कर्म पर विश्वास

 

बोधकथा। एक व्यक्ति के पास धान, सब्जी की खेती, बगीचा और फैक्टरी थी, उसका निधन हो गया। इकलौते बेटे ने काम संभाला तो नुकसान होने लगा। तंत्र–मंत्र किया, लेकिन हालात नहीं सुधरे। एक दिन गांव में एक महात्मा आए, बेटे ने दुखड़ा सुनाया। महात्मा ने दिनचर्या पूछी। फिर एक पोटली देते हुए महात्मा ने कहा कि इसमें रखे सामान को देखे बगैर सूर्योदय से पहले सब जगह छींटना, पुत्र ने यही किया। दो-चार माह बाद उसे खेती और व्यापार में फायदा हुआ। आठ महीने बाद महात्मा गांव आए तो बेटे ने बताया कि पहले वह सुबह आठ बजे सोकर उठता था, आलस से नुकसान हो रहा था। बाद में पता चला कि पोटली में सिर्फ मिट्टी थी, आलस खत्म करने के लिये महात्मा ने बेटे को दिया था।

टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

वृष राशि वालों के लिए बेहद शुभ है नवम्बर 2020

26 नवम्बर 2020 को है देवउठनी एकादशी, शुरू होंगे शुभ कार्य

15 मई से सूर्य मेष से वृषभ राशि में जाएंगे, जानें किन राशियों पर क्या प्रभाव पड़ेगा