स्वयं ही दूर करनी होगी अपनी समस्याएं
प्रेरक कथा। एक गरीब युवक था, युवक के माता-पिता बेहद ही गरीब थे। गरीबी की वजह से भोला अक्सर सोचा करता था कि जीवन कितना कठिन है। एक समस्या खत्म नहीं होती तो दूसरी शुरू हो जाती है। पूरा जीवन इन समस्याओं को हल करने में ही निकलता जा रहा है। युवक परेशान होकर एक दिन संत के पास पंहुचा और उन्हें सारी परेशानी बताई कि कैसे मैं अपनी जिंदगी की कठिनाइयों का सामना करूँ? एक परेशानी खत्म होती है तो दूसरी शुरू हो जाती है। संत ने हंसकर बोला कि तुम मेरे साथ चलो मैं तुम्हारी परेशानी का हल बताता हूँ। संत युवक को लेकर एक नदी के किनारे पहुंचे और बोले कि मैं नदी के दूसरी पार जाकर तुमको परेशानी का हल बताऊंगा। यह कहकर साधु नदी के किनारे खड़े हो गए। नदी के किनारे खड़े-खड़े जब बहुत देर हो गयी, भोला बड़ा आश्चर्यचकित होकर बोला कि महाराज हमें तो नदी पार करनी है तो हम इतनी देर से किनारे पर क्यों खड़े हैं। संत ने कहा कि बेटा मैं इस नदी के पानी के सूखने का इंतजार कर रहा हूँ, जब ये सूख जायेगा फिर आराम से नदी पार कर लेंगे। युवक को साधु की बातें मूखर्तापूर्ण लगीं, वह बोला कि महाराज नदी का पानी कैसे सूख सकता है आप कैसी मूखर्तापूर्ण बातें कर रहे हैं। संत फिर हंसकर बोले कि बेटा यही तो मैं तुमको समझाना चाह रहा हूँ, यह जीवन एक नदी है और समस्या पानी की तरह है। जब तुमको पता है कि नदी का पानी नहीं सूखेगा, तो तुमको खुद प्रयास करके नदी को पार करना होगा। वैसे ही जीवन में समस्याएं तो चलती रहेंगी, तुमको अपने प्रयासों से इन परेशानियों से पार पाना है। अगर किनारे बैठ कर नदी का पानी सूखने का इंतजार करोगे तो जीवन भर कुछ नहीं पा सकोगे। पानी तो बहता रहेगा, समस्या तो आती रहेंगी लेकिन आपको नदी की धारा को चीरते हुए आगे जाना होगा, हर समस्या को धराशायी करना होगा, तभी जीवन में आगे बढ़ सकोगे। संत की बात सुनकर युवक खूब परिश्रम के साथ जीवनयापन करने लगा आगे चलकर वह अपने मेहनत के दम पर समृद्ध बन सका।
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