किस दिन कौन सा तिलक लगाना रहेगा शुभ

आस्था। सनातन धर्म का प्रमुख अंग है टीका या तिलक लगाना। सनातन संस्कृति में पूजा-अर्चना, संस्कार विधि, मंगल कार्य, यात्रा गमन आदि शुभ कार्यों में माथे पर तिलक लगाकर उसे अक्षत से विभूषित किया जाता है। तिलक लगाने के 12 स्थान हैं। सिर, ललाट, कंठ, हृदय, दोनों बाहुं, बाहुमूल, नाभि, पीठ, दोनों बगल में, इस प्रकार बारह स्थानों पर तिलक करने का विधान है। मस्तक पर तिलक जहां लगाया जाता है वहां आत्मा अर्थात हम स्वयं स्थित होते हैं।

सोमवार को भगवान शंकर का दिन माना जाता है, इस दिन के स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं इसलिए इस दिन सफेद चंदन, विभूति या फिर भस्म का तिलक लगाना चाहिए, ऐसा करने से भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न होते हैं।

मंगलवार के दिन हनुमान की पूजा की जाती है और इस दिन का स्वामी ग्रह मंगल है, इस दिन लाल चंदन या चमेली के तेल में घुला हुआ सिंदूर का तिलक लगाने की परम्परा है, ऐसा करने से जीवन में सभी संकट दूर होते हैं।

बुधवार का दिन भगवान गणेश का दिन होता है, इस दिन के ग्रह स्वामी बुध हैं। इस दिन सूखे सिंदूर का तिलक किया जाता है, ऐसा करने से जातकों को यश मिलता है, कार्य क्षमता बढ़ती है।

गुरुवार को विष्णु जी की पूजा की जाती है, इस दिन के स्वामी ग्रह बृहस्पति हैं। इस दिन सफेद चंदन की लकड़ी को पत्थर पर घिसकर उसमें केसर मिलाकर तिलक लगाने से धन सम्बन्धी समस्याएं दूर होती हैं और मनोकामनायें पूर्ण होती हैं।

शुक्रवार के दिन माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है, इस दिन के ग्रह स्वामी शुक्र हैं। इस दिन लाल चंदन का तिलक लगाया जाता है, इससे घर में सुख सुविधाओं का वास होता है। घर में सुख, समृद्धि आती है।

शनिवार भैरव, शनि और यमराज का दिन है, इस दिन के ग्रह स्वामी शनि हैं। शनिवार को विभूति, भस्म या लाल चंदन लगाने से भैरव प्रसन्न होते हैं और सभी कष्टों से छुटकारा दिलाते हैं।

रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित है, इस दिन के ग्रह स्वामी सूर्य हैं, जो ग्रहों के राजा भी हैं। इस दिन लाल चंदन या रोली का तिलक लगाना चाहिए, ऐसा करने से मान-सम्मान बढ़ता है और जातक निडर बनता है।

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