सोशल मीडिया व वीडियो गेम नींद के दुश्मन

जानकारी। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया और उपकरणों के इस्तेमाल से बच्चों- खासकर छह से 15 साल की उम्र के बीच वालों-के सोने में देरी हो रही है और उनकी नींद की गुणवत्ता खराब हो रही है। यूनिवर्सिटी ऑफ साऊथ डेनमार्क के शोधकर्ताओं के एक दल ने पाया कि जहां पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों के मामलों में मीडिया का उपयोग और कम नींद आने की समस्या टेलीविजन और टैबलेट के उपयोग से जुड़ी हुई थी, वहीं 6-15 वर्ष के बच्चों को कई तरह के इलेक्ट्रॉनिक मीडिया जैसे सेलफोन, कम्प्यूटर, विभिन्न उपकरणों पर ऑनलाइन होना और वीडियो गेम के लगातार उपयोग के कारण सोने में परेशानी हो रही थी। 13 से 15 वर्ष की आयुवर्ग के किशोरों में भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के इस्तेमाल और उनकी सोने में परेशानी के एक दुसरे से जुड़े होने का प्रमाण मिला, जबकि छह से 12 वर्ष की आयु के बच्चों ने ज्यादा देर तक टेलीविजन देखा, जिससे उन्हें सोने में देरी हुई और इसके परिणामस्वरूप उनकी नींद की गुणवत्ता खराब हुई। यह निष्कर्ष 2009 से 2019 के बीच प्रकाशित 49 ऐसे अध्ययनों की समीक्षा करके निकाले गए, जिसमें उच्च आय वाले देशों के 3 लाख 69 हजार से अधिक बच्चे शामिल थे। इसका परिणाम हाल ही में एक जर्नल में प्रकाशित हुआ है। यह समझने के लिए कि इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग नींद को कैसे प्रभावित करता है, इस समीक्षा को तैयार करने वालों ने सोने का समय और नींद आने की शुरुआत, नींद की गुणवत्ता, नींद की अवधि और दिन में सोने की अवधि जैसे मापदंडों पर विचार किया। इस समीक्षा के अनुसार पांच या उससे कम उम्र के बच्चों के मामले में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया का उपयोग मुख्य रूप से टेलीविजन और टैबलेट के माध्यम से होता है। 12 साल से कम उम्र के बच्चों ने अपने सोने के समय में देरी की और उनकी नींद की गुणवत्ता खराब थी और ये दोनों ही समस्याएं अधिक टीवी देखने के कारण थीं। कई सारे किशोरों के मामले में टेलीविजन देखने और दिन में लंबी अरसे तक झपकी लेने के बीच सम्बन्ध पाया गया। हालांकि, टेलीविजन के उपयोग और सोने में परेशानी के मध्य कोई सम्बन्ध नहीं था। वहीं 13 से 15 वर्ष की आयु के किशोरों को मुख्य रूप से सोशल मीडिया के अत्यधिक उपयोग के कारण सोने में परेशानी होती देखी गई। शोधकर्ताओं का कहना है कि यह इसलिए भी हो सकता है क्योंकि इंटरएक्टिव मीडिया बहुत अधिक उत्तेजक होता है और उपकरणों से निकलने वाली नीली रोशनी नींद को बढ़ावा देने वाले हार्मोन मेलाटोनिन के उत्पादन को कम कर देती है। 3 लाख 50 हजार से भी अधिक बच्चों के नींद की आदतों के बारे किये गए कई अध्ययनों की डेनमार्क में की गई समीक्षा में पाया गया है कि 6 से 12 आयु वर्ग के बच्चों ने अधिक देर तक टीवी देखा और सोने में देरी की, लेकिन 13-15 आयु वर्ग के बच्चों को सोशल मीडिया के अधिक उपयोग के कारण सोने में परेशानी हुई। कुल मिलाकर डिजिटल गेम से बच्चों समेत वयस्कों के स्वास्थ्य पर भी विपरीत असर पड़ रहा है।

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