मृत्यु की बात
बोधकथा : स्वामी रामतीर्थ पहली बार विदेश यात्रा पर निकले। जिस जहाज में वे सवार थे, उस पर एक 90 साल का बूढ़ा जापानी भी यात्रा कर रहा था। जहाज के एक कोने में बैठकर वह चीनी भाषा सीख रहा था। चीनी भाषा सीखना कोई आसान काम नहीं। इस भाषा की लिपि चित्रों से सीखी जाती है। स्वामी जी उसके पास गये और उससे बोले-क्षमा करना महाशय, जिस भाषा को आप सीख रहे हैं, उसे कब तक सीख पाओगे? यदि सीख भी ली तो क्या इसके इस्तेमाल तक आप जीवित रह पायेंगे? बूढ़े जापानी ने जवाब दिया-मैं जिंदगी में इतना व्यस्त रहा कि मुझे उम्र का हिसाब रखने की फुर्सत ही नहीं मिली। उम्र का भी क्या हिसाब लगाना? आज तक तो मौत मेरा कुछ बिगाड़ नहीं सकी, आगे क्या बिगाड़ लेगी? रामतीर्थ ने कहा-मृत्यु तुम्हारे निकट खड़ी है। वृद्ध ने उत्तर दिया-जब सीखना बंद कर दूंगा तब सोचूंगा मृत्यु के बारे में। बूढ़े जापानी ने रामतीर्थ से पूछा कि आपकी उम्र क्या है? रामतीर्थ बोले-तीस साल। जापानी बोला-जब कोई 30 साल का आदमी मृत्यु की बातें करता है तो समझो वह मर गया और मरा हुआ आदमी कभी कुछ नहीं सीख पाता।
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