गधे और टिड्डे की दोस्ती
प्रेरक कथा। एक जंगल में एक गधा रहता था। एक दिन वह घास चर रहा था की उसने घास में रहने वाले टिड्डे को मीठे सुर में गुनगुनाते सुना। गधा घास चरना छोड़कर तुरंत टिड्डे के पास जाकर बोला, दोस्त! तुम तो बहुत मीठा गाते हो। गधा ने कहा,” दोस्त! आपकी आवाज बहुत मीठी सुनाई देती है। टिड्डा बोला, तुमने मुझे दोस्त कहा है, इसलिए मैं तुम्हे अपनी मीठी आवाज का राज जरूर बताऊंगा। मैं सिर्फ ओस की बूंदे खाता हूं, इसलिए मेरी आवाज मीठी है। गधे ने कहा, ठीक है, आज से मैं भी वही खाऊंगा। उस दिन से गधे ने घास खाना छोड़ दिया और बस ओस वाली बूंदे खाने लगा। इससे आवाज में तो कोई बदलाव नहीं आया लेकिन वह बहुत दुबला, कमजोर होने के कारण बीमार हो गया। इस कहानी से शिक्षा मिलती है कि ईश्वर ने सभी को अलग अलग बनाया है। अपने गुणों के सहारे आगे बढ़ना चाहिए।
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