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जून, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

जलचर और महर्षि च्यवन

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बोधकथा : महर्षि च्वयन बचपन से बड़े ज्ञानी थे। जब महर्षि च्यवन मां के गर्भ में थे तभी एक राक्षस उनकी माता को परेशान करता है इसी दौरान महर्षि च्यवन का गर्भ जमीन पर गिर जाता है और उसी के तेज से राक्षस भस्म हो जाता है महर्षि फिर गर्भ में चले जाते हैं। महर्षि च्यवन का भृगु वंश था। एक बार की बात ने महर्षि च्यवन ने महान् व्रत का आश्रय लेकर जल के भीतर रहना शुरू कर दिया। वे गंगा-यमुना-संगम स्थल पर रहते थे। वहां उनकी जलचरों से प्रगाढ़ मैत्री हो गयी। एक बार मछवाहों ने मछलियाँ पकड़ने के लिए जाल डाला तो मत्स्यों सहित च्यवन ऋषि भी जाल में फंस गये। नदी से बाहर निकलने पर उन्हें देख समस्त मछवाहे उनसे क्षमा मांगने लगे। च्यवन ने कहा कि उनके प्राण मत्स्यों के साथ ही त्यक्त अथवा रक्षित रहेंगे। उस नगर के राजा को जब च्यवन की इस घटना का ज्ञान हुआ तो उसने भी मुनि से उचित सेवा पूछी। मुनि ने उससे मछलियों के साथ-साथ अपना मूल्य मछवारों को देने के लिए कहा। राजा ने पूरा राज्य देना भी स्वीकार कर लिया, किंतु च्यवन उसे अपने समकक्ष मूल्य नहीं मान रहे थे। तभी गौर के पेट से जन्मे गोताज मुनि उधर आ पहुंचे। उन्होंने राजा ...

करीब है सावन का महीना, पुण्य और पवित्र

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ज्योतिष : हरियाली का महीना कहा जाये या बरसात का तो सभी के जेहन में एक ही बात आती है, सावन का महीना। सावन के महीनों में झूमकर जब बारिश होती है और आसमान में काले बादल छा जाते हैं, तो माता भारती के संततियों को कितना सुख मिलता है, यह अकल्पनीय है। सबकुछ धुल जाता है, एकदम स्वच्छ। वहीं दूसरी ओर सावन के महीने को श्रावण मास भी कहा जाता है। मान्यता है कि श्रावण मास में वेद यानि श्रुति ईश्वर से सुनकर ऋषियों ने लोगों को सुनाया था। यह महीना भक्तिभाव और संत्संग के लिए होता है। जिस भी भगवान को आप मानते हैं, आप उसकी पूरे मन से आराधना कर सकते हैं। लेकिन सावन के महीने में विशेषकर भगवान शिव, मां पार्वती और श्रीकृष्णजी की पूजा का काफी महत्व होता है। सनातन धर्म में व्रत तो बहुत हैं जैसे, चतुर्थी, एकादशी, त्रयोदशी, अमावस्य, पूर्णिमा आदि। लेकिन चतुर्मास को ही व्रतों का खास महीना कहा गया है। चातुर्मास 4 महीने की अवधि है, जो आषाढ़ शुक्ल एकादशी से प्रारंभ होकर कार्तिक शुक्ल एकादशी तक चलता है। ये 4 माह हैं- श्रावण, भाद्रपद, आश्‍विन और कार्तिक। चातुर्मास के प्रारंभ को 'देवशयनी एकादशी' कहा जाता है और अं...

सबसे प्रसिद्ध है मन्नाारशाला का स्नेक टेम्पल

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अध्यात्म : भारत की संस्कृति अद्भुत रही है, यहां के लोग अपने पूर्वजों को पूजते ही हैं साथ में पर्यावरण प्रेमी हैं और सर्वे भवंतु सुखिन: के मार्ग पर चलते पर यकीन ही नहीं विश्वास करते हैं। ऐसा ही केरल में एक स्थान है मन्नाारशाला सर्प मंदिर, यह एक अनूठा मंदिर है। देश में सांपों को समर्पित कई मंदिर हैं, लेकिन इनमें सबसे प्रसिद्ध है मन्नाारशाला का स्नेक टेम्पल। यह मंदिर अपनी बनावट में आपको चकित कर देगा। केरल के अलेप्पी के पास है यह मंदिर मन्नाारशाला, अलेप्पी से मात्र 37 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मंदिर नागराज और उनकी संगिनी नागयक्षी को समर्पित है। 16 एकड़ भू - भाग पर फैले इस मंदिर में जहां नजर दौड़ाएंगे वहां सांपों की प्रतिमा दिखाई देगी। बताया जाता है कि इस मंदिर में सांपों की 30 हजार से ज्यादा मूर्तियां हैं। पांडवों से जुड़ती है इसकी कथा इसकी कथा महाभारत से जुड़ती है। कौरवों ने खांडववन में पांडवों को राज्य देकर उनके रहने के लिए लाक्षागृह का निर्माण किया। बाद में जब पांडव वहां रहने लगे थे, तब उसे जला दिया गया था। कहा जाता है कि वह खांडववन नामक प्रदेश यही था। मान्यता है कि इस दुर्घटना में वन क...

'देश को आगे बढ़ाना मेरी जिम्मेदारी'

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बोधकथा : घटना 1936 के ओलंपिक हॉकी विश्व कप फाइनल की है। फाइनल में भारत का मुकाबला जर्मनी से था। इस मैच को देखने के लिए स्टेडियम दर्शकों से भरा हुआ था। उस दिन विशेष रूप से जर्मनी के तानाशाह हिटलर भी मैच देखने के लिए मौजूद थे। उस मैच में भारत ने जर्मनी को 8-1 से हराकर ओलंपिक हॉकी का गोल्ड मेडल जीत लिया था। 3 गोल मेजर ध्यानचंद ने दागे थे। अपनी टीम की करारी हार को देखकर हिटलर मैच बीच में छोड़कर चला गया। उस रात हिटलर ने ध्यानचंद को अपने कमरे में बुलाया और पूछा-ध्यानचंद हॉकी खेलने के अलावा और क्या करते हो? ध्यानचंद ने उत्तर दिया-सर! मैं इंडियन आर्मी में लांस नायक हूं। इस पर हिटलर ने कहा-ध्यानचंद, अपने देश को छोड़ दो और जर्मनी की तरफ़ से खेलो। तुम्हारे देश ने तुम्हें क्या दिया है? मैं तुम्हें फील्ड मार्शल बना दूंगा। हिटलर का प्रस्ताव ठुकराते हुए मेजर ध्यानचंद बोले-सर, माफ़ कीजियेगा, आपका यह प्रस्ताव मैं स्वीकार नहीं कर सकता। मुझे आगे बढ़ाना मेरे देश की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि अपने देश को आगे बढ़ाना मेरी जिम्मेदारी है। यह कहकर वह हिटलर के कमरे से चले आये।

अच्छी नींद के साथ ही जोड़ों के दर्द में भी आराम दिलाती है चेरी

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जीवनशैली : केक के ऊपर लगने वाली रेड कलर की छोटी सी प्यारी से चेरी किसे अच्छी नहीं लगती। बहुत से लोगों को चेरी खाना बहुत पसंद होता है। हम आपको बता दें कि चेरी न केवल स्वादिष्ट होती है बल्कि सेहत के लिए भी काफी अच्छी मानी जाती है। विटमिन और खनिज इसके प्रमुख स्रोत हैं। चेरी कई तरह की होती है पर तीखी और मीठी चेरी ही सबसे अच्छी मानी जाती है। हालांकि, इसकी सभी किस्में पौष्टिक, फाइबर, विटमिन और खनिजों से भरपूर होती हैं। 154 ग्राम चेरी में कैलरी: 97, प्रोटीन: 2 ग्राम, कार्ब्स: 25 ग्राम, फाइबर: 3 ग्राम, विटमिन सी: दैनिक जरूरत का 18त्न, पोटैशियम: दैनिक जरूरत का 10त्न, कॉपर: दैनिक जरूरत का 5त्न, मैंगनीज: दैनिक जरूरत का 5 प्रतिशत होता है। रिसर्च से पता चलता है कि चेरी में ऐंटीइंफ्लेमेंट्री और ऐंटीऑक्सिडेंट कंपाउंड होते हैं जो मांसपेशियों और जोड़ों में दर्द, क्षति और सूजन में राहत दिलाने में मदद करते हैं। तीखी चेरी और उनका रस मीठी चेरी की तुलना में ज्यादा प्रभावी होता है। पोषक तत्वों से भरपूर चेरी का सेवन आपके दिल को सुरक्षित रखता है। कई अध्ययनों से पता चलता है कि फलों से भरपूर आहार दिल की बीमार...

'ज्ञान नहीं तो धन नहीं'

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सुभाषित — अलसस्य कुतो विद्या अविद्यस्य कुतो धनम् । अधनस्य कुतो मित्रम् अमित्रस्य कुतो सुखम् ॥ भावार्थ : आलसी मनुष्य को ज्ञान कैसे प्राप्त होगा? यदि ज्ञान नहीं तो धन नहीं मिलेगा। यदि धन नहीं है तो अपना मित्र कौन बनेगा और मित्र नहीं तो सुख का अनुभव कैसे मिलेगा।

सच्चे हृदय से की गई साधना कभी निष्फल नहीं होती

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बोधकथा : हस्तिनापुर के जंगल-प्रदेश में दो साधक अपनी नैत्यिक साधन में लीन थे। उधर से एक देवर्षि का प्रकट होना हुआ। देवर्षि को देखते ही दोनों साधक बोले उठे, परमात्मन्! आप देवलोक जा रहे हैं क्या? आप से प्रार्थना है कि लौटते समय प्रभु से पूछिये कि हमारी मुक्ति कब होगी? यह सुनकर देवर्षि वहां से चले गए। एक महीने में उपरान्त देवर्षि वहां फिर प्रकट हुए। उन्होंने प्रथम साधक के पास जाकर प्रभु के सन्देश को सुनाते हुए कहा, प्रभु ने कहा है कि तुम्हारी मुक्ति पचास वर्ष बाद होगी। यह सुनते ही वह साधक अवाक रह गया। उसने विचार किया कि मैंने दस वर्ष तक निरन्तर तपस्या की, कष्ट सहे, भूखा-प्यासा रहा, शरीर को क्षीण किया, फिर भी मुक्ति में पचास वर्ष! मैं इतने दिन और नहीं रुक सकता। निराश हो, वह साधना को छोड़ अपने परिवार में वापस जा मिला। देवर्षि ने दूसरे साधक के पास जाकर कहा, प्रभु ने तुम्हारी मुक्ति के विषय में मुझे बताया है कि साठ वर्ष बाद होगी। साधक ने सुनकर बड़े सन्तोष की श्वांस ली। उसने सोचा, जन्म-मरण की परम्परा मुक्ति की एक सीमा तो हुई। मैंने एक दशाब्दि निरन्तर तपस्या की, कष्ट सहे शरीर को क्षीण किया। स...

पूर्णमद: पूर्णमिदम्

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बोधकथा : एक बार की बात है, एक पिता और पुत्र खाने बैठे। पिता की थाली में मां ने एक पूरा लड्डू रखा और बच्चे की थाली में आधा। बच्चा रोने लगा, हठ करने लगा कि हमे पूरा ही लड्डू चाहिए। मां कुशल थी। उसने एक छोटा-सा गोल लड्डू बनाया। और बच्चे को परोस दिया। लड़का खुश हुआ, क्योंकि उसे पूरा लड्डू मिल गया था। इसका अर्थ यह हुआ कि बच्चा कहता है, मेरा बाप जितना पूर्ण आत्मा है, उतना ही पूर्ण आत्मा मैं भी हूं। मैं छोटा हूं, पर टुकड़ा नहीं हूं। जो विश्व का राज होगा, वह बड़ा होगा और गांव का राज छोटा लड्डू होगा। पर वह भी पूर्ण होना चाहिए। इसीलिए हम हमेशा कहते हैं—"पूर्णमद: पूर्णमिदम्।"

मोटापा कंट्रोल कर वेट लॉस में मदद कर सकती है एक कप कॉफी

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जीवनशैली : अगर आप भी कॉफी पीने के शौकीन हैं तो आपके लिए एक अच्छी खबर है। हाल ही में हुई एक नई स्टडी में यह बात सामने आयी है कि हर दिन 1 कप कॉफी पीने से शरीर का फैट से लडऩे वाला डिफेंस उत्तेजित होता है जिससे मोटापा के साथ-साथ डायबीटीज से भी लडऩे में मदद मिलती है। साइंटिफिक रिपोर्ट्स नाम के जर्नल में यह स्टडी प्रकाशित की गई है। दरअसल, हमारे शरीर का एक अहम हिस्सा है ब्राउन फैट फंक्शन जो तेजी से कैलरी को बर्न कर एनर्जी में बदलने में हमारी मदद करता है और कॉफी में ऐसे कॉम्पोनेंट्स पाए जाते हैं जिसका इस ब्राउन फैट फंक्शन पर सीधा असर पड़ता है। इंसान के शरीर में 2 तरह का फैट पाया जाता है जिसमें से एक ब्राउन एडिपोज टिशू होता है जिसे ब्राउन फैट भी कहा जाता है। इसका मुख्य काम शरीर में गर्मी पैदा करना होता है ताकि शरीर में मौजूद कैलरीज को बर्न किया जा सके। जिन लोगों के शरीर का बीएमआई यानी बॉडी मास इंडेक्स कम होता है उनमें ब्राउन फैट की मात्रा अधिक होती है। यूनिवर्सिटी ऑफ नॉटिंगम के प्रफेसर और इस स्टडी के को डायरेक्टर माइकल साइमंड्स ने कहा, ब्राउन फैट शरीर में अलग तरह से काम करता है और गर्मी पैदा...

हृदय रोगों का इलाज बिना सर्जरी के भी संभव

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स्वास्थ्य : विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक अनुमान के मुताबिक सन् 2018  तक विश्व में हृदय रोगों से मरने वाले अधिकांश लोग भारतीय होंगे। भारतीय चिकित्सकों के लिये यह एक गंभीर मुद्दा इसलिये भी है क्योंकि एंजाइना और अन्य हृदय रोगों के उपचार के लिये भारत में उपयोग की जाने वाली शल्य चिकित्सा काफी महंगी हैं तथा रोगी के शत प्रतिशत स्वस्थ होने की कोई गारंटी भी नहीं देती. डॉ एस एस.सीबिया के अनुसार बहरहाल दुनिया भर के हृदय रोगियों के लिये पिछले कुछ समय से विकसित की गई ईसीपी (एक्सटर्नल काउंटर पल्सेशन) और ए.सी. टी ( आर्टरी कीलेशन थैरेपी ) नामक गैर शल्य चिकित्सा पद्धति एक वरदान साबित हो रही है.ईसीपी हृदय रोगों के उपचार की एक सहज, कम खर्चीली और प्रभावशाली पद्धति है। क्लीनिकली तौर पर परखी गई इस पद्धति में न तो रोगी के शरीर में कोई चीर फाड़ की जाती है और न ही उसे अस्पताल में दाखिल किये जाने की कोई आवश्यकता होती है। ईसीपी द्वारा धमनियों में होने वाली रुकावट को आसानी से दूर किया जा सकता है। धमनियों से अवरोध हटते ही हृदय और शरीर में रक्त का प्रवाह बढ़ जाता है. ई सी पी में उस सिद्धांत पर काम करती है जो कि...

दो हजार ईसा पूर्व ईराक में पहाड़ पर मिले प्रभु श्रीराम के भित्तिचित्र!

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जानकारी : भारतीय प्रतिनिधिमंडल इसी महीने ईराक गया था। यहां पर उन्हें लगभग दो हजार ईसा पूर्व के भित्तिचित्र देखने को मिले। इस बारे में अयोध्या शोध संस्थान का दावा है कि यह भगवान राम की एक छवि है। यह भित्तिचित्र दरबंद-ई-बेलुला चट्टान में बना मिला है। यह इलाका इराक के होरेन शेखान क्षेत्र में एक संकरे मार्ग से गुजरता है। इसमें एक नंगी छाती वाले राजा को दिखाया गया है, जो धनुष पर तीर ताने हैं, एक तरकश और उसकी कमर के पट्टे में एक खंजर या छोटी तलवार लगी है। इस छवि में मुड़े हुए हथेलियों के साथ एक दूसरी छवि नजर आती है। इसके बारे में अयोध्या शोध संस्थान के निदेशक योगेंद्र प्रताप सिंह कहते हैं कि यह हनुमान की छवि है। इराकी विद्वानों का कहना है कि यह भित्तिचित्र पहाड़ी जनजाति के प्रमुख टार्डुनी को दर्शाती है। इराक में भारतीय राजदूत प्रदीप सिंह राजपुरोहित की अगुआई में प्रतिनिधिमंडल ईराक गया। इसके लिए संस्कृति विभाग के अंतर्गत आने वाले अयोध्या शोध संस्थान ने अनुरोध किया था। एब्रिल वाणिज्य दूतावास में एक भारतीय राजनयिक, चंद्रमौली कर्ण, सुलेमानिया विश्वविद्यालय के इतिहासकार और कुर्दिस्तान के इराकी ...

खून की कमी दूर करती है कमल ककड़ी

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जीवनशैली : कमल ककड़ी यानी लोटस रूट को सब्जी से लेकर स्नैक्स और चिप्स के रूप में खाया जाता है। लेकिन क्या आप इससे होने वाले फायदों के बारे में जानते हैं? कमल ककड़ी में ढेर सारे विटमिन्स और मिनरल्स होते हैं। इसमें काफी मात्रा में विटमिन सी होता है जो वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन से बचाव करता है और रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है। कमल ककड़ी आंखों, बालों और स्किन के लिए किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि इसमें विटमिन ए भरपूर मात्रा में होता। इसके अलावा यह मसल डीजेनरेशन से भी बचाव करता है। कमल ककड़ी ब्लड शुगर और कलेस्ट्रॉल को भी कम करने में मददगार है। इसमें फाइबर और कॉम्प्लैक्स कार्बोहाइड्रेट्स होते हैं जो साथ मिलकर कलेस्ट्रॉल और ब्लड शुगर के स्तर को सामान्य रखने में मदद करते हैं। जो लोग बढ़ते वजन से परेशान हैं वे रोजाना डायट में कमल ककड़ी शामिल करें। इसमें काफी कम कम कैलरी होती हैं और विटमिन्स व मिनरल्स भी काफी मात्रा में होते हैं। इसके सेवन से सभी जरूरी तत्व तो मिलते ही हैं साथ ही लंबे समय तक भूख भी नहीं लगती।

लिपस्टिक से लेकर दीवारों के दागों को आसानी से मिटा सकता है दंतमंजन

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जीवनशैली : सभी दाग धब्बों को दूर करने के लिए इस्तेमाल करें टूथपेस्ट। जी हां, जो हम सभी के घर में मौजूद है। आपके दांतों को चमकाने के अलावा ये छोटी सी ट्यूब बहुत काम कर सकती है। दरअसल इसे आप घर के हर कोने में इस्तेमाल कर सकती हैं। टूथपेस्ट में बेकिंग सोडा तत्व बिल्कुल सही मात्रा में मौजूद रहता है जो किसी भी चीज़ को बिना नुकसान पहुंचाए उस पर से धूल मिट्टी साफ़ कर सकती है। क़ीमती चीज़ों के इस्तेमाल के दौरान ज़्यादा सावधानी की ज़रूरत होती है लेकिन उसके लिए भी आप टूथपेस्ट का इस्तेमाल कर सकती हैं। अच्छी मात्रा में आप सफ़ेद टूथपेस्ट इंक या लिपस्टिक के ऊपर डालें। उसे धो लें और तब तक इस तरीके को अपनाएं जब तक ये पूरी तरह से हट नहीं जाता। इस मौसम में कई तरह के कीड़े निकलते हैं। अगर इस दौरान घर में किसी को कीड़ा काट ले तो खुजली और जलन से राहत पाने के लिए उस जगह पर टूथपेस्ट लगाएं। ये न सिर्फ आपको सुकून देगा बल्कि उस स्थान के लालपन को भी कम करेगा। आज के वक़्त में तो फोन से ज़रूरी कुछ नहीं है। लेकिन लापरवाह तरीके से इसका इस्तेमाल करने की वजह से इस पर ना जाने कितने ही खरोंच के निशान आ जाते हैं जो इस...

कई लोगों को नहीं पता है—फलों के रस से यह घरेलू इलाज

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जीवनशैली : वजन बढ़ाने के लिए दुग्ध कल्प बहुत फायदेमंद होता है। ड्रायफ्रूट्स, गेहूं के जवारे का रस व सभी तरह के फलों के रस से वजन बढ़ सकता है। फलों के रस का सेवन करने पर कब्ज से भी छुटकारा पाने में मदद मिल जाती है। एसिडिटी की समस्या से निजात पाने के लिए गाजर-पत्तागोभी, कद्दू और मिश्री व सेब-पाइनएप्पल का रस एक अच्छा विकल्प है। आप चाहे तो एक गिलास पानी में नीबू का रस और आधा चम्मच मिश्री मिलाकर दोपहर के खाने से आधे घंटे पहले लें। ऐसा करने से भी एसिडिटी से निजात पाने में फायदा मिलेगा। आंवले का चूर्ण सुबह और शाम लें, दो वक्त के आहार के बीच सही अंतराल रखें। तनावमुक्त रहें, प्राणायाम और ध्यान करें। इससे गैस और एसिडिटी में फायदा होता है। कुनकुने पानी में नींबू का रस डालकर उसके गरारे किए जा सकते हैं। घूंट-घूंटकर पिया जा सकता है। तुलसी की पत्ती-पोदीने की पत्ती, आधा बड़ा चम्मच अदरक तथा गुड़ दो कप पानी में उबालें। फिल्टर करके उसमें एक नीबू का रस डालकर उपयोग करें।

'ऐसी कोई वनस्पति नहीं जिसकी औषधि न बने'

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सुभाषित - नाक्षरं मंत्रहीतं नमूलंनौधिम्। अयोग्य पुरुषं नास्ति योजकस्तत्रदुर्लभः भावार्थ : ऐसा कोई भी अक्षर नहीं है जिसका मंत्र के लिए प्रयोग न किया जा सके, ऐसी कोई भी वनस्पति नहीं है जिसका औषधि के लिए प्रयोग न किया जा सके और ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जिसका सदुपयोग के लिए न प्रयोग किया जा सके, किन्तु ऐसे व्यक्ति अत्यन्त दुर्लभ हैं जो उनका सदुपयोग करना जानते हों।

डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार : राष्ट्र की स्वतंत्रता और एकता के लिए निभाई अहम भूमिका

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  विचार : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार का जन्म 1 अप्रैल 1889 को नागपुर के ब्राह्मण परिवार में हुआ था. जब वो महज 13 साल के थे तभी उनके पिता पंडित बलिराम पंत हेडगेवार और माता रेवतीबाई का निधन हो गया. उसके बाद उनकी परवरिश दोनों बड़े भाइयों महादेव पंत और सीताराम पंत ने की. शुरुआती पढ़ाई नागपुर के नील सिटी हाईस्कूल में हुई. लेकिन एक दिन स्कूल में वंदेमातरम गाने की वजह से उन्हें निष्कासित कर दिया गया. उसके बाद उनके भाइयों ने उन्हें पढ़ने के लिए यवतमाल और फिर पुणे भेजा. मैट्रिक के बाद हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी एस मूंजे ने उन्हें मेडिकल की पढ़ाई के लिए कोलकाता भेज दिया. यह बात 1910 की है. पढ़ाई पूरी करने के बाद वह 1915 में नागपुर लौट आए. डॉ. हेडगेवार 1910 में जब डॉक्टरी की पढाई के लिए कोलकाता गये तो उस समय वहां देश की नामी क्रांतिकारी संस्था अनुशीलन समिति से जुड़ गये। 1915 में नागपुर लौटने पर वह कांग्रेस में सक्रिय हो गये और कुछ समय में विदर्भ प्रांतीय कांग्रेस के सचिव बन गये. नवंबर 2010 में कानपुर के मोतीझील पार्क में संघ कार्यकर्ताओं को संब...

मायावती ने तोड़ा सपा के साथ गठबंधन, कहा- अब बसपा अपने दम पर लड़ेगी चुनाव

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समाचार : लोकसभा चुनाव में हार के बाद बहुजन समाज पार्टी और समाजवादी पार्टी के बीच सियासी तकरार बढ़ती जा रही है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने एक बार फिर से ट्वीट करके समाजवादी पार्टी पर हमला बोला है। मायावती ने लिखा कि सपा सरकार में दलित विरोधी फैसले हुए। लोकसभा में समाजवादी पार्टी का व्यावहार अच्छा नहीं था। मायावती ने लिखा कि 2012-17 में सपा सरकार के दलित विरोधी फैसलों को दरकिनार करके देश व जनहित में सपा के साथ गठबंधन धर्म को पूरी तरह से निभाया। उन्होंने कहा कि आगे होने वाले सभी छोटे-बड़े चुनाव पार्टी अकेले अपने बूते पर ही लड़ेगी। मायावती ने ट्वीट कर लिखा- बीएसपी की आल इंडिया बैठक कल लखनऊ में ढाई घंटे तक चली। इसके बाद राज्यवार बैठकों का दौर देर रात तक चलता रहा जिसमें भी मीडिया नहीं था। फिर भी बीएसपी प्रमुख के बारे में जो बातें मीडिया में फ्लैश हुई हैं वे पूरी तरह से सही नहीं हैं जबकि इस बारे में प्रेसनोट भी जारी किया गया था। बीएसपी की आल इण्डिया बैठक कल लखनऊ में ढाई घण्टे तक चली। इसके बाद राज्यवार बैठकों का दौर देर रात तक चलता रहा जिसमें भी मीडिया नहीं था। फिर भी बीएसपी प्रमुख के बारे मे...

मौलिक रूप से सात गोत्र हैं

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जानकारी : गोत्र की अवधारणा पहली बार उत्तर वैदिक काल में आयी। गोत्र का शाब्दिक अर्थ गोष्ठ अर्थात् वह स्थान, जहाँ पूरे गोत्र का गोधन रखा जाता था। परन्तु गोत्र का यह अर्थ कुछ समय के बाद बदल गया। अब एक ही मूल पुरुष से उत्पन्न व्यक्ति एक गोत्र के कहे जाने लगे। प्रारंभ में गोत्र की अवधारणा ब्राह्मणों के लिए थी। ब्राह्मणों के द्वारा ही क्षत्रिय और वैश्य को गोत्र प्रदान किये गये। मौलिक रूप में सात गोत्र हैं जो ऋषियों के नाम पर हैं। यथा, कश्यप, वशिष्ठ, भृगु, गौतम, भारद्वाज अत्रि, तथा विश्वामित्र। आठवां गोत्र अगस्त्य ऋषि का माना जाता है। वे अनायों के ऋषि भी माने जाते हैं।

वैदिक युग में गुरु ब्राह्मण ही होता था

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जानकारी : सनातन सभ्यता तो ज्ञात नहीं किया जा सकता कि कबसे है, हां लेकिन वेदों की रचना जबसे हुई तब से कालगणना भारतीय ज्योतिषियों ने वंशानुगत रखा है। वेद यानि जो हम कहते, सुनते हैं उन्हें शब्दों में उतारना। वैदिक शास्त्रों और पुराणों में ब्राह्मण का प्रमुखता से उल्लेख किया गया है। ब्राह्मण अपना राजा सोम को मानते थे, सोम यानि मधुरस, देवता आदि—आदि, सोम को कई अर्थों में प्रयोग किया गया है। ब्राह्मण ग्रन्थों के अतिरिक्त अन्य संहिताओं के विवरण से ज्ञात होता है कि ब्राह्मणों, क्षत्रियों एवं वैश्यों के कर्त्तव्यों में विभाजक रेखायें स्पष्ट हो गई थीं। तैत्तरीय संहिता में विवेचन मिलता है कि ब्राह्मण ऐसे देवता हैं जिन्हें हम प्रत्यक्ष देख सकते हैं। देवता के दो प्रकार उसे अन्य को प्रदान करते हैं अत: मानव देवता हैं। ऐतरेय ब्राह्मण में जब वरुण से कहा गया कि राजा हरिश्चन्द्र के पुत्र के स्थान पर ब्राह्मण पुत्र की बलि दी जायेगी। तो वरुण ने कहा कि ब्राह्मण तो क्षत्रिय से उत्तम समझा ही जाता है। ब्राह्मण को दिव्यवर्ण का कहा गया और उसमें समस्त देवताओं का निवास माना गया। शतपथ ब्राह्मण के अनुसार, ब्राह्मण...

सरकारी खजाने पर जनता का हक

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बोधकथा : पंडित गोविंद बल्लभ पंत उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री थे। उनकी गिनती देश के सबसे ईमानदार राजनेताओं में होती थी। वह कोई विशेष सुविधा नहीं लेते थे और न ही कभी सरकारी पैसे से अपना कोई निजी काम करते थे। एक बार पंत जी ने सरकारी बैठक की। उसमें चाय-नाश्ते का प्रबंध किया गया था। जब उसका बिल पास होने के लिए उनके पास आया तो हिसाब में छह आने और बारह आने लिखे हुए थे। उन्होंने बिल पास करने से इनकार कर दिया। जब उनसे इस बिल को पास न करने का कारण पूछा गया तो वह बोले, सरकारी बैठकों में सरकारी खर्चे से केवल चाय मंगवाने का नियम है। ऐसे में नाश्ते का बिल बनवाने वाले व्यक्ति को स्वयं चुकाना चाहिए। हां, चाय का बिल अवश्य पास हो सकता है। अधिकारियों ने उनसे कहा कि कभी-कभी चाय के साथ नाश्ता मंगवाने में कोई हर्ज नहीं होगा। पंत जी ने अधिकारियों से कहा चाय का बिल पास हो सकता है, लेकिन नाश्ते का बिल मैं अदा करूंगा। सरकारी खजाने पर हमेशा ही जनता और देश का हक है। हम मंत्रियों का नहीं। हम जनता की संपत्ति को अपने ऊपर कैसे खर्च कर सकते हैं। इसके बाद अधिकारियों ने उन्हें आश्वासन दिया कि सरकारी नियमों की अवहेलना ...

हर ग्रह का अपना एक रंग होता है जिससे धरती होती है प्रभावित

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ज्योतिष : बड़ी रहस्यमयी है दुनिया। ब्रहृमांड छोड़ दिया जाये तो सिर्फ धरती ही अध्ययन किया जाये तो कई बार जन्म लेना पड़ेगा। सर्वविदित है कि पृथ्वी भी ब्रहमांड का एक हिस्सा है, तो इस पर रहने वाले जीव, जंतु भी प्रभावित होंगे। ग्रहों के कारण ही धरती पर तरह तरह की वनस्पतियां, खनिज पदार्थ और तरह तरह की प्राजातियों का जन्म होता है। इसे गहराई से समझने की जरूरत है कि हर ग्रह का अपना एक रंग होता है जिससे धरती प्रभावित होती है। धरती : धरती का रंग चंद्रमा से नीला दिखाई देता है। क्योंकि इसपर 70 प्रतिशत जल है। सूर्य : सूर्य का रंग नारंगी, रक्त वर्ण और सुनहरा होता है। सूर्यमुखी जैसे फूल, गेहूं, सिंह, बंदर, पहाड़ी गाय, कपिला गाय, सोना, तेजफल का वृक्ष आदि सभी सूर्य के तेज असर के कारण ही जन्मे हैं। चंद्रमा : चंद्रमा हमें सफेद रंग का दिखाई देता है, क्योंकि उस पर सूर्य का प्रकाश पड़ता है जो रिफ्लेकट होता है। यह चंद्रमा हमारी धरती के जल पर सबसे ज्यादा असर डालता है। घोड़ा, दूध, सफेद फूल, चांदी, मोती, पोस्त का हरा पौधा और सभी दूध वाले वृक्ष पर चंद्र का ही सबसे ज्यादा असर होता है। मंगल : मंगल ग्रह हमें ला...

निर्दोष को मत सताना

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बोधकथा : कणाद ऋषि के आश्रम में देव नगर का राजकुमार पुरु शिक्षा प्राप्त कर रहा था। आश्रम के नित्य कार्य, साफ-सफाई और गुरु सेवा उसकी दिनचर्या में शामिल थे। ऋषि का शिक्षा देने और समझाने का ढंग अन्य गुरुओं से अलग हटकर था। वह बोलकर नहीं, उदाहरण देकर समझाने में अधिक विश्वास रखते थे। एक दिन गुरु व शिष्य गांव का भ्रमण कर रहे थे। रास्ते में ऋषि की छड़ी नीचे गिर गई। अपना कर्तव्य समझते हुए पुरु छड़ी उठाने के लिए झुका ही था कि तभी ऋषि ने उसकी पीठ पर अपने पैर से प्रहार किया। बेवजह चोट पडऩे पर पुरु ने कारण जानना चाहा, मगर ऋषि मुस्कराकर टाल गए। यह बात शिक्षा काल के दौरान राजकुमार के दिल में कांटे की तरह चुभती रही। शिक्षा पूर्ण करने के पश्चात पुरु अपने राज्य लौट गया और कुछ समय बाद राजा बनकर राजकाज संभाल लिया। एक दिन ऋषि कणाद अपने शिष्य से मिलने राजमहल में आए तो पुरु से रहा नहीं गया और गुरु जी से उस दिन बेवजह प्रहार करने का कारण जानना चाहा। तब ऋषि बोले-पुत्र, मैंने तुम्हें बिना वजह दंड दिया, उस दंड की याद तुम्हें अभी तक सीने में चुभ रही है। गलती करने पर मिला दंड तो इनसान भूल जाता है मगर निर्दोष अपन...

पहली बार बच्चा जा रहा है स्कूल तो जरूर सिखाएं ये 6 बातें

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जीवनशैली : बच्चे जो देखते हैं, वही करते हैं। इसलिए जरूरी है कि बच्चे को न सिर्फ अच्छी आदतें सिखाएं बल्कि समय-समय पर उनका मार्गदर्शन करना चाहिए। एक बच्चे का दिमाग खाली किताब की तरह होता है। इसलिए जो भी उसे सिखाएं बेहद समझदारी, प्यार और धीरज के साथ सिखाएं। बच्चा अगर स्कूल जाना शुरू कर रहा है, तो ऐसे में यह और भी जरूरी हो जाता है। कुछ बातें हैं जो बच्चों को स्कूल भेजने से पहले सिखाने की जरूरत है— - बच्चे को सोशल सर्कल की अहमियत और दोस्ती करना भी सिखाएं। ऐसा इसलिए जरूरी है ताकि बच्चा स्कूल में अकेलापन न महसूस करे और उसे हमउम्र कंपनी मिल सके। — बच्चे को सफाई का महत्व समझाएं, खासकर पर्सनल हाईजीन। उसे बताएं कि स्कूल में जब भी उसे टॉयलट आए या फिर शौच के लिए जाना हो तो वह टीचर या साथ के किसी बच्चे को बताए। इसके अलावा उसे खुद भी शौच के बाद साफ-सफाई करना आना चाहिए। उसे बताएं कि साफ-सफाई न रहने की वजह से कैसे इंफेक्शन फैल सकता है। एक बार ये सभी बातें बच्चों की आदत में शुमार हो गईं तो वह कभी नहीं भूलेंगे। - बच्चे को बताएं कि वह किसी के साथ भी लड़ाई-झगड़ा या अभद्र व्यवहार न करे। अगर कोई बच्चा उसे...

डायबीटीज से लेकर मोटापा कम करने में मदद करता है आलूबुखारा

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जीवनशैली : आलूबुखारा आपने खूब खाया होगा। गर्मियों में होने वाले इस फल को लोग बड़े ही चाव से खाते हैं। लेकिन क्या आपको इसके फायदों के बारे में पता है? स्वाद में खट्टा-मीठा आलूबुखारा कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है। यदि आप वजन कम करना चाहते हैं, तो आप अपनी डाइट में सूखा हुआ आलूबुखारा शामिल कर सकते हैं। सूखा हुआ आलूबुखारा वजन को कम करने का सबसे कारगर तरीका है। यह फाइबर का अच्छा स्त्रोत होता है। सूखा आलूबुखारा आप स्नैक्स बनाकर भी खा सकते हैं और चाहे तो जूस बनाकर भी पी सकते हैं। आलूबुखारा खाने से आपकी भूख नियंत्रित रहती है और वजन कम करने में मदद मिलती है। आलू बुखारा में मौजूद विटमिन्स के कारण यह हड्डियों को मजबूत रखने में मददगार है। आलू बुखारे में मौजूद फाइट्रोन्यूट्रियंट्स महिलाओं में ऑस्टियोपोरोसिस को रोकने में भी सहायक है। इसलिए आलूबुखारे के सेवन से आपकी हड्डियां मजबूत होंगी और हड्डी फ्रैक्चर का खतरा भी कम होगा। आलूबुखारे के सेवन से ब्लड प्रेशर और कलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में मदद मिलती है। इसमें मौजूद फाइबर कलेस्ट्रॉल को नियंत्रित करता है। इसलिए आलूबुखारा को रोजाना खाएं, लेकिन ध्यान...

घर में छोटे बच्चे हैं तो परफ्यूम और डियोड्रेंट का उपयोग करते वक्त बरतें सावधानी

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जीवनशैली : परफ्यूम्स और डियोड्रेंट्स का इस्तेमाल करते वक्त जिस एक चीज का हम सब ध्यान नहीं रखते वह है बॉटल पर लिखे निर्देशों का पालन करना जो कई बार हानिकारक साबित हो सकता है। हाल ही में हुई एक स्टडी में यह बात साबित भी हो चुकी है कि बच्चों को लगने वाली चोट में 12.7 प्रतिशत चोटें पर्सनल केयर प्रॉडक्ट्स की वजह से लगती हैं जिनमें खुशबू और सुगंध से जुड़ी परफ्यूम और डियोड्रेंट जैसी चीजें शामिल हैं। इस तरह की चीजें बच्चों के लिए बेहद नुकसानदेह साबित हो सकती हैं इसलिए इनका इस्तेमाल करते वक्त माता-पिता को भी काफी सावधानी बरतनी चाहिए। परफ्यूम और डियोड्रेंट जैसी चीजों को बच्चों की पहुंच से बहुत दूर रखें क्योंकि अगर बच्चे गलती से भी इन्हें अपनी आंख, नाक, कान या मुंह में स्प्रे कर लें तो यह बच्चों के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। इतना ही नहीं अगर घर में बहुत ज्यादा छोटे बच्चे हैं तब भी पैरंट्स को बहुत ज्यादा सावधानी बरतनी चाहिए वरना बच्चों द्वारा इन चीजों की बॉटल, ढक्कन आदि चीजों को मुंह में लेने की वजह से चोकिंग का भी खतरा रहता है। अगर आपके घर में 13 से 17 साल के बीच के किशोर हैं तो उनमें स...

तृष्णा तो सभी के मन में है!

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बोधकथा : तक्षशिला के राजा भोजन की शुद्धता पर बहुत सोच-विचार रखते थे। इसलिए उनका नाम ही भोजन शुद्धिक पड़ गया था। राजा जब भोजन करते थे तो उसमें अनेक भोग होते थे जो बेशकीमती बर्तनों में प्रजा को दिखाते हुए करता था। स्वर्ण छत्र के नीचे सेवक, सेविकाएं राजा को भोजन परोसते थे। एक अति लोभी मनुष्य को उक्त राजसी भोजन खाने की लालसा उत्पन्न हुई, मगर राजा का भोजन छूने की बात तो दूर, दूर से ही देख सकते थे। उसे एक उपाय सूझा। वह राजा के भोजन के समय-मैं दूत हूं, मैं दूत हूं चिल्लाता हुआ राजा के पास जा पहुंचा। राजा के अंगरक्षक तलवार लेकर उसकी ओर दौड़ते हुए आए तो राजा उनको रोकते हुए बोला- इसे भोजन करने दो, यह दूत है। भोजन के पश्चात राजा ने उससे पूछा-महानुभाव, आप किसके दूत हैं। आपको किसने भेजा है। वह लोभी बोला-महाराज, मैं तृष्णा और पेट का दूत हूं। तृष्णा ने ही मुझे पेट का दूत बनाकर भेजा है। पेट की भूख के वशीभूत होकर तो लोग शत्रु के यहां भी मांगने चले जाते हैं, इसलिए आप क्रोध न करें। राजा ने उसकी बात पर सहमति जताते हुए कहा-ठीक कहते हो भाई। तृष्णा ही हमसे अच्छे-बुरे कर्म करवाती है। वास्तव में हम सब ही इस...

वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है 21 जून

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जानकारी : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के साथ ही आगरा, मेरठ, अलीगढ़, बरेली, मुरादाबाद, झांसी, कानपुर, प्रयागराज, वाराणसी व गोरखपुर में भी पांचवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर लोग बड़ी संख्या में योग करने पार्क व मैदान में उमड़ पड़े। 21 जून का दिन वर्ष का सबसे लंबा दिन होता है। इसी कारण 21 जून को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस को मनाया जाता है। माना जाता है कि योग भी मनुष्य को दीर्घ जीवन प्रदान करता है। पहली बार यह दिवस 21 जून 2015 को मनाया गया। लखनऊ में राजभवन में राज्यपाल राम नाईक ने पांचवें अंतरराष्ट्रीय योग दिवस का शुभारंभ किया। राज्यपाल राम नाईक ने इस अवसर पर कहा कि योग स्वास्थ्य के लिए सबसे पुराना विज्ञान है, जो तन मन को स्वस्थ रखता है। उन्होंने 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में संयुक्त राष्ट्र संघ से मान्यता प्रदान कराने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयास को सराहा। इसके साथ ही उन्होंने योग से जुड़े अपने अनुभव भी बताए।

साध्वी का दृष्टिकोण

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बोधकथा : एक मशहूर महिला साध्वी अपने पूजास्थल पर एक तरफ जल कलश और दूसरी तरफ एक जलता अंगारा रखती थीं। लोग इन पूजा प्रतीकों का रहस्य पूछते तो वे कहतीं, मैं अपनी आकांक्षाओं को पानी में डुबोना चाहती हूं और अहंकार को जलाना चाहती हूं ताकि पतन के इन दोनों अवरोधों से पीछा छुड़ाकर ईश्वर तक पहुंच सकूं। इस पर एक विद्वान पुरुष ने उनसे पूछा कि आप तो साध्वी हैं, सिद्ध हैं, आपमें अब दोष कहां रह गए, जिन्हें आप डुबोना-जलाना चाहती हैं। साध्वी ने कहा कि जिस दिन अपने आपको त्रुटिहीन मान लूंगी, उस दिन साध्वी तो क्या साधारण इंसान भी न रह जाऊंगी। एक महान संत और साधारण इंसान में इसी दृष्टिकोण का ही फर्क है।

योग और संगीत का समावेश प्राचीन काल से

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आयुधर्मयशोवृद्धिः धनधान्‍य फलम्‌ लभेत्‌। रागाभिवृद्धि सन्‍तानं पूर्णभगाः प्रगीयते॥ भावार्थ : आयु, धर्म, यश वृद्धि, सन्‍तान की अभिवृद्धि, धनधान्‍य, फल-लाभ इत्‍यादि के लिये पूर्ण रागों का गायन करना चाहिये। भारतीय सभ्‍यता और संस्‍कृति में योग और संगीत का समावेश भी प्राचीन काल से है। स्‍वर साधना स्‍वयं एक यौगिक क्रिया है जिसमें मन, शरीर व प्राण तीनों में शुद्धता एवं चैतन्‍यता आती है। भारतीय संस्‍कृति में योग के साथ संगीत का गहरा रिश्‍ता रहा है। योग के सिद्धान्‍त के अनुसार श्‍वासों से जुड़ना अर्न्‍तमन से जुड़ना है और व्‍यक्‍ति जब अन्‍तर्मन से जुड़ जाता है तो ऋणात्‍मक संवेग कम हो जाता है और धनात्‍मक संवेग स्‍थायी होने लगते हैं। ये धनात्‍मक संवेग मनोविकारों से व्‍यक्‍ति को दूर रखते हैं।

शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य पर संगीत कैसे करता है जादू

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जीवनशैली : म्यूजिक स्ट्रेस को कम करने में काफी मददगार है। कई स्टडीज में म्यूजिक की सूदिंग पावर सामने आ चुकी है। शोध के अनुसार म्यूजिक हमारी सेहत को अच्छी रखने में भी कारगर हो सकता है। म्यूजिक का हमारी भावनाओं के साथ अनोखा संबंध है। क्लासिकल म्यूजिक सुनने से हाइपरटेंशन की दवाओं का प्रभाव बढ़ता है। इससे हाई बीपी कंट्रोल करने में काफी मदद मिलती है। 21 जून को वर्ल्ड म्यूजिक डे मनाया जाता है। इस मौके पर आपको बताते हैं म्यूजिक के वे फायदे जो आपको हेल्दी रखने में आपकी मदद कर सकते हैं। संगीत एक ऐसी चीज है जो भाषा, संस्कृति और धर्म से परे है। यह हर जगह है। आइए, बताते हैं कि म्यूजिक हमपर किस तरह जादुई प्रभाव डाल सकता है। टेंशन : जब भी मूड अच्छा नहीं होता है तो स्लो म्यूजिक सुनने का मन करता है। लेकिन ऐसे में फास्ट बीट्स सुनने से आपका मूड अच्छा हो सकता है। बेचैनी :बात-बात पर चिंता करने लगते हैं तो म्यूजिक आपकी मदद कर सकता है। इससे आपका मन शांत होगा। जैसे, किसी एग्जाम या परीक्षा से पहले आपका मन परेशान हो तो म्यूजिक से मन शांत करके जाएं। मेमरी : म्यूजिक आपकी याद रखने की क्षमता को भी बढ़ाता है। प्...

मृत्यु दर में चार गुना कमी

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समाचार : उत्तर प्रदेश में सरकारी आंकड़ों के मुताबिक जापानी इंसेफलाइटिस और एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम के मरीजों और इस बीमारी से मरने वालों की संख्या में 2016 के मुकाबले चार गुना तक कमी आई है। बिहार के मुजफ्फरपुर में जहां चमकी बुखार यानी एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम से बच्चों की मौत से पूरे देश में हाहाकार मचा है, वहीं यूपी के योगी सरकार के प्रयासों से पूर्वांचल का काल कहे जाने वाली इस बीमारी से लड़ाई में अभूतपूर्व सफलता मिली है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार जापानी इंसेफेलाइटिस और एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम के मरीजों और इस बीमारी से मरने वालों की संख्या में 2016 के मुकाबले चार गुना तक कमी आई है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 2016 में यूपी के पूर्वांचल समेत अन्य इलाकों में में एईएस के 3,911 मरीज मिले थे। 17 जून 2018 में यह आंकड़ा 1,050 रहा जबकि 17 जून 2019 तक यह संख्या 440 तक सिमट गई। एईएस से 2018 में 98 मौतें हुई थी। 17 जून 2019 तक इस बीमारी से 16 मौतें दर्ज की गई हैं। प्रदेश में 2016 में जेई के 442 मामले पाए गए थे, जिनमें 74 की मौत हो गई थी। वहीं, 2018 में जेई केवल 64 मामले पा...

अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर अच्छी सेहत के मार्ग पर चलने का लें संकल्प

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जानकारी : पांचवां विश्व योग दिवस 21 जून 2019 को है। पूरी दुनिया में योग लोकप्रिय हो रहा है, क्योंकि यह तन और मन को दुरुस्त रखता है। योग भारत की प्राचीन परंपरा की सौगात है। यह व्यायाम का एक प्रकार है, जिसमें शारीरिक क्रियाओं और अध्यात्मिक अभ्यासों का समागम होता है। यह व्यक्ति को संपूर्ण षारीरिक और मानसिक सेहत प्रदान करने का सबसे प्रभावषाली तरीका है। जो लोग नियमित तौर पर योग का अभ्यास करते हैं, वो जानते हैं कि सही आसन में शरीर को संतुलित रखने में कितनी शक्ति की आवश्यकता होती है। इसलिए जरूरी है कि शरीर को सही पोषण मिले, जो वॉलनट जैसे आहार में भरपूर होता है। इस आहार के साथ आप योग का पूरा फायदा लेने में समर्थ बनते हैं। योग और सही आहार : उचित आहार शरीर एवं मन को स्वस्थ रखने के लिए जरूरी है, ताकि दीर्घकालिक बीमारियों का जोखिम कम रहे। योगा का पूरा लाभ उठाने के लिए यह भी आवश्यक है कि सेहतमंद आहार लिया जाए। सेहतमंद आहार न केवल आपकी पोषण की जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि इससे ज्यादा ऊर्जा भी मिलती है और आप अपने दैनिक कार्यों पर केंद्रित हो पाते हैं। योग के सत्र के साथ वॉलनट्स का सेवन : अच्छी स...

सुभाष बाबू का संकल्प

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बोधकथा : स्वतंत्रता सेनानी सुभाष चंद्र बोस बचपन में बांग्ला भाषा में बहुत कमजोर थे। एक बार अध्यापक ने उन्हें गाय पर निबंध लिखने को कहा। उन्होंने किसी तरह अंदाज से लिख दिया। अध्यापक ने जब उनका निबंध पढ़ा तो सब लड़के हंस पड़े। उन पर घड़ों पानी पड़ गया। तभी उन्होंने दृढ़ संकल्प किया कि बांग्ला पूरी तरह सीखकर रहेंगे। उन्होंने दिन-रात एक करके बांग्ला का व्याकरण कंठस्थ कर लिया। उन्हें बांग्ला भाषा अच्छी तरह से आ गई पर उन्होंने इस बात को गुप्त रखा। वार्षिक परीक्षा हुई। उनके सहपाठियों को लगता था कि सुभाष बांग्ला भाषा में फेल हो जाएंगे, लेकिन उनकी आशाओं पर तब पानी फिर गया जब उन्हें अन्य विषयों के साथ-साथ बांग्ला में भी सबसे ज्यादा अंक मिले और आगे चलकर यही सुभाष बाबू ने अंगे्रजों को देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया।

बच्चों के नखरे भी होते हैं सेहतमंद!

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स्वास्थ्य : बच्चों के बेवजह नखरे यानी टैंट्रम्स। बच्चों के इन नखरे, चिड़चिड़ाहट और झुंझलाहट के साथ कैसे डील करना है यह भी पैरंटिंग का अहम हिस्सा है और हर मां-बाप को इसके साथ अच्छी तरह से डील करना आना चाहिए। कई बार पैरंट्स को पता भी नहीं होता कि आखिर उनके बच्चे इतना नखरे कर क्यों रहे हैं लेकिन हकीकत यही है कि इस तरह की चीजें भी बच्चे की सेहत और इमोशनल हेल्थ का एक अहम हिस्सा है। इन वजहों से बच्चे करते हैं नखरे : आमतौर पर अगर बच्चा भूखा है, बहुत ज्यादा थक गया है, बीमार है या फिर किसी वजह से अनकम्फर्टेबल महसूस कर रहा है तब वह ज्यादा रोता है, चिल्लाता है, मारने के लिए हाथ उठाता है, दांत काटता है, जमीन पर लोटता है या फिर अपनी सांस रोकने की कोशिश करता है और किसी की कोई बात नहीं सुनता। किसी भी पैरंट के लिए बच्चे का इस तरह का व्यवहार गुस्सा और निराश करने वाला हो सकता है। खासतौर पर तब जब बच्चे इस तरह का व्यवहार पब्लिक प्लेस पर करें। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि बच्चों का इस तरह नखरा करना उनकी सेहत के लिए कई तरह से लाभप्रद है— कॉर्टिसोल रिलीज होता है : जब बच्चा रोता है तो वह अपने शरीर में...

नहाते समय इन चीजों का करें इस्तेमाल खिलीखिली रहेगी त्वचा

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जीवनशैली : कई बार लोग नहाते वक्त मार्केट में मौजूद ऐसे कई प्रोडक्ट्स का इस्तेमाल करते हैं ताकि खूबसूरती और ताजगी बरकरार रहे. लेकिन क्या आप जानते हैं किचन में मौजूद कुछ प्रोडक्ट्स को मिलाकर नहाने से न केवल आपकी स्किन खिली खिली रहेगी बल्कि आपकी जेब से ज्यादा पैसे भी कम खर्च करने पड़ेंगे। साबुन का बहुत ज्यादा इस्तेमाल शरीर को रूखा बना सकता है. इसलिए हफ्ते में एक बार नहाते समय बेसन और दूध का उबटन बनाकर त्वचा पर लगाएं. इसे बनाने के लिए आधा कटोरी दूध में 2 चम्मच बेसन डालकर अच्छे से मिक्स कर लें. अब इसे हल्के हाथों से पूरे शरीर पर लगाएं. जब ये सूखने लगे तो हल्के हाथों से इसे रगड़कर छुड़ा दें. गुनगुने गाने से नहाएं. ऐसा करने से शरीर की गंदगी दूर होगी, त्वचा में निखार आएगा और रूखापन नहीं रहेगा. नहाते वक्त गुनगुने पानी में सेंधा नमक और फिटकरी मिला लें. इस पानी से नहाने पर थकान से निजात मिलती है और शरीर में खून का दौरा भी अच्छे से होता है. साथ ही मांसपेशियां भी रिलैक्स हो जाती हैं. नहाने के पानी में 5 चम्मच बेकिंग सोडा डालें. अब इस पानी से स्नान करें. ऐसा करने से शरीर के विषैले तत्व बाहर निकल ...

पेट की चर्बी कम करने साथ मेंटेल स्ट्रेंथ बढ़ाता है पिलाटे वर्कआउट, और भी हैं फायदे

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स्वास्थ्य : फिल्म अभिनेत्रियों करीना कपूर, दीपिका पादुकोण और सारा अली खान जैसे हसीनाओं का आए दिन सोशल मीडिया में पिलाटे एक्सरसाइज करते हुए का फोटो वायरल होता रहता है। पिछले कुछ समय में पिलाटे एक्सरसाइज बहुत ट्रेंड में है। ये वर्कआउट बॉलीवुड दिवाज से लेकर फिटनेस फ्रीक्स लोगों की लिस्ट में टॉप पर है। पिलाटे वर्कआउट से वेट लॉस के बजाय फैट लॉस और बॉडी टोनिंग होती है। महिलाएं अगर इस वर्कआउट को फॉलो करें तो उनकी लोअर बॉडी का फैट कम होता है। मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए पिलाटे एक्सरसाइज बहुत अच्छी मानी जाती है। पिलाटे एक तरह से बॉडी बिल्डिंग करने की टेक्निक है जो पेट की मांसपेशियों और सांस लेने की प्रक्रिया को स्ट्रांग बनाती है। आज हम आपको इसके फायदे के बारे में बताने जा रहे हैं।  पिलाटे एक्सरसाइज सिस्टम को जर्मन फिटनेस एक्सपर्ट जोसफ पिलाटे ने वर्ष 1883 में डेवलप किया था। इसकी अलग-अलग टेक्निक होती है। आइए जानते है इस बारे में। स्टैंडिंग रोल डाउन सीधे खड़े होकर सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर ले जाएं। फिर सांस छोड़ते हुए आगे की ओर इतना झुकें कि आपकी पीठ जमीन के समांतर आ जाए। अब हाथ...

स्मार्टफोन और शराब को जीवन का अहम अंग मान रहे हैं युवा!

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विचार : देश में 80 के दशक में टेलीफोन और 90 के दशक में कम्प्यूटर का प्रवेश हुआ। टेलीफोन और कम्प्यूटर का शुरुआत में कुछ लोगों ने विरोध किया, लेकिन उनका विरोध कुछ खास असरदार नहीं रहा। तत्पश्चात 90 के दशक के अंत और सन 2000 की शुरुआत में मोबाइल फोन का पदार्पण हुआ। शुरुआत में कुछ लोग मोबाइल को और अधिक स्टाइलिश भाषा में सेल्यूलर फोन कहते थे। जिनके पास सेल्यूलर फोन होता था उन्हें समाज में बड़ा आदर मिलता था और नोकिया कम्पनी को तो कहा जाता था कि दुनिया की सबसे बेहतरीन कम्पनी है। जबकि अब न सेल्यूलर फोन रहा और न ही नोकिया कम्पनी। अब तो स्मार्टफोन सबके हाथों में, टच स्क्रीन का जबसे ईजाद हो गया तबसे तो समझ लो दुनिया हाथों में ही है। अब आजकल स्मार्टफोन की जितनी भी कम्पनियां श्रेणी के आधार पर हैं, उसी हिसाब से मनुष्य लोग भी अपने आप को भी श्रेणी में विभाजित कर लिया है। जबकि अब वह दिन दूर नहीं जब आईफोन स्मार्टफोन को समाप्त करने के लिए जन्म ले चुका है। दुनिया में लोगों को जितना आनन्द स्मार्टफोन चलाने और शराब पीने में आता है वह आनंद और कहां, लेकिन विश्व के कुछ लोगों का मानना है कि सबसे बड़ा सुख है आध्...

सबसे बड़ी है मन की शक्ति

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बोधकथा : एक बार की बात है—स्वामी विवेकानंद एक अंग्रेज मि.मूलर के साथ टहल रहे थे। उसी समय एक पागल सांड़ तेजी से उनकी ओर बढ़ने लगा। अंग्रेज सज्जन भाग कर पहाड़ी के दूसरी छोर पर जा खड़े हुए। स्वामी जी ने उन्हें सहायता पहुंचाने का कोई और उपाय न देख खुद सांड़ के सामने खड़े हो गए। तब मिस्ट मूल देखकर दंग रह गए। जब स्वामी जी से मि. मूलर ने पूछा कि आपको सांड़ के सामने डर नहीं लगा तब वह बोले उस समय उनका मन हिसाब करने में लगा हुआ था कि सांड़ उन्हें कितनी दूर फेंकेगा। लेकिन कुछ देर बाद वह ठहर गया और पीछे हटने लगा। अपने कायरतापूर्ण पलायन पर मि. मूलर बड़े लज्जित हुए। मिस्टर मूलर ने पूछा कि वे ऐसी खतरनाक स्थिति से सामना करने का साहस कैसे जुटा सके? स्वामी जी ने पत्थर के दो टुकड़े उठाकर उन्हें आपस में टकराते हुए कहा, खतरे और मृत्यु के समक्ष मैं स्वयं को चकमक पत्थर के समान सबल महसूस करता हूं, क्योंकि मैंने ईश्वर के चरण स्पर्श किये हैं। यानि यदि आप मन की शक्ति से किसी भी काम करने का निर्णय करेंगे तो संभव है उस समस्या को आप शीघ्र हल कर सकते हैं।

सभी को प्रतिदिन बोलना चाहिए सुभाषित!

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विचार : भारतवर्ष में एक सांस्कृतिक संगठन है 'राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ', 'संघ' की शाखा में प्रतिदिन सुभाषित कहे जाते हैं। सुभाषित (सु + भाषित = सुन्दर ढंग से कहे गये शब्द) ऐसे शब्द-समूह, वाक्य या अनुच्छेदों को कहते हैं जिसमें कोई बात सुन्दर ढंग से या बुद्धिमत्ता और तर्कपूर्ण तरीके से कही गयी हो। सुवचन, सूक्ति, अनमोल वचन, आदि शब्द भी इसके लिये प्रयोग किये जाते हैं। उदाहरण :- उद्यमः साहसं धैर्यं बुद्धिः शक्तिः पराक्रमः । षडेते यत्र वर्तन्ते तत्र दैवं सहायकृत् ॥ भावार्थ : जिस व्यक्ति में उद्यम, साहस, धैर्य, बुद्धि, शक्ति और पराक्रम होते हैं उनकी देव यानि ईश्वर भी मदद करते हैं। सुभाषितमयैर्द्रव्यैः संग्रहं न करोति यः। सोऽपि प्रस्तावयज्ञेषु कां प्रदास्यति दक्षिणाम्।। (यः सुभाषित-मयैः द्रव्यैः संग्रहं न करोति सः अपि प्रस्ताव-यज्ञेषु कां दक्षिणाम् प्रदास्यति ?) भावार्थ : सुभाषित कथन रूपी संंपदा का जो संग्रह नहीं करता वह प्रसंगविशेष की चर्चा के यज्ञ में भला क्या दक्षिणा देगा ? समुचित वार्तालाप में भाग लेना एक यज्ञ है और उस यज्ञ में हम दूसरों के प्रति सुभाषित शब्दों की आहुति दे...

डाइजेशन में मदद व कब्ज दूर करता है कॉफी

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जीवनशैली : कॉफी, कब्ज की समस्या को दूर कर आंतों की सफाई और मलोत्सर्ग में मदद करती है। लेकिन अब एक रिसर्च की गई है जिसमें यह जानने की कोशिश की गई है कि आखिर कॉफीमें ऐसा क्या है जिसकी वजह से यह पेट के लिए अछी मानी जाती है। चूहों पर की गई स्टडी में यह बात सामने आयी है कि कैफीन के बावजूद कॉफी, गट बैक्टीरिया को दबाकर मांसपेशियों की गतिशीलता को बढ़ा देती है। डाइजेस्टिव डिजीज वीक 2019 नाम के जर्नल में इस स्टडी को प्रकाशित किया गया है। इस स्टडी के लीड ऑथर यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्सस मेडिकल ब्रांच के शुआन जेंग शी ने कहा, जब चूहों को 3 दिन तक लगातार कॉफी दी गई तो उनकी छोटी आंत में मौजूद मांसपेशियों में कॉन्ट्रैक्शन बढ़ गया। ये नतीजे और यह असर कैफीन से अलग है क्योंकि कैफीन-फ्री कॉफी का भी वह असर हुआ जो रेग्युलर कॉफी का। इस स्टडी में उन बदलावों को भी शामिल किया गया जो कॉफी के साथ डाइरेक्टली संपर्क में आने के बाद आंत और कोलोन की स्मूथ मांसपेशियों पर पड़ा। जब चूहों को 3 दिन तक कॉफी का सेवन करवाया गया तो उनके मल में मौजूद ओवरऑल बैक्टीरिया काउंट में कमी आ गई लेकिन अनुसंधानकर्ताओं की मानें तो इस बात को सा...

ब्रह्मचर्य की शक्ति

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बोधकथा : स्वामी दयानंद सरस्वती जगह—जगह आर्य समाज आंदोलन का प्रचार कर रहे थे। लोग उनसे प्रभावित होने लगे थे तथा उनकी सभाओं में भारी भीड़ उमड़ रही थी। स्वामी जी को सुनने के लिए लोग विभिन्न प्रान्तों और प्रदेशों से पैदल, घोड़ा गाड़ी अथवा बैलगाड़ी से आते थे। ऐसी ही एक सभा में स्वामी जी का व्याख्यान चल रहा था। वे ब्रह्मचर्य पर लोगों को समझा रहे थे। सभा समाप्त होने पर सभी अपने गन्तव्य की ओर अग्रसर हो रहे थे। सहसा एक व्यक्ति अपनी बैलगाड़ी रोककर स्वामी जी के सम्मुख आकर कहने लगा-स्वामी जी! आप ब्रह्मचर्य विषय पर तो बड़े-बड़े व्याख्यान देते हो, लेकिन मुझे तो आप में और मुझ में कोई अन्तर दिखाई नहीं दे रहा। इस पर स्वामी जी केवल मुस्करा दिए। इसके बाद उस व्यक्ति ने अपनी बैलगाड़ी हांक दी। दोनों बैल भरपूर जोर लगा रहे थे, किन्तु गाड़ी आगे नहीं बढ़ रही थी। ऐसे में उस व्यक्ति ने जैसे ही पीछे मुड़ कर देखा, स्वामी जी बैलगाड़ी का पहिया पकड़े हुए थे। वह हतप्रभ रह गया तथा वह स्वामी जी के चरणों में गिर पड़ा। उसे अपनी भूल व ब्रह्मचर्य की शक्ति का आभास हो चुका था।

राजा और चित्रकार

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बोधकथा : एक चित्रकार राजा के दरबार में अद्भुत चित्र बनाया करता था। एक दिन राजा ने चित्रकार से पूछा-अच्छा यह बताओ कि कौन-सी चीजों के चित्र बनाना कठिन है और ऐसी कौन-सी वस्तुएं हैं, जिनके चित्र आसानी से बनाये जा सकते हैं इस पर चित्रकार बोला- राजन, जो वस्तुएं हमारी जानी-पहचानी हैं, जिन्हें हम रोज देखते हैं, उनके चित्र बनाना कठिन है। लेकिन अज्ञात चीजें जैसी देवी-देवता, राक्षस आदि के चित्र बड़ी आसानी से बनाए जा सकते हैं। इस उत्तर पर राजा ने कहा-यह तो तुम उलटी बात कर रहे हो। जो चीज जानी-पहचानी है, उसका चित्र बनाना तो आसान होना चाहिए न। चित्रकार ने समझाया- जिन चीजों को लोग अच्छी तरह जानते हैं, उनकी तस्वीर बनाना इसलिए कठिन है कि लोग उनकी कमियों को आसानी से पकड़ सकते हैं। उनके दिमाग में उन वस्तुओं की एक छवि बनी रहती है, जिससे वे हमारे चित्रों का मिलान करने लगते हैं। लेकिन जिन चीजों को उन्होंने देखा ही नहीं है, उसके बारे में कोई निश्चित छवि वे अपने भीतर नहीं बना पाते हैं। जैसे देवी-देवता आदि की तस्वीरें। वैसी तस्वीरों को एक चित्रकार अपनी कल्पना के सहारे जैसा चाहे वैसा बना सकता है। उन पर लोग आप...

गर्मी में स्किन तरोताजा रखने के लिए घर पर ही बनाएं मिस्ट

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जीवनशैली : गर्मी के मौसम में त्वचा तरोताजा रखने के लिए घर पर मिस्ट तैयार किया जा सकता है— ऐलोवेरा मिस्ट : इसके लिए 3 चम्मच ऑर्गेनिक ऐलोवेरा जेल लें, आधे नींबू का जूस और आधा कप डिस्टिल्ड वॉटर लें। इन सारी चीजों को मिला लें और इन्हें स्प्रे बॉटल में भर लें। अब बॉटल को फ्रिज में रखने के बाद इस्तेमाल करें। रोजवॉटर मिस्ट : इसके लिए आपको 1 कप गुलाब की पत्तियां, 2 कप पानी और 5 से 10 ड्रॉप्स जेरैनियम इसेंशल ऑइल की जरूरत होगी। सबसे पहले गुलाब की पत्तियों को उबालें। ठंडी होने पर छान लें और इसे मिस्ट बॉटल में रखें। बॉटल में जेरैनियम ऑइल डालकर अच्छे से हिलाएं। इस मिश्रण को फ्रिज में रखकर अच्छी तरह ठंडा कर लें। कुकंबर मिस्ट : 1 कटा हुआ खीरा, 1/2 स्लाइस नींबू, 1 ऑर्गैनिक मिंट टी बैग और 1/2 कप डिस्टिल्ड वॉटर लें। सबसे पहले खीरे को मिक्सर में ब्लेंड कर लें। इतना ब्लेंड करें कि यह जूस बन जाए फिर इसके बाद इसमें नींबू का जूस डालें। टी बैग को कुछ देर तक गर्म पानी में डालकर रखें, जब ठंडा हो जाए तो इसे भी मिक्सचर में मिला लें। इन सबको एक स्प्रे बॉटल में भरकर फ्रिज में रख दें। ग्रीन टी मिस्ट : ग्रीन टी बह...

कार्यालय में आती रहती है नींद, कैसे भगायें?

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​जीवनशैली : आज की भागदौड़ भरी जिंदगी में कई लोगों को रात में नींद न आने की समस्या है। कई लोग इससे छुटकारा पाने के लिए कोशिश भी करते हैं लेकिन वे नाकाम रहते हैं। समय से बेड पर चले जाना और लाइट ऑफ करने के बाद भी देर रात तक आप करवट ही बदलते रहते हैं तो यह सिर्फ एक लाइफस्टाइल प्रॉब्लम नहीं बल्कि इससे कहीं ज्यादा खतरनाक हो सकता है। नींद की कमी कई तरह की खतरनाक बीमारियों से संबंधित है। इससे मेंटल हेल्थ पर असर पड़ता है। नींद पूरी न होने से डायबीटीज, डिमेन्शिया जैसी बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। इससे आपकी इम्यूनिटी पर भी असर पड़ता है। कई स्टडीज में यह भी सामने आया है कि रात को 6-8 घंटे से कम सोने से असमय मृत्यु का खतरा 12 प्रतिशत तक बढ़ जाता है। रात में ठीक से न सो पाने से आप दिन भर अलसाए रहते हैं और काम पर ध्यान नहीं दे पाते हैं। खैर, रोजमर्रा की कुछ छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर आप अपनी दिन की नींद पर कंट्रोल कर सकते हैं और रात को भरपूर सो सकते हैं। सुबह आप आंख खोलते हैं तो आपको आलस आता है। यह स्लीप इनर्शिया है। मुंह धोने के बाद या नहाने से यह दूर हो जाएगा और आप तरोताजा महसूस करेंगे। इसल...