अनोखे मत्यगजेंद्र मंदिर में हैं चार शिवलिंग
आस्था। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में कई धार्मिक स्थान है, जहां घूमने व दर्शन करने से मन प्रफुल्लित हो जाता है। भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट के रामघाट के पास स्थित मत्यगजेंद्र (शिवलिंग) का वर्णन शिवपुराण में भी है। विशेष बात यह है कि मत्यगजेंद्र मंदिर में चार शिवलिंग हैं, ऐसा विश्व में कहीं और नहीं है, इसलिये इसे अनोखा मंदिर कहा जाता है। सावन का पवित्र महीना चल रहा है, ऐेसे में चित्रकूट स्थित मत्यगजेंद्र मंदिर का जिक्र करना जरूरी है। सावन के सोमवार पर मत्यगजेंद्र मंदिर पर शिवभक्तों का जमावड़ा रहता है। आसपास की पवित्र नदियों और निकट बह रही मंदाकिनी नदी के जल से श्रद्धालु भगवान शंकर अभिषेक करते हैं। सोमवार को विशेष पूजन के लिए तड़के से ही लोग मंदिर प्रांगण में जुट जाते हैं। मत्यगजेंद्र मंदिर पवित्र मंदाकिनी नदी के किनारे रामघाट पर स्थित है। भगवान शिव के स्वरूप मत्यगजेंद्र को चित्रकूट का क्षेत्रपाल कहा जाता है, इसलिए बिना इनके दर्शन के चित्रकूट की यात्रा फलित नहीं होती है। शिवपुराण में निम्न श्लोक का उल्लेख है-
नायविंत समोदेशी नब्रम्ह सद्दशी पूरी।
यज्ञवेदी स्थितातत्र त्रिशद्धनुष मायता।।
शर्तअष्टोत्तरं कुण्ड ब्राम्हणां काल्पितं पुरा।
धताचकार विधिवच्छत् यज्ञम् खण्डितम्।।
यानि कि ब्रह्मा ने इस स्थान पर 108 कुंडीय यज्ञ किया, जिसके बाद भगवान शिव का मत्यगजेंद्र स्वरूप लिंग के रूप में प्रकट हुआ, उसी लिंग को इस मंदिर में स्थापित किया गया है। बता दें कि धर्मस्थली चित्रकूट में कई पवित्र स्थल हैं, जिनका दर्शन करना बेहद फलदायी रहता है। जानकी कुंड, राम दर्शन चित्रकूट, स्फटिक शिला, कामदगिरि, श्री कामता नाथ मंदिर, भरतकूप आदि मंदिर का भी श्रद्धालु दर्शन करते हैं।
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