कश्मीर क्रांति से लेकर नागरिकता क्रांति तक मोदी सरकार के ऐतिहासिक फैसले
विचार। नरेंद्र मोदी सरकार देश को सुदृढ़ बनाने के लिये दृढ़ संकल्प है। प्रधानमंत्री बनते ही नरेंद्र मोदी ने एक से बढ़कर एक फैसले लिये, जिससे देश को बहुत अधिक मजबूती मिली। नरेंद्र मोदी देश के लिये जीते हैं, देश यानि देश में रहने वाले लोग। जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया, मोदी सरकार की नागरिकता क्रांति, अयोध्या विवाद का अंत, तीन तलाक का खेल खत्म, आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस, देश में स्वच्छता की अलख जगाने जैसे कई ऐसे फैसले हैं, जिससे सीधे आम आदमी लाभान्वित होता ही है, साथ ही देश के सभी वर्गों को मोदी सरकार की तरफ से हर तरह का पूरा सहयोग दिया जा रहा है। मई 2021 को मोदी सरकार ने सात साल पूरे किये हैं। इन सात सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऐसे कई निर्णय लिए जिसने देश की छवि ही बदलकर रख दी। स्वच्छ भारत से लेकर स्वस्थ भारत तक और कश्मीर क्रांति से लेकर नागरिकता क्रांति तक मोदी सरकार ने कई ऐतिहासिक फैसले लिए। ऐसे विवादित फैसले जो दशकों तक अटके हुए थे, जिन्हें जानबूझकर लटकाया गया था। जिन विवादित मुद्दों को पिछली सरकारों ने छूने तक की हिम्मत नहीं दिखाई, उन्हें मोदी सरकार ने एक झटके में जड़ से खत्म कर दिया। जम्मू कश्मीर 70 साल तक आर्टिकल 370 की जंजीरों में जकड़ा रहा। पिछले साल 5 अगस्त को मोदी सरकार ने कश्मीर को अनुच्छेद 370 से मुक्ति दे दी। इसी के साथ जम्मू-कश्मीर में देश के वो सभी कानून लागू हो गए, जिन्हें 70 साल तक लागू नहीं किया जा सका था। साथ ही जम्मू-कश्मीर का अलग झंडा हटाकर अब वहां के सरकारी दफ्तरों में तिरंगा लहराने लगा। नागरिकता संशोधन बिल अब कानून बन चुका है। नागरिकता संशोधन कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यकों को भारत में नागरिकता का अधिकार मिल गया। यानि इन देशों के हिंदू, सिख, जैन, बौद्ध, पारसी और ईसाई, जो वर्षों से शरणार्थी की जिंदगी जीने को मजबूर थे, उन्हें भारत की नागरिकता प्राप्त करने का अधिकार मिल गया। गुजरात के सबसे लम्बे समय तक मुख्यमंत्री रहने के बाद नरेंद्र मोदी ने सात साल पहले प्रधानमंत्री के रूप में पदभार संभाला। सार्वजनिक पद पर 20 वर्षों के निर्बाध कार्यकाल ने उन्हें विकास पुरुष के रूप में स्थापित किया है। भारतीय मतदाताओं ने मोदी को एक जन-नेता के रूप में तो देखा, लेकिन आर्थिक सुधारों के संदर्भ में उनकी सरकार से शायद अधिक की उम्मीद नहीं की। प्रधानमंत्री मोदी ने न्यूनतम सरकार और अधिकतम शासन के अपने दर्शन के तहत प्रशासन को सुव्यवस्थित किया। उन्होंने भ्रष्टाचार से छुटकारा दिलाया और एक स्वच्छ शासन प्रदान किया। यूपीए के 10 साल के शासन में भ्रष्टाचार, घोटालों और वित्तीय धोखाधड़ी को देखते हुए यह आसान काम नहीं था। डॉ मनमोहन सिंह की सरकार निष्क्रिय भूमिका में थी। उनकी गठबंधन की राजनीति ने प्रशासन को अलग-अलग दिशाओं में खींचा। निश्चित रूप से एक व्यापक प्रशासनिक बदलाव की जरूरत थी। इस संदर्भ में मोदी की सफलताएं सराहनीय हैं। मोदी ने लोगों को निराश नहीं किया। पिछले सात वर्षों में जमीनी स्तर पर उद्यमिता को मजबूत करने के लिए 28.68 करोड़ लाभार्थियों पर 15 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च किये गये, जो कि दुनिया के बैंकिंग इतिहास में अद्वितीय है। यह मोदी युग का एक स्थापित तथ्य है। सैकड़ों उदाहरण दिये जा सकते हैं कि कैसे शासन को जमीनी स्तर पर ले जाया गया और उन सबसे गरीबों को लाभ प्रदान किये गये। कांग्रेस सरकारें लाखों कमजोर लोगों को राहत पहुंचाने के लिए आर्थिक सुधारों को सही दिशा देने में असमर्थ रहीं, लेकिन मोदी युग के आर्थिक सुधार असर दिखा रहे हैं। जन-धन योजना के माध्यम से बैंकिंग सुविधा से वंचित रहे क्षेत्रों में चौबीसों घंटे काम में जुटे 1.26 लाख से अधिक बैंक मित्रों की सहायता से 43.29 करोड़ खाते खोले गये। जब प्रधानमंत्री मोदी ने उज्ज्वला योजना के तहत सभी के लिए ‘स्वच्छ’ रसोई गैस कनेक्शन की घोषणा की, तो बहुत लोगों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया। इसके तहत महिलाओं को 81.665 मिलियन से अधिक रसोई गैस कनेक्शन प्रदान दिये गये। 7 सितंबर, 2021 तक और 16.69 लाख रसोई गैस कनेक्शन प्रदान किये जाने के साथ उज्ज्वला योजना 2.0 भी शुरू की गयी। मनमोहन सिंह ने जहां वृहद-आर्थिक पुनर्गठन से जुड़े मुद्दों को हल करने पर जोर दिया, डिजिटल स्वास्थ्य मिशन का प्रारंभिक चरण छह केंद्रशासित प्रदेशों से शुरू हो रहा है। भारत डिजिटल तकनीक के व्यापक विस्तार के दौर से गुजर रहा है। कोरोना महामारी की रोकथाम और टीकाकरण अभियान में प्रमुखता से इस्तेमाल हो रहीं कोविन, आरोग्य सेतु जैसी पहलों ने हमारे डिजिटल अनुभव को बहुत अधिक बढ़ाया है। कोरोना काल में स्मार्ट फोन के जरिये बड़ी संख्या में लोगों ने संक्रमण संबंधी सलाह लेने के साथ अन्य रोगों के उपचार हासिल किया है। बड़े शहरों में स्थित कुछ अत्याधुनिक अस्पतालों ने अपने रोगियों के लिए सीमित रूप से डिजिटल सूचना संग्रहण की सुविधा मुहैया करायी है तथा कुछ स्टार्ट अप भी इस क्षेत्र में आ रहे हैं। लेकिन भारत सरकार के डिजिटल स्वास्थ्य मिशन से बड़ी तादाद में आम भारतीय तकनीक के विकास का लाभ लेते हुए अपने को स्वस्थ रख सकेंगे। पिछले कुछ वर्षों में स्वास्थ्य सेवाओं पर सरकार ने प्राथमिकता से ध्यान दिया है। आयुष्मान योजना के तहत पचास करोड़ गरीब और निम्न आयवर्गीय आबादी को उत्कृष्ट स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ मिल रहा है। यह जगजाहिर तथ्य है कि गंभीर बीमारियों का इलाज कराना दिन-ब-दिन बेहद महंगा होता जा रहा है। इतना ही नहीं, उपचार के भारी खर्च की वजह से बड़ी संख्या में लोग हर साल गरीबी रेखा से नीचे आ जाते हैं। इस समस्या का बहुत हद तक समाधान आयुष्मान भारत योजना से हो सका है। बता दें हमारा देश उन देशों में शामिल है, जो स्वास्थ्य के मद में अपने सकल घरेलू उत्पादन का बहुत मामूली हिस्सा खर्च करते हैं। यह अभी लगभग सवा फीसदी है। कुछ वर्षों में सरकार ने इसे बढ़ाकर 2.5 प्रतिशत करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। आशा है कि डिजिटल कार्ड इस लक्ष्य को साकार करने में बड़ी भूमिका निभा सकता है। उल्लेखनीय है कि आयुष्मान भारत योजना दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी बीमा योजना है। भारतीय जनता पार्टी के पास ऐसा करिश्माई नेता न मिला है और न मिलेगा, जो सिर्फ और सिर्फ देशहित के फैसले दिन और दिमाग दोनों से लेता है। होना भी यही चाहिए कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ही तरह हम भी को अपने देश से बेहद लगाव रखना चाहिए, देश की आन, बान व शान के लिये जीना चाहिए। याद करें इतिहास कि कैसे हम लोगों ने आजादी पाई। अंगे्रजों व मुगलों ने कैसे हमें बर्बाद करने में कोई कसर नहीं छोड़ी, हमें समझना होगा अपने आप को, हम कौन हैं, हम दूसरों की गुलामी क्यों करें, दूसरे के माता-पिता को अपना क्यों बतायें यानि कि दूसरी की संस्कृति क्यों अपनायें, जब सारी विविधिताओं से भरा अपना सनातनी परम्परा। सनातन धर्म ही विश्व कल्याण कर सकता है और करेगा, ऐसा विश्वास एक-एक भारतवासी के मन में होना चाहिए।
अभिषेक त्रिपाठी
8765587382
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