टीका लगाने से मिलती है अद्भुत ऊर्जा
आस्था। सामान्य पूजन या वैदिक पूजन में टीका या तिलक लगाना बेहद जरूरी और अहम माना गया है। कोई शुभ या मांगलिक कार्य में माथे पर तिलक लगाने की परम्परा है। तिलक हमेशा मस्तिष्क के केंद्र पर लगाया जाता है। मानव शरीर में सात छोटे ऊर्जा केंद्र होते हैं। मस्तिष्क के बीच में आज्ञाचक्र होता है, जिसे गुरुचक्र भी कहते हैं, यह जगह मनुष्य के शरीर का केंद्र स्थान है। गुरुचक्र को बृहस्पति ग्रह का केंद्र माना जाता है, बृहस्पति सभी देवों का गुरु होता है, इसीलिए इसे गुरुचक्र कहा जाता है। तिलक लगाने से मन को शांति मिलती है, माथे पर तिलक लगाने के पीछे मनोवैज्ञानिक कराण यह है कि इससे व्यक्ति के आत्मविश्वास और आत्मबल में खूब इजाफा होता है। माथे के बीच पर जब भी आप तिलक लगाते हैंं उससे लोग शांति व सुकून अनुभव करते हैं, यह कई तरह की मानसिक बीमारियों से भी हमें बचाता है। अनामिका उंगली से तिलक लगाने से तेजस्वी और प्रतिष्ठा मिलती है और मान-सम्मान के लिए अंगूठे से तिलक लगाया जाता है, अंगूठे से तिलक लगाने से ज्ञान और आभूषण की प्राप्ति होती है और विजय के लिए तर्जनी उंगली से तिलक लगाने का रिवाज है। टीका लगाने से अद्भुत ऊर्जा मिलती है। तिलक किसी भी रंग का हो, सभी में ऊर्जा होती है लेकिन सफेद रंग यानि चंदन के तिलक को शीतलदायी, लाल रंग के तिलक को ऊर्जावान और पीले रंग के तिलक को प्रसन्नचित रहने के लिए भी लगाया जाता है।
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