जीवन का सुख
बोधकथा : मूक सिनेमा के दौर में मेरी पिकफोर्ड नामक अभिनेत्री को पैसे और ख्याति की कोई कमी नहीं थी, मगर उसके मन में शांति नहीं थी। इसलिए वह अक्सर धार्मिक आयोजनों में हिस्सा लेती रहती थी। एक बार एक कार्यक्रम में उसकी मुलाकात एक अधेड़ विधवा से हुई। उस महिला की जिंदादिली ने मेरी पिकफोर्ड को प्रभावित किया। मेरी ने उससे पूछा-आपकी शांति और संतुष्टि का रहस्य क्या है। उस महिला ने सहजता से मुस्कुराते हुए बताया कि विशाल समुद्र का सारा पानी भी एक जहाज को नहीं डुबो सकता। उस जहाज का तभी डूबना संभव होगा जब समुद्र का पानी जहाज के भीतर प्रवेश करने लगे। इसी तरह से दु:ख और दर्द भी किसी व्यक्ति को तभी व्यथित करते हैं जब वह व्यक्ति के अंतर्मन को स्पर्श करते हुए उसके भीतर प्रवेश करने लगते हैं। जब मेरे पति का देहान्त हुआ तो मैंने रोने-धोने के बजाय तय किया कि मैं अपने मस्तिष्क में नकारात्मक विचारों को आने ही नहीं दूंगी और दिन भर सकारात्मक सोच वाले लोगों के संपर्क में रहूंगी। आप भी एक बार भविष्य की चिंता किए बगैर वर्तमान में जीकर देखिए, आपको भी सब ओर सुख-शांति और अपनेपन का एहसास मिलेगा।
टिप्पणियाँ
एक टिप्पणी भेजें