कोरोना के नये वैरिएंट से फिर मचा हाहाकार
विचार। कोरोना के नये वैरिएंट को लेकर विश्व समुदाय में फिर बेचैनी है। इस नए वैरिएंट और इसके खतरे को देखते हुए कई देशों ने यात्राओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। कोरोना वायरस के नए वेरिएंट बी-1-1-529 को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने चीन के डर से ओमीक्रोन नाम दिया है। वहीं भारत की बात करें तो भारत के कई राज्यों में कोरोना के मामले बहुत ही तेजी से बढ़े हैं, कोरोना के बढ़े मामलों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चिंता जताई और सतर्क रहने की हिदायत दी। नया कोरोना वैरिएंट दक्षिण अफ्रीका, यूरोप, इजराइल समेत कई देशों में पहुंच गया है। इस वायरस को रोकने के लिए यूरोपीय देश की सरकारें फिर से सख्त नियम लागू करने की पक्रियाएं शुरू कर दी है, इस सख्ती के विरोध में प्रदर्शन भी हो रहे हैं। जर्मनी के स्वास्थ्य मंत्री जेम्स स्पैन ने चेतावनी देते हुए कहा कि इस साल के अंत तक जर्मनी के लोग या तो पूरी तरह वैक्सीनेटिड हो जाएंगे या ठीक हो जाएंगे या मर जाएंगे। केस बढऩे के कारण बेल्जियम ने मास्क अनिवार्य कर दिया है। लोगों को घर से ही काम करने के निर्देश दिए गए हैं। सख्त नियमों और वैक्सीन के लिए प्रोरित करने वाले सरकारी उपायों के विरोध में ऑस्ट्रिया, क्रोएशिया, बेल्जियम, डेनमार्क, इटली, नीदरलैंड्स में प्रदर्शन किया जा रहा है। प्रदर्शनकारियों का मानना है कि वह सार्वजनिक स्वास्थ्य के नाम पर सामान्य जीवन में दो साल की घुसपैठ से तंग आ चुके हैं। डब्ल्यूएचओ ने आशंका जताई है कि यूरोप में मार्च 2022 तक कोरोना से कुल मौतों का आंकड़ा 20 लाख तक पहुंच सकता है। ब्रिटेन में कोविड तेजी से पांव पसार रहा है। बीते 24 घंटे में करीब 45 हजार नए मामले सामने आये। इटली में दोनों डोज ले चुके लोगों के लिए बूस्टर डोज शुरू कर दी गईं है। दूसरी डोज लेने के पांच महीने बाद यहां लोग बूस्टर डोज ले सकेंगे। वहीं भारत की बात करें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के नये वैरिएंट को लेकर चिंता जाहिर कर चुके हैं, अब नागरिकों को अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी। बीते कोरोना काल में कई स्वास्थ्य कर्मियों की जानें जा चुकी हैं, यही कारण है कि भारत में अस्पतालों की कमी के साथ डॉक्टरों की भी कमी महसूस की जा रही है। हालांकि केंद्र में भाजपा की मोदी सरकार नागरिकों के स्वास्थ्य, अस्पतालों और एम्स पर अधिक ध्यान दिया है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आयुष्मान योजना की शुरुआत की। आयुष्मान भारत के तहत दूसरा घटक प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना है जिसे लोग (पीएम-जय) के नाम जानते हैं। यह योजना 23 सितम्बर 2018 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रांची, झारखंड में शुरू किया था। आयुष्मान भारत विश्व की सबसे बड़ी स्वास्थ्य आश्वासन योजना है, जिसका उद्देश्य प्रति परिवार प्रति वर्ष 5 लाख रुपये तक का मुफ्त इलाज किया जाता है। आयुष्मान योजना को पहले राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के नाम से जाना जाता था। आयुष्मान योजना पूरी तरह से एक सरकार द्वारा वित्त-पोषित योजना है, कार्यान्वयन की लागत केंद्र और राज्य सरकारों के बीच बांटी गई है। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बीते अक्टूबर महीने में वाराणसी में आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन राष्ट्र को समर्पित किया। इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि शरीर को स्वस्थ रखने का निवेश सर्वोत्तम है। आजादी के बाद स्वास्थ्य सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया गया। जिनकी लम्बे समय से सरकार रही, उन्होंने जनता को स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित रखा। गांव से लेकर शहर तक स्वास्थ्य सुविधाओं की हालत बेहद खराब रही। मरीज और उसका परिवार परेशानियों से जूझता रहता था। हेल्थ केयर सिस्टम की कमी ने गरीब और मध्यम वर्ग को परेशान किया। इसी समस्या का समाधान है हेल्थ मिशन। आने वाले चार, पांच वर्षों में गांव, ब्लॉक, जिला, शहर, महानगर तक क्रिटिकल केयर यूनिट को सशक्त किया जाएगा। पहाड़ी राज्य और पूर्वी देश के राज्यों पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है। गांव और शहरों में हेल्थ और वेलनेस सेंटर खोले जा रहे हैं। समय से बीमारियों का पता चलेगा तो इलाज में आसानी होगी। 24 घंटे चलने वाले इमरजेंसी ऑपरेशन सेंटर तैयार किए जाएंगे। देश में 80 वायरल डायग्नोस्टिक लैब हैं और इनको और सशक्त बनाया जाएगा। आयुष्मान हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन के माध्यम से स्वास्थ्य सुविधाओं को विकसित किया जाएगा। आजादी के 70 साल बाद जितने डॉक्टर निकले हैं, उससे कहीं अधिक आने वाले दस वर्षों में मिलेंगे। मोदी सरकार ने आगामी कुछ वर्षों में स्वास्थ्य पर सार्वजनिक खर्च को करीब दोगुना किया है। बड़ी संख्या में मेडिकल कॉलेज खोले जा रहे हैं ताकि डॉक्टरों, नर्सों आदि की कमी को पूरा किया जा सके। सस्ती दरों पर दवा मुहैया कराने की योजना भी चलायी गयी है, राज्य सरकारें भी प्रयासरत हैं। राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति और मिशन के जरिये देश में नागरिक स्वस्थ रहेंगे, ऐसी उम्मीद है। सर्वविदित है कि मोदी सरकार देश के नागरिकों को स्वस्थ देखना चाहते हैं, यही कारण रहा है कि नरेंद्र मोदी प्रधानमंत्री बनते ही 27 सितम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग के फायदों पर प्रकाश डाला था। उस समय संयुक्त राष्ट्र में भारत के राजूदत रहे अशोक मुखर्जी ने विश्व योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा और 11 दिसम्बर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में 193 सदस्यों ने 21 जून को विश्व योग दिवस मनाने के प्रस्ताव को मंजूरी दी। ग्लोबल हेल्थ एंड फॉरेन पॉलिसी के एजेंडे के तहत अपनाए गए प्रस्ताव में स्वीकार किया गया कि योग स्वास्थ्य और कल्याण के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है और इसके लाभों के बारे में जानकारी का व्यापक प्रसार दुनिया के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होगा। बताते चलें कि दुनिया में बुराई है तो भारत भी इससे अछूता नहीं रह सकता, फिर भी भारत विश्व के कल्याण के लिये तत्पर है। विश्व समुदाय को यह समझ लेना चाहिए कि विश्व का कल्याण भारत से ही हो सकता है, जब तक विश्व में भारतीय शैली नहीं अपनाई जाएगी, नई-नई बीमारियां पैदा होती रहेंगी, मनुष्य तड़प-तड़प कर मरता रहेगा। इतिहास गवाह है कि जितनी भी गम्भीर बीमारियां फैली हैं वह विदेशों से फैली, अनियमित जीवनशैली और प्रकृति से खिलवाड़ करने का नतीजा है। विश्व समुदाय नहीं सुधरा तो मानव सभ्यता पर हमेशा खतरा मंडराता रहेगा।
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