सनातन का पालन करते हैं योगी आदित्यनाथ

विचार। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री ऐसे राजनीतिज्ञ हैं, जो सनातन और धर्म की बात बढ़चढक़र करते हैं और कहते हैं। धर्म का आचरण योगी आदित्यनाथ के शारीरिक शैली में भी झलकती है और अध्यात्मिक रूप से भी। आज के दौर में मुख्यमंत्री का हर कोई प्रशंसक है, कोई दबे मुंह से तो कोई प्रखर रूप से। हां, मुख्यमंत्री योगी की वही बेइमान आलोचना करते हैं, जिनका न कोई मूल है और न कोई शाखा, बस मुख्य धारा में आ गये हैं समाज में फैली कुरीतियोंवश। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का मानना है कि सनातन इकलौता धर्म है, जो उपकार के प्रति योगदान सिखाता है। सनातन धर्म की देन है कि हमारा देश विश्वगुरु था। सनातनी कभी किसी के साथ भेदभाव नहीं करते, वे हिंसा के बजाय अहिंसा में विश्वास रखते हैं। इसी के चलते देश में लोग अमन-चैन के साथ रह रहे हैं। वहीं दूसरी ओर शारदीय नवरात्र 2021 की नवमी तिथि पर गोरखनाथ मंदिर के नवनिर्मित अन्न क्षेत्र (भवन) में पूरे विधि-विधान के साथ परंपरागत कन्या पूजन किया। मुख्यमंत्री योगी ने मां भगवती के नौ स्वरूपों की प्रतीक नौ कन्याओं एक बटुक भैरव के पांव पखारकर पूजा-अर्चना की। मुख्यमंत्री योगी हर नवरात्र में कन्याओं का पूजन करते हैं, जो निहायत देखते ही बनता है। मुख्यमंत्री योगी ने अपने हाथों से कन्याओं को भोजन कराकर दक्षिणा के साथ उनकी विदाई की। इस दौरान मंदिर में पहुंची अन्य कन्याओं को भी उसी श्रद्धाभाव से भोजन कराया गया और विदाई की गई। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने कहा कि मातृशक्ति की आराधना हमारे देश की संस्कृति है। इसीलिए नवरात्र के नवें दिन कन्या पूजन का विधान है। कन्या पूजन का समय दोपहर 12 बजे निर्धारित था। मुख्यमंत्री के पहुंचने से पहले आमंत्रित कन्याएं पूजन स्थल पर पहुंच गईं। सबसे पहले उन्होंने बारी-बारी से थार में नौ कन्याओं और एक बटुक भैरव को खड़ा कर उनका पांव पखारा। उसके बाद टीका लगाकर चुनरी ओढ़ाई और आरती उतारी। पूजा के बाद कन्या भोज का कार्यक्रम शुरू हुआ। मुख्यमंत्री एक-एक सभी कन्याओं के पास गए और उनकी थाली में अपने हाथों से भोजन परोसा और बाकायदा पूछ-पूछ कर खिलाया। इस दौरान वह बच्चों को दुलराते भी रहे। भोजन के बाद मुख्यमंत्री ने सभी कन्याओं की अपने हाथ से दक्षिणा देकर सम्मान के साथ विदा किया। मुख्यमंत्री से पूजाकर बच्चे प्रसन्न नजर आए। कुछ ने तो प्रतिक्रिया भी दी। बोले, योगी बाबा बहुत अच्छे हैं। देश के प्रति नागरिक को देश की संस्कृति को जानना चाहिए और प्रत्येक त्योहार, पर्व, नक्षत्र, ग्रह, नवग्रह, वेद, पुराण, शास्त्र आदि के बारे में गहन अध्ययन करना चाहिए और सनातन के प्रत्येक क्रियाकलापों को बारीकी से देखेंगे तो एकदम यही निष्कर्ष निकलेगा कि सनातन प्रकृति के साथ चलता है। हमारे शास्त्रों में बताया गया है कि ऐसी कोर्ई वनस्पति नहीं, जिससे औषधि न बन सके, और ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसमें कोई गुण न हो। यानि कि सनातन ही ऐसी परम्परा है, जो व्यक्ति-व्यक्ति का सम्मान करता है। 

अभिषेक त्रिपाठी
8765587382

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