशन छोटे अंतरालों में भी होता है इसके अच्छे प्रमाण उपलब्ध हैं, इस तरह के तेज उत्पत्ति का एक उदाहरण हैै। वहीं दूसरी ओर अध्ययन के सह-लेखक और लूसियाना स्टेट यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक फिलिप स्टोफर ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं है कि यह सिर्फ चिड़ियों के साथ नहीं बल्कि हर जगह हो रहा है। बता दें कि अभी यूनाइटेड स्टेट के ग्लासगो शहर में जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर विश्व नेताओं ने अपनी राय रखी और चिंता जताई, लेकिन अधिक कार्बन पैदा करने वाला चीन जलवायु मुद्दे पर हिस्सा नहीं लिया, जिसे वैश्चिक नेताओं ने गम्भीरता से लिया।
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