भारत और आसियान के बीच हजारों साल से जीवंत सम्बन्ध रहे हैं : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
विचार। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए आसियान सम्मेलन में हिस्सा लिया। प्रधानमंत्री मोदी १८वें आसियान-भारत सम्मेलन को सम्बोधित करते हुए कहा कि आसियान देशों के साथ भारत के पुराने सम्बन्ध हैं। दुनिया अब भी कोरोना से जूझ रही है। कोरोना काल में भारत को भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। कोरोना महामारी के बाद आर्थिक सुधार सहित महत्वपूर्ण क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय विकास पर भी मंथन किया जाएगा। इतिहास गवाह है कि भारत और आसियान के बीच हजारों साल से जीवंत सम्बन्ध रहे हैं, जिसकी झलक हमारे साझा मूल्य, परम्पराएं, भाषाएं, ग्रन्थ, वास्तुकला, संस्कृति, खान-पान दिखाते हैं। आसियान की यूनिट चार व सेन्ट्रैलिट ४ भारत के लिए सदैव महत्वपूर्ण प्राथमिकता रही है। कोरोना काल में आपसी सम्बन्ध और मजबूत हुए हैं। कोरोना महामारी के कारण सभी को चुनौतियों का सामना करना पड़ा, यह चुनौतीपूर्ण समय भी भारत-आसियान मित्रता की परीक्षा थी। कोरोना काल में हमारा आपसी सहयोग भविष्य में हमारे सम्बन्धों को मजबूत करता रहेगा और हमारे लोगों के बीच सद्भावना का आधार बनेगा। अगले वर्ष भारत की साझेदारी के ३० वर्ष पूरे होंगे भारत की आजादी के भी ७५ वर्ष अगले वर्ष पूरे हो जाएंगे। भारत को इस बात का गर्व और हर्ष है कि इस जरूरी पड़ाव को हम च्आसियान-भारत मित्रता वर्षज् के रूप में मनाएंगे। भारत ने हमेशा ही आसियान के सिद्धांतों का पालन पूरी ईमानदारी से किया है। आसियन सम्मेलन एसे समय हो रहा है जब चीन लगातार अपने कदमों को एशिया समेत दूसरे क्षेत्रों में आगे बढ़ा रहा है। इस सम्मेलन की सबसे खास बात यह भी है कि २०१७ के बाद पहली बार अमेरिकी राष्ट्रपति इस सम्मेलन में हिस्सा लिया। इससे पहले अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस सम्मेलन में भागीदारी की थी, लेकिन उसके बाद वह इस सम्मेलन से अलग हो गये थे। बू्रनेई द्वारा आयोजित १६वें पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन में भी वर्चुअल तौर पर प्रधानमंत्री ने भागीदारी की थी। उन्होंने अपने एक ट्वीट में ये भी लिखा है कि वो आसियान सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए काफी उत्सुक हैं। पूर्वी एशिया शिखर सम्मेलन के दौरान अपने संबोधन में उन्होंने एक लचीली वैश्विक चेन श्रृंखला के महत्व पर जोर दिया। उधर, उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव नजदीक है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे का राजनीतिक जानकार विश्लेषण कर रहे हैं। राजनीतिक जानकारों के अनुसार भाजपाइयों को विसवास है कि नरेंद्र मोदी जैसी शख्सियत का सप्ताह भर में दो बार आने का असर आगामी विधानसभा चुनाव में जरूर दिखाई देगा। इससे पार्टी के चुनावी अभियान को और रफ्तार मिली है। अभियान के प्रति कार्यकर्ताओं का समर्पण भी बढ़ा है। भाजपाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक-एक वाक्य को संदेश मानकर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिये कमर कस ली है। जानकार का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को दो बार उत्तर प्रदेश आने की जरूरत नहीं थी। वह चाहते तो कुशीनगर एयरपोर्ट पर वहां के मेडिकल कालेज के लोकार्पण के साथ प्रदेश के बाकी नौ मेडिकल कालेजों का भी लोकार्पण भी कर सकते थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। एक ही तरह के कार्यक्रम के लिये वह छह दिन के अंदर दो बार आये। अगर प्रधानमंत्री एक ही क्षेत्र में सप्ताह में दो बार आ सकते हैं तो कार्यकर्ताओं को भी उत्तर प्रदेश चुनाव में पूरा सौ प्रतिशत देना होगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कार्यक्रम के माध्यम से गोरखपुर और बस्ती मंडल के कार्यकर्ताओं में चुनाव को लेकर जोश भर दिया और यही उनका मकसद भी था, जिसमें वह पूरी तरह सफल हुये।
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