वृद्धि योग में 18 अगस्त को मनायी जायेगी कृष्ण जन्माष्टमी

आस्था। कृष्ण जन्माष्टमी को जन्माष्टमी वा गोकुलाष्टमी के रूप में हर साल मनाया जाता है, भागवान विष्णु के दस अवतारों में से आठवें और चौबीस अवतारों में से 22वें अवतार श्रीकृष्ण के जन्म के आनन्दोत्सव के लिये मनाया जाता है। श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में आधी रात के समय वृष के चंद्रमा में हुआ था। जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के भक्त व्रत रखते हैं और रात 12 बजे उनके जन्म के साथ ही विधि विधान से उनका पूजन कर व्रत समाप्त करते हैं। इस वर्ष जन्‍माष्‍टमी और भी खास इसलिए है क्‍योंकि जन्‍माष्‍टमी के दिन वृद्धि योग लगा है। इसके अलावा इस दिन अभिजीत मुहूर्त भी रहेगा, जो कि दोपहर 12 बजकर 5 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। जन्‍माष्‍टमी पर ध्रुव योग भी बना है जो कि 18 अगस्‍त को 8 बजकर 41 मिनट से 19 अगस्‍त को रात 8 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। वहीं वृद्धि योग 17 अगस्‍त को दोपहर 8 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर 18 अगस्‍त को 8 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि जन्‍माष्‍टमी पर वृद्धि योग में पूजा करने से श्रद्धालु के घर की सुख, सम्पत्ति में वृद्धि होती है और मां लक्ष्‍मी प्रसन्न रहती हैं।
कृष्ण जन्माष्टमी तिथि : भाद्र कृष्ण अष्टमी 18 अगस्त को सायं 9 बजकर 21 से शुरू होगा और 19 अगस्त रात 10 बजकर 59 पर समाप्त हो जायेगा।
पूजा विधि : जन्माष्टमी के दिन पूरा दिन कृष्णाष्टकम् आदि स्तोत्र का पाठ करते हुए भगवान कृष्ण का स्मरण करना चाहिए। रात में ठीक 12 बजे उनके जन्म के बाद फिर से उनका विशेष पूजन और अर्चन करते हुए व्रत समाप्त कर लेना चाहिए। व्रत में फलों का ही सेवन करना चाहिए। हालांकि कुछ लोग निराहार भी व्रत रखते हैं।

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