संदेश

अगस्त, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गणेश चतुर्थी को न करें चंद्र दर्शन, लगेगा कलंक

चित्र
आस्था । शास्त्रों के अनुसार तारा मंडल के स्वामी चंद्रमा ने  भाद्रपद शुक्ल पक्ष चतुर्थी के दिन भगवान गणेश के मोटे पेट पर व्यंग्य करते हुए हंस दिया, इस पर कुपित होकर गणेश जी ने चंद्रमा को श्राप दे डाला कि वह कभी भी पूर्ण रूप में नहीं दिखेंगे और जाने-अनजाने में भाद्रपद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी की रात्रि में जो उन्हें देखेगा, उन पर लांछन लग जाएगा। बता दें कि चतुर्थी का मुहूर्त में कोई विशेष स्थान नहीं है क्योंकि तिथियों में यह रिक्ता तिथि है, रिक्ता का अर्थ है रिक्त होना या खाली होना। इस तिथि को सभी तिथियों की मां भी कहा गया है, यह बात ध्यान देने वाली है कि यह कोई शुभ मुहूर्त नहीं है, इस तिथि में नये कार्य की शुरुआत नहीं करनी चाहिए। एक मान्यता यह भी है कि छोटा चूहा गणेश जी का वजन सहन नहीं कर सका और फिसल गया। अजीब नजारा देखकर चांद हंसने लगा। गणेश ने क्रोधित होकर चंद्रमा को श्राप दे दिया कि जो कोई भी गणेश चतुर्थी की रात को चंद्रमा को देखेगा, उस पर झूठा आरोप लगा जाएगा। इस बार यानि 2022 में गणेश चतुर्थी 31 अगस्त को है, लेकिन चतुर्थी में चंद्रोदय 30 अगस्त को होगा इसलिए इन दोनों दिन चंद्...

हरतालिका तीज के दिन महिलाएं करती हैं तपस्या

चित्र
आस्था। सनातन धर्म में हरियाली तीज व्रत का खास महत्व है, हरियाली तीज व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना पूरी श्रद्धा भाव से करती हैं। इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन सुखद बना रहता है, पति की लम्बी आयु की महिलाएं कामना करती हैं। जो भी शादीशुदा महिला इस व्रत को करती है, उसे मां पावर्ती से सदा सुहागिन रहने का आशीर्वाद मिलता है, यदि अविवाहित कन्याएं इस व्रत को रखती हैं तो उन्हें सुयोग्य वर मिलता है। व्रत पूजन के लिए भगवान शिव और माता पावर्ती की मूर्ति या तस्वीर। इस मूर्ति या तस्वीर को रखने के लिए पूजा की चौकी, पीले या लाल रंग का नया वस्त्र, भगवान के लिए वस्त्र, माता पावर्ती के लिए चुनरी, कलश, मेवा, बताशे, आम के पत्ते (आप पान का पत्ता भी ले सकते हैं), घी, दिया, कच्चा नारियल, धूप, अगरबत्ती, कपूर, पुष्प, पांच प्रकार के फल, सुहाग का सामान, सुपारी, पूजा पर भोग लगाने के लिए प्रसाद, मिठाई आदि जरूरी सामान की व्यवस्था कर लेना चाहिए। हरतालिका तीज पर महिलाओं में सजने-संवरने का भी काफी उत्स...

चतुर्थी को मंदिर में करें गणेश दर्शन

चित्र
आस्था। शास्त्र के अनुसार इस साल यानि 2022 में गणेश चतुर्थी 31 अगस्त को पड़ रही है। इस बार गणेश चतुर्थी पर अद्भुत संयोग बन रहा है। ऐसा दुर्लभ संयोग 10 साल पहले 2012 में बना था, गणेश पुराण में बताया गया है कि गणेश का जन्म भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को दिन के समय हुआ था, उस दिन शुभ दिवस बुधवार था। इस साल भी कुछ ऐसा ही संयोग बन रहा है। इस साल भी भाद्र शुक्ल चतुर्थी तिथि बुधवार को है। 31 अगस्त से लेकर पूरे 10 दिन तक भगवान गणेश की पूजा-अर्चना की जाएगी। कुछ लोग अपने घरों में भी भगवान गणेश की मूर्तियां स्थापित करते हैं। भगवान गणेश के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में श्री सिद्धिविनायक गणपति मंदिर का नाम जरूर आता है। मुम्बई स्थित श्री सिद्धिविनायक मंदिर में पूरे वर्ष भक्तों की भीड़ लगी रहती है, लेकिन गणेशोत्सव के इस खास मौके पर यहां की रौनक देखने लायक होती है। देश की एक से बढ़कर हस्तियां यहां दर्शन करने के लिए पंक्ति लगाकर खड़े रहते हैं। वहीं पुणे स्थित श्रीमंत दगदूशेठ गणपति मंदिर भगवान गणेश के भक्तों के बीच खूब प्रसिद्ध है। इस मंदिर से जुड़ी एक दिलचस्प बात ये है कि इस मंदिर का निर्माण श्री दगडू...

किस दिन कौन सा तिलक लगाना रहेगा शुभ

चित्र
आस्था। सनातन धर्म का प्रमुख अंग है टीका या तिलक लगाना। सनातन संस्कृति में पूजा-अर्चना, संस्कार विधि, मंगल कार्य, यात्रा गमन आदि शुभ कार्यों में माथे पर तिलक लगाकर उसे अक्षत से विभूषित किया जाता है। तिलक लगाने के 12 स्थान हैं। सिर, ललाट, कंठ, हृदय, दोनों बाहुं, बाहुमूल, नाभि, पीठ, दोनों बगल में, इस प्रकार बारह स्थानों पर तिलक करने का विधान है। मस्तक पर तिलक जहां लगाया जाता है वहां आत्मा अर्थात हम स्वयं स्थित होते हैं। सोमवार को भगवान शंकर का दिन माना जाता है, इस दिन के स्वामी ग्रह चंद्रमा हैं इसलिए इस दिन सफेद चंदन, विभूति या फिर भस्म का तिलक लगाना चाहिए, ऐसा करने से भोलेनाथ अत्यंत प्रसन्न होते हैं। मंगलवार के दिन हनुमान की पूजा की जाती है और इस दिन का स्वामी ग्रह मंगल है, इस दिन लाल चंदन या चमेली के तेल में घुला हुआ सिंदूर का तिलक लगाने की परम्परा है, ऐसा करने से जीवन में सभी संकट दूर होते हैं। बुधवार का दिन भगवान गणेश का दिन होता है, इस दिन के ग्रह स्वामी बुध हैं। इस दिन सूखे सिंदूर का तिलक किया जाता है, ऐसा करने से जातकों को यश मिलता है, कार्य क्षमता बढ़ती है। गुरुवार को विष्णु ज...

अनंत चतुर्दशी को समाप्त होगा गणेश चतुर्थी उत्सव

चित्र
आस्था। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का जन्म उत्सव मनाया जाता है। इस साल यानि 2022 में यह तिथि 31 अगस्त को है। गणेश चतुर्थी के दिन मंदिरों व घरों में भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित की जाती है और पूरे 10 दिनों तक गणपति बप्पा की विधिवत पूजा-अर्चना की जाती है और गणेश उत्सव का समापन अनंत चतुर्दशी को होगा। गणेश जी को बाधाओं को दूर करने वाले और विनाश के हिंदू देवता शिव की संतान और उनकी पत्नी देवी पार्वती के रूप में जाना जाता है। गणेश जी की मूर्ति स्थापना के लिये सबसे पहले चौकी पर गंगाजल छिड़कें और इसे शुद्ध कर लें। इसके बाद चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं और उस पर अक्षत रखें। भगवान श्रीगणेश की मूर्ति को चौकी पर स्थापित करें। इसके बाद भगवान गणेश को स्नान कराएं और गंगाजल छिड़कें। मूर्ति के दोनों ओर रिद्धि-सिद्धि के रूप में एक-एक सुपारी रखें। भगवान गणेश की मूर्ति के दाईं ओर जल से भरा कलश रखें। हाथ में अक्षत और फूल लेकर गणपति बप्पा का ध्यान करें। गणेश जी के मंत्र ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें। प्रत्येक शुभ कार्य से पहले सर्वप्रथम गणेश जी की ही पूजा होती है। घर के दक्...

ऐरावत हाथी और किसान

चित्र
  बोधकथा । एक किसान गन्ने की खेती करता था। इंद्र का हाथी ऐरावत गन्ने की फसल देख स्वर्ग से नीचे आ गया और फसल का कुछ हिस्सा खाकर चला गया। साथियों के साथ किसान ने रखवाली शुरू की। फिर ऐरावत आया तो सभी किसान ऐरावत को भगाने दौड़े। ऐरावत स्वर्ग जाने लगे तो किसान ने पूंछ पकड़ी, बाकी साथी उसे पकड़कर लटक गए। ऐरावत ने किसान से पूछा कि कितनी फसल होती है। किसान ने कहा कि बहुत। ऐरावत ने फिर पूछा–कितनी फसल। अधिक फसल बताने के लिए किसान ने हाथ फैलाया और किसान के हाथ से पूंछ छूट गई, जिससे किसान साथियों संग नीचे गिर पड़े।

बेहद शक्तिशाली होते हैं 'मंत्र'

चित्र
धर्म। मंत्रों का मंत्र महामंत्र है गायत्री मंत्र। यह प्रथम इसलिए कि विश्व का प्रथम वेद ऋग्वेद की शुरुआत ही इस मंत्र से होती है। माना जाता है कि भृगु ऋषि ने इस मंत्र की रचना की है। यह मंत्र इस प्रकार है- ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात् । वैसे मंत्र तों कई हैं, लेकिन मंत्रोच्चार निम्नलिखित तीन प्रकार के होते हैं- - वाचिक जप करने वाला ऊँचे-ऊँचे स्वर से स्पष्‍ट मंत्रों को उच्चारण करके बोलता है, तो वह वाचिक जप कहलाता है, अभिचार कर्म के लिए वाचिक रीति से मंत्र को जपना चाहिए। - उपाशु जप करने वालों की जिस जप में केवल जीभ हिलती है या बिल्कुल धीमी गति में जप किया जाता है जिसका श्रवण दूसरा नहीं कर पाता, तो वह उपांशु जप कहलाता है। शां‍‍‍ति और पुष्‍टि कर्म के लिए उपांशु रीति से मंत्र को जपना चाहिए। - मानस जप सिद्धि का सबसे उच्च जप कहलाता है और जप करने वाला मंत्र एवं उसके शब्दों के अर्थ को और एक पद से दूसरे पद को मन ही मन चिंतन करता है तो, वह मानस जप कहलाता है। इस जप में वाचक के दंत, होंठ कुछ भी नहीं हिलते है, मोक्ष पाने के लिए मानस रीति से मंत्र जपना चाहि...

टीका लगाने से मिलती है अद्भुत ऊर्जा

चित्र
आस्था। सामान्य पूजन या वैदिक पूजन में टीका या तिलक लगाना बेहद जरूरी और अहम माना गया है। कोई शुभ या मांगलिक कार्य में माथे पर तिलक लगाने की परम्परा है। तिलक हमेशा मस्तिष्क के केंद्र पर लगाया जाता है। मानव शरीर में सात छोटे ऊर्जा केंद्र होते हैं। मस्तिष्क के बीच में आज्ञाचक्र होता है, जिसे गुरुचक्र भी कहते हैं, यह जगह मनुष्य के शरीर का केंद्र स्थान है। गुरुचक्र को बृहस्पति ग्रह का केंद्र माना जाता है, बृहस्पति सभी देवों का गुरु होता है, इसीलिए इसे गुरुचक्र कहा जाता है। तिलक लगाने से मन को शांति मिलती है, माथे पर तिलक लगाने के पीछे मनोवैज्ञानिक कराण यह है कि इससे व्यक्त‍ि के आत्मविश्वास और आत्मबल में खूब इजाफा होता है। माथे के बीच पर जब भी आप तिलक लगाते हैंं उससे लोग शांति व सुकून अनुभव करते हैं, यह कई तरह की मानसिक बीमारियों से भी हमें बचाता है। अनामिका उंगली से तिलक लगाने से तेजस्वी और प्रतिष्ठा मिलती है और मान-सम्मान के लिए अंगूठे से तिलक लगाया जाता है, अंगूठे से तिलक लगाने से ज्ञान और आभूषण की प्राप्ति होती है और विजय के लिए तर्जनी उंगली से तिलक लगाने का रिवाज है। टीका लगाने से अद्भु...

अजा एकादशी के व्रत से दूर होंगे संकट

चित्र
  आस्था। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अजा एकादशी का व्रत 23 अगस्त 2022 को है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद अजा एकादशी व्रत कथा जरूर सुनें या पढ़ें। इस व्रत कथा को पढ़ने या सुनने मात्र से ही पाप नष्ट हो जाते हैं। पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि भाद्रपद कृष्ण एकादशी को अजा एकादशी के नाम से जानते हैं और भगवान कृष्ण अजा एकादशी की कथा युधिष्ठिर को सुनाई-चक्रवर्ती राजा हरिश्चंद्र जब अपने बुरे दिन बिता रहे थे तब एक दिन दुख के सागर में डूबे राजा हरिश्चंद्र सोच रहे थे कि उनके दुख के दिन कब और कैसे समाप्त होंगे। उसी समय गौतम मुनि वहां पहुंचे। राजा ने अपने दु:ख से निकलने का उपाय ऋषि से पूछा। ऋषि गौतम ने बताया कि भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की जो एकादशी होती है उसे अजा एकादशी कहते हैं। इस एकादशी के पुण्य से तुम्हारे सारे कष्ट समाप्त हो जाएंगे। राजा ने गौतम मुनि के बताए विधान के अनुसार अजा एकादशी का व्रत किया और इसी व्रत के पुण्य से ऐसा संयोग बना कि राजा के बुरे दिन समाप्त हो गए। बता दें कि अजा एकादशी का व्रत करने वाले जातक ब्रह्म मुहूर्त में उठकर नित्य क्रिया...

गणेश चतुर्थी पर सभी मनोकामनाएं पूरा करेंगे 'प्रथमेश'

चित्र
आस्था। सनातन धर्म में गणेश चतुर्थी प्रमुख त्योहारों में से एक है। गणेश चतुर्थी पूरे भारत में मनाया जाता है, मान्यता है कि कलयुग में गणेश चतुर्थी पूजन विशेष फलदायी होता है। महाराष्ट्र में यह त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी के दिन भगवान गणेश का जन्म हुआ था। चतुर्थी के दिन गणेश की प्रतिमा को घरों में स्थापित कर नौ दिनों तक पूजन किया जाता है। बड़ी संख्या में आसपास के लोग दर्शन करने पहुँचते हैं। नौ दिन बाद गानों और बाजों के साथ गणेश प्रतिमा को किसी तालाब इत्यादि जल में विसर्जित करने की परम्परा है। हालांकि मौजूदा दौर में मूर्तियों को मिट्टी में विसर्जित करने की सलाह ज्योतिषियों द्वारा दी जा रही है। इस बार यानि 2022 में गणेश चतुर्थी की शुरुआत 31 अगस्त से हो रही है। 30 अगस्त, मंगलवार दोपहर 3 बजकर 33 मिनट  पर चतुर्थी तिथि शुरू होगी और 31 अगस्त दोपहर 3 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगा। उदयातिथि के आधार पर गणेश चतुर्थी का व्रत 31 अगस्त को रखा जाएगा। इस दिन गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त 11 बजकर 5 मिनट से दोपहर 1 बजकर 38 मिनट तक है। गणेश चतुर्थी के दिन घर में गणपति बप्पा की स्था...

षष्ठी के दिन हल से जोती गई वस्‍तुओं का सेवन नहीें करतीं महिलाएं

चित्र
आस्था। भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि को कृष्ण के बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था, इस साल यानि 2022 में हल छठ व्रत 17 अगस्‍त को है। इस बार षष्‍ठी तिथि 16 अगस्‍त को रात 8 बजकर 17 मिनट से लग रही है और 17 अगस्त को यह रात 8 बजकर 24 मिनट तक रहेगी। उदया तिथि के हिसाब से 17 अगस्त को हल छठ व्रत रखने वाली महिलाओं को इस दिन सुबह स्नानादि करके संतान की लम्बी आयु की कामना करते हुए निर्जला व्रत का संकल्प लेना चाहिए। श्री कृष्ण के जन्म से दो तिथि पहले भाद्रपद के कृष्णपक्ष की षष्ठी को उनके बड़े भाई बलराम का जन्म हुआ था। हलषष्ठी का व्रत विशेषकर पुत्रवती महिलाएं करती हैं। भाद्र मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी को हल छठ क्यों कहते हैं, इस विषय में मान्यता है कि बलराम का प्रमुख शस्‍त्र हल था, इसलिए इसे हलछठ कहा जाता है। इस दिन किसान हल की भी पूजा करते हैं। इस व्रत का नियम है कि इस दिन व्रत करने वाली महिलाओं को हल से जोती गई वस्‍तुओं के अलावा गाय के दूध, दही और घी के सेवन की मनाही होती है।

वृद्धि योग में 18 अगस्त को मनायी जायेगी कृष्ण जन्माष्टमी

चित्र
आस्था। कृष्ण जन्माष्टमी को जन्माष्टमी वा गोकुलाष्टमी के रूप में हर साल मनाया जाता है, भागवान विष्णु के दस अवतारों में से आठवें और चौबीस अवतारों में से 22वें अवतार श्रीकृष्ण के जन्म के आनन्दोत्सव के लिये मनाया जाता है। श्रीकृष्ण का जन्म भाद्रपद कृष्ण अष्टमी को रोहिणी नक्षत्र में आधी रात के समय वृष के चंद्रमा में हुआ था। जन्माष्टमी के दिन भगवान कृष्ण के भक्त व्रत रखते हैं और रात 12 बजे उनके जन्म के साथ ही विधि विधान से उनका पूजन कर व्रत समाप्त करते हैं। इस वर्ष जन्‍माष्‍टमी और भी खास इसलिए है क्‍योंकि जन्‍माष्‍टमी के दिन वृद्धि योग लगा है। इसके अलावा इस दिन अभिजीत मुहूर्त भी रहेगा, जो कि दोपहर 12 बजकर 5 मिनट से 12 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। जन्‍माष्‍टमी पर ध्रुव योग भी बना है जो कि 18 अगस्‍त को 8 बजकर 41 मिनट से 19 अगस्‍त को रात 8 बजकर 59 मिनट तक रहेगा। वहीं वृद्धि योग 17 अगस्‍त को दोपहर 8 बजकर 56 मिनट से शुरू होकर 18 अगस्‍त को 8 बजकर 41 मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि जन्‍माष्‍टमी पर वृद्धि योग में पूजा करने से श्रद्धालु के घर की सुख, सम्पत्ति में वृद्धि होती है और मां लक्ष्‍मी प्रसन्न रहती है...

पंडित जी के फटे और गंदे कपड़े

चित्र
बोधकथा। एक पंडित जी को वेदों और शास्त्रों का बहुत ज्ञान था लेकिन वह बहुत ग़रीब थे। एक छोटी सी झोपड़ी में रहते थे और भिक्षा मांगकर जो मिल जाता उसी से अपना जीवनयापन करते थे। एक बार पंडित जी एक गांव में भिक्षा मांगने गये, उस समय उनके कपड़े बहुत गंदे थे और काफी जगह से फट भी गये थे। पंडित जी ने एक घर का दरवाजा खटखटाया तो सामने से एक व्यक्ति बाहर आया, उसने जब पंडित को फटे चिथड़े कपड़ों में देखा तो उसका मन घ्रणा से भर गया और उसने पंडित को धक्के मारकर घर से निकाल दिया, बोला-पता नहीं कहाँ से गंदा पागल चला आया है। पंडित जी दुखी मन से वापस चले आये। पंडित जी जब अपने घर वापस लौट रहा थे तो किसी अमीर आदमी की नजर पंडित जी के फटे कपड़ों पर पड़ी तो उसने दया दिखाई और पंडित को पहनने के लिए नये कपड़े दिये। अगले दिन पंडित फिर से उसी गाँव में उसी व्यक्ति के पास भिक्षा माँगने गया। व्यक्ति ने नये कपड़ों में पंडित को देखा और हाथ जोड़कर पंडित को अंदर बुलाया और बड़े आदर के साथ थाली में बहुत सारे व्यंजन खाने को दिए। पंडित जी ने एक भी टुकड़ा अपने मुंह में नहीं डाला और सारा खाना धीरे धीरे अपने कपड़ों पर डालने लगे औ...

एक माह तक मालामाल रहेंगे तीन राशि के जातक

चित्र
ज्योतिष। शास्त्रों में सूर्य को विशेष स्थान प्राप्त है। सूर्य से ही इस धरती पर जीवन है। यजुर्वेद ने "चक्षो सूर्यो जायत" कह कर सूर्य को भगवान का नेत्र माना है। छान्दोग्यपनिषद में सूर्य को प्रणव निरूपित कर उनकी ध्यान साधना से पुत्र प्राप्ति का लाभ बताया गया है। 17 अगस्त को कर्क राशि से निकलकर सिंह राशि में प्रवेश कर रहे हैं सूर्य। सूर्यदेव देर रात 1 बजकर पांच मिनट पर कर्क राशि से सिंह राशि में गोचर करेंगे। सूर्य इस राशि में 17 सितम्बर 2022, शुक्रवार देर रात 1 बजकर 2 मिनट तक रहेंगे और फिर गोचर करते हुए कन्या राशि में विराजमान हो जाएंगे। ग्रहों के राजा सूर्य के राशि परिवर्तन करने से कुछ राशि वालों के लिये शुभ योग और एक महीने तक मालामाल रहने के आसार हैं- मिथुन : इस राशि वालों की आर्थिक उन्नति होगी। धन संचय में सफल रहेंगे। पारिवारिक समस्याओं से मुक्ति मिलेगी। शुभ समाचार मिल सकते हैं। यह समय शुभ साबित होगा। इस दौरान आपको कार्यक्षेत्र में सफलता मिल सकती है। परिवार के सदस्यों का सहयोग मिलेगा।  सिंह : इस राशि के जातकों को शुभ समाचार मिलेगा। सरकारी नौकरी करने वाले जातकों के लिए समय उ...

त्योहारों का महीना भाद्रपद मास शुरू

चित्र
ज्योतिष। शास्त्र के अनुसार 12 अगस्त 2022 दिन शुक्रवार को प्रात: 7 बजकर 5 मिनट से सावन माह समाप्त होने के साथ भाद्रपद महीने की शुरुआत हो गयी है। भाद्रपद महीना चातुर्मास का दूसरा माह है। इस भाद्रपद महीने में श्री​कृष्ण जन्माष्टमी 18 अगस्त, गणेश चतुर्थी, राधा अष्टमी, अनंत चतुर्दशी, कजरी तीज, भाद्रपद अमावस्या, भाद्रपद पूर्णिमा, प्रदोष व्रत व मासिक शिवरात्रि  जैसे व्रत और त्योहार पड़ रहे हैं। मान्यता है कि भाद्रपद पूर्णिमा के दिन गंगा या नर्मदा जैसी पवित्र नदी में स्नान करने से भक्तों को भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन सत्यनारायण पूजा आयोजित की जाती है। इस दिन व्रत रखने वाले भक्तों के लिए अनाज, दालें, नमक खाना वर्जित है। भाद्रपद पूर्णिमा का दिन ‘महा मृत्युंजय हवन’ करने की भी परम्परा है। भाद्रपद पूर्णिमा के दिन लोग अम्बा देवी मंदिर में देवी को प्रसन्न करने के लिए लोक नृत्य करते हैं ताकि श्रद्धालुओं को अच्छा स्वास्थ्य और समृद्धि मिले। भाद्रपद माह में गुड़, दही और उससे बनी चीजों का सेवन नुकसानदायक माना गया है क्योंकि इससे पेट सम्बन्धी समस्याएं हो सकती हैं। भाद्र...

बारिश की भविष्यवाणी करने वाला मंदिर

चित्र
लखनऊ। कानपुर स्थित बेहटा गांव में भगवान जगन्नाथ का मंदिर भीतरगांव विकासखंड से सिर्फ 3 किलोमीटर की दूरी पर है। यह मंदिर बारिश की भविष्यवाणी पहले ही कर देता है। बारिश होने के 6 से 7 दिन पहले से ही इस मंदिर की छत से पानी की बूंदें टपकने लगती हैं। लोग बताते हैं कि जिस साइज की बूंद होती है, उसी तरह की बारिश होती है। यह मंदिर काफी प्रसिद्ध है और यहां दूर-दूर से लोग दर्शन करते आते हैं। जैसे-जैसे बारिश खत्म होती जाती है, वैसे-वैसे मंदिर की छत अंदर से पूरी तरह सूख जाती है, मंदिर के अंदर भगवान जगन्नाथ की मूर्ति है। इस मूर्ति में विष्णु भगवान के 24 अवतार देखे जा सकते हैं, इन 24 अवतारों में कलियुग में अवतार लेने वाले कल्कि भगवान की भी मूर्ति मंदिर में मौजूद है। इस मंदिर के गुम्बद पर एक चक्र लगा हुआ है जिसकी वजह से आज तक मंदिर और इसके आसपास आकाशीय बिजली नहीं गिरी है। बता दें कि इस मंदिर के बारे में जानकारी नहीं है कि कब और किसने बनवाया, लेकिन मंदिर में कुछ ऐसे निशान मौजूद हैं, जिनसे पता चलता है कि यह मंदिर सम्राट हर्षवर्धन के समय का है। हालाँकि इसके अलावा मंदिर में उपस्थित अयागपट्ट के आधार पर कई इ...

हर एक पर्वत पर माणिक नहीं होते

चित्र
सुभाषित शैले शैले न माणिक्यं मौक्तिकं न गजे-गजे। साधवो न हि सर्वत्र चन्दनं न वने-वने। यानि हर एक पर्वत पर माणिक नहीं होते, हर एक हाथी में गंडस्थल में मोती नहीं होते साधु सर्वत्र नहीं होते, हर एक वन में चंदन नहीं होता। उसी तरह दुनिया में भली चीजें या लोग बहुतायत में सभी जगह नहीं मिलते। ऋत्विक्पुरोहिताचार्यैर्मातुलातिथिसंश्रितैः। बालवृद्धातुरैर्वैधैर्ज्ञातिसम्बन्धिबांन्धवैः।। मातापितृभ्यां यामीभिर्भ्रात्रा पुत्रेण भार्यया। दुहित्रा दासवर्गेण विवादं न समाचरेत्। यानि यज्ञ करने वाले ब्राह्मण, पुरोहित, शिक्षा देने वाले आचार्य, अतिथि, माता-पिता, मामा आदि सगे संबंधी, भाई-बहन, पुत्र-पुत्री, पत्नी, पुत्रवधू, दामाद, गृह सेवक यानि नौकर से कभी वाद-विवाद नहीं करना चाहिए। 

ईर्ष्या का फल

चित्र
सुविचार। ईर्ष्या का फल ईर्ष्या करने वाले को ही भोगना पड़ता है। ईर्ष्या मृत्यु का ही रूप है। जिस प्रकार मृत्यु मन को मूर्छित कर देती है, सगे-सम्बन्धियों की पहचान का ज्ञान नहीं रहने देती, वैसे ही ईर्ष्या भी मन को मूर्छित कर देती है। जो ईर्ष्या रूपी रोग में फंसे रहते हैं वह अपने जीवन और आयु का हृास करते रहते हैं। उनकी विचारशक्ति नष्ट हो जाती है। मन का कार्य है विचार करना, विवेक द्वारा हिताहित और भले-बुरे की परख करना, आत्मबोध करना। जिस मन में ईर्ष्या में आसन लगा लिया है, उसे और क्या सूझेगा। ईर्ष्या के कारण उस विवेक बुद्धि का नाश हो जायेगा, जिसके कारण मनुष्य, मनुष्य कहलाता है। जब मनुष्य तत्व का आधार ही लुप्त हो गया, तब उसके मरने में संदेह ही क्या रहा। ईर्ष्या एक ऐसा शब्द है जो मानव के खुद के जीवन को तो तहस-नहस करता है औरों के जीवन में भी खलबली मचाता है। यदि आप किसी को सुख या खुशी नहीं दे सकते तो कम से कम दूसरों के सुख और खुशी देखकर जलिए मत। ईर्ष्यावश दूसरों पर क्रोध करते समय मन जिह्वा तथा मुख मलिन होते हैं।

दूसरों का भला करें

चित्र
बोधकथा। एक बार की बात है-राजा ने कैदी को मौत की सजा सुनाई। सजा सुनकर कैदी राजा को गालियां देने लगा। कैदी दरबार के आखिरी कोने में खड़ा था। इसलिए उसकी गालियां बादशाह को सुनाई नहीं पड़ रहीं थीं। इसलिए राजा ने अपने सलाहकार से पूछा कि वह क्या कह रहा है? इस पर सलाहकार ने बताया कि महाराज कैदी कह रहा है कि वे लोग कितने अच्छे होते हैं जो अपने क्रोध को पी जाते हैं और दूसरों को क्षमा कर देते हैं। यह सुनकर बादशाह को दया आ गई और उसने कैदी को माफ कर दिया, लेकिन दरबारियों में एक व्यक्ति था जो सलाहकार से जलता था। उसने कहा कि महाराज, वजीर ने आपको गलत बताया है, यह व्यक्ति आपको गंदी-गंदी गालियां दे रहा है, आप इसको माफ मत करिए, उसकी बात सुनकर बादशाह गुस्सा हो गये और दरबारी से बोला- मुझे सलाहकार की बात ही सही लगी। क्योंकि इसने झूठ भी बोला है तो किसी की भलाई के लिए। सलाहकार के अंदर भलाई करने की हिम्मत तो है। जबकि तुम दरबार में रहने के योग्य नहीं हो, तुम्हें तुरंत बेदखल किया जाता है। यानि कि जो दूसरों की भलाई के लिये सोचता है, उसका अपने आप भला हो जाता है।

राजर्षि रणंजय की पुण्यतिथि पर किया हवन

चित्र
लखनऊ। अमेठी जिले में शुक्रवार को राजपरिवार अमेठी से जुड़े शैक्षणिक संस्थाओं में राजर्षि रणंजय सिंह की 34वीं पुण्यतिथि पर वैदिक यज्ञ-हवन आयोजित किया गया। आरआरपीजी कालेज के प्राचार्य प्रो. पी.के. श्रीवास्तव ने राजर्षि के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि राजर्षि ने वैदिक धर्म प्रचार, शिक्षा प्रसार और समाज सुधार को अपने जीवन का उद्देश्य बनाया। समाज के प्रत्येक व्यक्ति को छल-कपट छोडक़र अपने बुद्धि और ज्ञान का प्रयोग सकारात्मक दिशा में करना चाहिए। यज्ञ में पुरोहित के रूप में महाविद्यालय के अवकाश प्राप्त शिक्षक डा.ज्वलन्त कुमार शास्त्री ने राजर्षि के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि एक राजा होते हुए इतना सामान्य जीवन जीना सामान्य बात नहीं है। ऐसा कोई ऋषि ही कर सकता है इसीलिए उन्हें राजर्षि की उपाधि प्रदान की गयी थी। कार्यक्रम में डा. सुभाष सिंह, डा. लाजो पाण्डेय, डा. उमेश सिंह, डा. ओम प्रकाश त्रिपाठी, डा. सुरेन्द्र प्रताप यादव, डा. पवन कुमार पाण्डेय, डा. अरविन्द कुमार सिंह, डा. ज्ञानेन्द्र प्रताप सिंह, धर्मेन्द्र सिंह, राजकुमार यादव, डा. राम सुन्दर यादव, डा. मानवेन्द्र प्र...

श्रावणी पूर्णिमा को जनेऊ धारण करने का उत्तम समय

चित्र
  आस्था। सावन माह की पूर्णिमा को रक्षाबंधन का त्योहार मनाया जाता है। इस साल यानि 2022 में सावन पूर्णिमा 11 अगस्त को है। कुल जानकार 12 अगस्त को रक्षाबंधन मनाने की सलाह दे रहे हैं। शास्त्रों के अनुसार श्रावण पूर्णिमा के दिन ब्राह्मण मन, वचन और कर्म की पवित्रता का संकल्प लेते हैं और पुराने जनेऊ का त्याग कर नया जनेऊ धारण करते हैं। पंडित कामता प्रसाद मिश्र बताते हैं कि सनातन धर्म में विवाह और मुंडन जैसे कुल 16 संस्कार होते हैं, इन्हीं में जनेऊ या यज्ञोपवीत भी एक संस्कार है। यह एक ऐसा पवित्र सूत होता है, जिसे कंधे के ऊपर और दाईं भुजा के नीचे पहना जाता है। जनेऊ में तीन-सूत्र त्रिमूर्ति ब्रह्मा, विष्णु और महेश के प्रतीक, देवऋण, पितृऋण और ऋषिऋण के प्रतीक, सत्व, रज और तम के प्रतीक होते हैं। साथ ही ये तीन सूत्र गायत्री मंत्र के तीन चरणों के प्रतीक हैं तो तीन आश्रमों के प्रतीक भी। जनेऊ के एक-एक तार में तीन-तीन तार होते हैं। अत: कुल तारों की संख्‍या नौ होती है। इनमें एक मुख, दो नासिका, दो आंख, दो कान, मल और मूत्र के दो द्वारा मिलाकर कुल नौ होते हैं। यानि हम मुख से अच्छा बोले और खाएं, आंखों से ...

कर्म पर विश्वास

चित्र
  बोधकथा। एक व्यक्ति के पास धान, सब्जी की खेती, बगीचा और फैक्टरी थी, उसका निधन हो गया। इकलौते बेटे ने काम संभाला तो नुकसान होने लगा। तंत्र–मंत्र किया, लेकिन हालात नहीं सुधरे। एक दिन गांव में एक महात्मा आए, बेटे ने दुखड़ा सुनाया। महात्मा ने दिनचर्या पूछी। फिर एक पोटली देते हुए महात्मा ने कहा कि इसमें रखे सामान को देखे बगैर सूर्योदय से पहले सब जगह छींटना, पुत्र ने यही किया। दो-चार माह बाद उसे खेती और व्यापार में फायदा हुआ। आठ महीने बाद महात्मा गांव आए तो बेटे ने बताया कि पहले वह सुबह आठ बजे सोकर उठता था, आलस से नुकसान हो रहा था। बाद में पता चला कि पोटली में सिर्फ मिट्टी थी, आलस खत्म करने के लिये महात्मा ने बेटे को दिया था।

अनोखे मत्यगजेंद्र मंदिर में हैं चार शिवलिंग

चित्र
आस्था। उत्तर प्रदेश के चित्रकूट में कई धार्मिक स्थान है, जहां घूमने व दर्शन करने से मन प्रफुल्लित हो जाता है। भगवान राम की तपोस्थली चित्रकूट के रामघाट के पास स्थित मत्यगजेंद्र (शिवलिंग) का वर्णन शिवपुराण में भी है। विशेष बात यह है कि मत्यगजेंद्र मंदिर में चार शिवलिंग हैं, ऐसा विश्व में कहीं और नहीं है, इसलिये इसे अनोखा मंदिर कहा जाता है। सावन का पवित्र महीना चल रहा है, ऐेसे में चित्रकूट स्थित मत्यगजेंद्र मंदिर का जिक्र करना जरूरी है। सावन के सोमवार पर मत्यगजेंद्र मंदिर पर शिवभक्तों का जमावड़ा रहता है। आसपास की पवित्र नदियों और निकट बह रही मंदाकिनी नदी के जल से श्रद्धालु भगवान ​शंकर अभिषेक करते हैं। सोमवार को विशेष पूजन के लिए तड़के से ही लोग मंदिर प्रांगण में जुट जाते हैं। मत्यगजेंद्र मंदिर पवित्र मंदाकिनी नदी के किनारे रामघाट पर स्थित है। भगवान शिव के स्वरूप मत्यगजेंद्र को चित्रकूट का क्षेत्रपाल कहा जाता है, इसलिए बिना इनके दर्शन के चित्रकूट की यात्रा फलित नहीं होती है। शिवपुराण में निम्न श्लोक का उल्लेख है-             ...

सावन के अंतिम सोमवार पर इच्छा पूरी करेंगे महादेव

चित्र
आस्था। सनातन ऋषियों ने जिस परम्परा को अपनाया है वह वास्तव में अद्भुत है। किस देवी और देवता को कौन सा पुष्प और कौन सा भोग पसंद है, और कौन सा पूजन-हवन करने से पर्यावरण सुगंधमय रहेगा आदि बातों को अच्छे से अध्ययन किया और उसे जीवनशैली में शामिल किया। यहां बात हो रही है पवित्र माह सावन और देवों के देव महादेव की। बता दें कि 2022 में सावन के तीन पवित्र सोमवार बीत चुके हैं अब अंतिम सोमवार 8 अगस्त को है। सावन के अंतिम सोमवार को बेलपत्र के पौधे को जल दें और फिर गंध, धतूरा, बेलपत्र, फूल और अक्षत को बेलपत्र की जड़ में रख दें। ऐसा करने से घर में बच्चों का स्वास्थ्य सही रहता है और निसंतान दम्पति को संतान सुख प्राप्त होता है। साथ ही ऐसा करने से परिवार में सुख-शांति भी बनी रहती है। बेलपत्र के वृक्ष के नीचे अगर कोई व्यक्ति किसी शिवभक्त को मिठाई, खीर, अन्न, जल, घी आदि चीजों का दान करता है और गरीब व जरूरतमंद को भोजन कराता है तो उस पर हमेशा महादेव की कृपा बनी रहती है और दरिद्रता का नाश होता है। उस व्यक्ति को कभी भी धन-धान्य की कमी नहीं होती। बेलपत्र का पेड़ शिव पूजन के साथ-साथ औषधि के काम में भी आता है। अ...

गोवा प्रकरण पर उच्च न्यायालय के फैसले से भाजपाइयों में हर्ष

चित्र
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अमेठी के भेंटुआ के कोरारी लक्ष्छन शाह में पूर्व जिला पंचायत सदस्य विनोद सिंह के आवास पर कार्यकर्ताओं की बैठक भाजपा नेता अमरेंद्र सिंह पिंटू की अध्यक्षता में हुई। बैठक में गोवा से जुड़े विवाद में दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले पर खुशी जताई गई। अमेठी सांसद स्मृति ईरानी के पक्ष में फैसला आने पर एक मत से भाजपाइयो ने स्वागत किया। बैठक में अमेठी सांसद की बढ़ती लोकप्रियता को खराब करने की कांग्रेसयों द्वारा जो साजिश की गई उसके खिलाफ भाजपा नेता अमरेंद्र सिंह पिन्टू ने कहा कि यह कांग्रेस नेता सोनिया और राहुल के खिलाफ चल रही जांच की बौखलाहट है। अगर दोबारा काग्रेसियों द्वारा ऐसी कोशिश की गई तो अमेठी के लोग चुप नहीं बैठेंगे। बैठक में विनोद सिंह, विजयपाल उपाध्याय,  महेन्द्र सिंह, राजू सिंह, शेर बहादुर सिंह, सरताज राईन, पप्पू सिंह, लल्लू तिवारी, दयाशंकर यादव समेत कई भाजपाई मौजूद रहे। बता दें कि दिल्ली उच्च न्यायालय ने बड़ी टिप्पणी करते हुए कहा कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और उनकी बेटी उस रेस्टोरेंट की मालिक नहीं हैं और न ही उन्होंने कभी उस रेस्टोरेंट या बार के सम्बन्ध में किस...

पांच राशियों के लोग होंगे मालामाल

चित्र
ज्योतिष। शास्त्रों के अनुसार शुक्र का सम्बन्ध भौतिक सुविधाओं के साथ ही प्रेम और सौंदर्य से माना जाता है। इनके राशि परिवर्तन करने से कई जातकों के जीवन में शुभ प्रभाव पड़ते हैं। शुक्र का कर्क राशि में गोचर 7 अगस्त, रविवार को होने जा रहा है और 31 अगस्त तक शुक्र इसी राशि में रहेंगे। राखी से पहले ही शुक्र राशि परिवर्तन करके कई राशियों को लाभ और खुशियां देने वाले योग बन रहे हैं। शुक्र ग्रह को प्रेम व अन्य भौतिक सुखों के कारक के रूप में जाना जाता है। शुक्र ग्रह के राशि परिवर्तन करने से सभी राशियों पर इसका असर देखा जा सकता है- मेष : इस राशि के जातक वाहन खरीदना चाहते थे उनका सपना शुक्र ग्रह अगस्त माह में पूरा कर सकते हैं। चतुर्थ भाव में शुक्र ग्रह का गोचर होगा। यह भाव जातक की सुख-सुविधाओं, वाहन, माता आदि का कारक भाव माना जाता है। इस भाव में शुक्र के गोचर से जातक के जीवन में सकारात्मकता देखने को मिल सकती है। मिथुन : अगस्त माह में जातक की वाणी में शुक्र देव मिठास घोल सकते हैं जिससे सामाजिक स्तर पर जातक की ख्याति बढ़ सकती है। इस राशि से द्वितीय भाव में शुक्र ग्रह संचार करेंगे इसलिए पारिवारिक सु...

पुत्रदा एकादशी, सावन का चौथा सोमवार व रवि योग का दुर्लभ संयोग

चित्र
आस्था। सावन का चौथा और अंतिम सोमवार 8 अगस्त 2022 को है। इस दिन सावन शुक्ल पक्ष की एकादशी यानि सावन पुत्रदा एकदाशी भी है। वहीं श्रावण मास के आखिरी सोमवार पर रवि योग भी बनेगा। पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के साथ शंकर भगवान की कृपा भी प्राप्त होगी। बता दें कि सभी व्रतों में एकादशी का व्रत सबसे कठिन व्रतों में से एक है। मान्यता है कि एकादशी व्रत रखने से व्यक्ति के पाप नष्ट हो जाते हैं और मृत्यु के बाद उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है। हर माह के दोनों पक्षों में एकादशी आती है और सभी एकादशी का अपना अलग महत्व होता है। सावन के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित होता है। पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान सुख और पुत्र प्राप्ति की कामना करते हुए रखा जाता है। मान्यता है कि पुत्र या संतान सुख की कामना के लिए सच्चे मन और पूरी श्रद्धा के साथ पूजा पाठ और व्रत करने से भक्तों की मनोकामनाएं जरूर पूर्ण होती हैं। शास्त्रों के अनुसार सावन माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी के नाम से जाना जाता है। एकादशी तिथि की शुरुआत 7 अगस्त 2022 ...

चप्पल पहनकर बाइक चलाने पर हजारों का चालान

चित्र
लखनऊ। मौजूदा यातायात नियमों का उल्लंघन करने पर भारी जुर्माने का प्रावधान है। यातायात नियमों के उल्लंघन पर हजारों रुपयों तक का चालान कट सकता है। इसके साथ ही कुछ मामलों में जेल भी हो सकती है। यातायात नियम चिन्ह का मतलब होता है कि इस क्षेत्र में वाहन चलाने की एक लिमिट निर्धारित की गई है। इस क्षेत्र में वाहन चालक अपने वाहन को निर्धारित सीमा में ही चलाएँ। यह चिन्ह वाहन चालक को यह संकेत देता है कि उसे आगे जाकर बाईं या दाईं दिशा में मुडऩा है। ऐसा करने से चालान कटने से भी बच सकते हैं और साथ ही साथ सडक़ पर एक सुरक्षित यातायात का माहौल बन सकेगा, जो जरूरी भी है। लेकिन, कुछ यातायात नियम ऐसे होते हैं, जिनके बारे में आमतौर पर लोगों को जानकारी नहीं होती और वह अनजाने में ही उन यातायात नियमों का उल्लंघन कर जाते हैं- यातायात नियम के अनुसार स्लीपर्स या चप्पल पहनकर टू-व्हीलर नहीं चला सकते हैं, इसकी इजाजत नहीं है। मौजूदा मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार, टू व्हीलर चलाते करते समय पूरी तरह से बंद जूते ही पहनने जरूरी हैं। ऐसा नहीं करने पर कानून का उल्लंघन माना जाएगा और पकड़े जाने पर 1000 रुपये का जुर्माना लग सकता ह...

अद्भुत है नागों की कथा

चित्र
आस्था। श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नागपंचमी का पर्व मनाने की परम्परा है। इस बार यानि 2022 में नागपंचमी 2 अगस्त दिन मंगलवार को है। नागपंचमी के दिन श्रद्धालु नाग प्रजाति की विधि विधान से पूजा करते हैं। नागों को भी देवता माना गया है। नागों की बड़ी रुचिकर कथा प्रचलित है- शेषनाग : कद्रू और विनता दक्ष प्रजापति की पुत्रियां थीं और दोनों कश्यप ऋषि को ब्याही थीं। एक बार कश्यप मुनि ने प्रसन्न होकर अपनी दोनों पत्नियों से वरदान मांगने को कहा था। कद्रू ने एक सहस्र पराक्रमी सर्पों की मां बनने का वरदान मांगा और विनता ने केवल दो पुत्रों की मां बनने का ही वरदान मांगा। हालांकि, विनता ने कश्यप ऋषि से कहा था कि उनके दोनों पुत्र कदू्र के पुत्रों से अधिक शक्तिशाली, पराक्रमी और सुन्दर हों। कद्रू ने 1000 अंडे दिए और विनता ने केवल दो अंडे दिए। समय आने पर कद्रू के अंडों से 1000 सर्पों का जन्म हुआ। पुराणों में कई नागों खासकर वासुकी, शेष, पद्म, कंबल, कार कोटक, नागेश्वर, धृतराष्ट्र, शंख पाल, कालाख्य, तक्षक, पिंगल, महा नाग आदि का काफी वर्णन मिलता है। कदू्र के बेटों में सबसे पराक्रमी शेषनाग थे, इनका एक नाम ...

भक्तों को दर्शन देकर गायब हो जाता है स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर

चित्र
आस्था। सावन का पवित्र महीना चल रहा है, चहुंओर हरियाली होने से मन अनायास ही आनंदित रहता है। सावन माह में शिव मंदिरों के दर्शन करना, प्रमुख तीर्थों में जाना बहुत फलदायी होता है, इसलिए सावन महीने में देश के प्रमुख शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है, इनमें से कई मंदिर प्राचीन हैं और इनसे जुड़े रहस्यों के कारण दुनिया भर से लोग इनके दर्शन करने के लिए आते हैं। गुजरात के वडोदरा में एक ऐसा ही विश्वविख्यात मशहूर मंदिर स्तम्भेश्वर महादेव मंदिर समुद्र में स्थित है। मान्यता है कि इस मंदिर को भगवान शंकर के पुत्र कार्तिकेय ने स्थापित किया था। समुद्र के अंदर मौजूद यह मंदिर दिन में 2 बार पानी में डूब जाता है और फिर दिखने लगता है। दरअसल रोजाना इस समुद्र में जलस्तर इतना बढ़ जाता है कि मंदिर डूब जाता है और जलस्तर घटने पर मंदिर फिर से दिखने लगता है, यह घटना रोज सुबह और शाम को होती है। शिव मंदिर के समुद्र में डूबने और फिर से दिखने की इस घटना को श्रद्धालु समुद्र द्वारा शिव का अभिषेक करना कहते हैं। जब समुद्र का जलस्तर बढऩा शुरू होता है, उस समय कुछ देर के लिए मंदिर में श्रद्धालुओं का प्रवेश रोक ...