चरित्र से होती है व्यक्ति की पहचान

बोधकथा। एक बार की बात है स्वामी विवेकानंद के विदेशी मित्र ने उनके गुरु रामकृष्ण परमहंस से मिलने के लिये निवेदन करते हुये कहा कि वह उस महान व्यक्ति से मिलना चाहता है। जिसने आप जैसे महान व्यक्तित्व का निर्माण किया। जब स्वामी विवेकानंद ने उस मित्र को अपने गुरु से मिलवाया तो वह मित्र, स्वामी रामकृष्ण परमहंस के पहनावे को देखकर आश्चर्यचकित हो गया। उसने कहा “यह व्यक्ति आपका गुरु कैसे हो सकता है, इनको तो कपड़े पहनने का भी ढंग नहीं है”। तो स्वामी विवेकानंद ने बड़ी विनम्रता से कहा– “मित्र आपके देश में चरित्र का निर्माण एक दर्जी करता है लेकिन हमारे देश में चरित्र का निर्माण आचार-विचार करते है|” व्यक्ति की पहचान कपड़ों से नहीं, बल्कि उसके बुद्धि, विचार और चरित्र से होती है।

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