गणेश चतुर्थी पर सभी मनोकामनाएं पूरा करेंगे 'प्रथमेश'

आस्था। सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी प्रमुख त्योहारों में से एक है। गणेश चतुर्थी पूरे भारत में मनाया जाता है, मान्यता है कि कलयुग में गणेश चतुर्थी पूजन विशेष फलदायी होता है। महाराष्ट्र में यह त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। चतुर्थी के दिन गणेश की प्रतिमा को घरों में स्थापित कर नौ दिनों तक पूजन किया जाता है। बड़ी संख्या में आसपास के लोग दर्शन करने पहुँचते हैं। नौ दिन बाद गानों और बाजों के साथ गणेश प्रतिमा को किसी तालाब इत्यादि जल में विसर्जित करने की परम्परा है। हालांकि मौजूदा दौर में मूर्तियों को मिट्टी में विसर्जित करने की सलाह ज्योतिषियों द्वारा दी जा रही है। इस बार यानि 2022 में गणेश चतुर्थी की शुरुआत 31 अगस्त से हो रही है। 30 अगस्त, मंगलवार दोपहर 3 बजकर 33 मिनट  पर चतुर्थी तिथि शुरू होगी और 31 अगस्त दोपहर 3 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगा। उदयातिथि के आधार पर गणेश चतुर्थी का व्रत 31 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक है। गणेश चतुर्थी के दिन घर में गणपति बप्पा की स्थापना करने से और विधि-विधान से पूजन से सभी विघ्न दूर हो जाते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। गणेश विसर्जन 9 सितम्बर 2022 को किया जाएगा। गणेश जी को मोदक के अलावा मोतीचूर के लड्डू भी पसंद हैं। शुद्ध घी से बने बेसन के लड्डू, बूंदी के लड्डू भी अर्पित किया जा सकता है। भगवान गणेश को नारियल, तिल और सूजी के लड्डू भी श्रद्धालु अर्पित करते हैं। गणेश जी को दूब घास पुष्‍पों से भी अधिक प्रिय है। भगवान गणेश को गेंदे का फूल सबसे अधिक पसंद है। बता दें कि गणेश जी को पूजा में सूखे और बासी फूल नहीं चढ़ाना चाहिए। वैदिक पूजन में सबसे पहले गणेश की पूजा की जाती है, इसीलिये गणेश जी को प्रथमेश भी कहा जाता है।

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