आयुष्मान योजना : 376 अस्पताल जांच के दायरे में
विचार : आयुष्मान भारत योजना में हो रही गड़बडिय़ों को दूर करने के लिए केंद्र सरकार कई कदम उठाने जा रही है। वह धोखाधड़ी कर पैसा बनाने वाले अस्पतालों के नाम नेम एंड शेम की श्रेणी में डालकर सार्वजनिक करेगी। ऐसे अस्पतालों के नाम वेबसाइट पर डाले जाएंगे। ये अस्पताल सिर्फ आयुष्मान भारत स्कीम से ही नहीं हटाए जाएंगे बल्कि बाकी सरकारी योजनाओं और प्राइवेट इंश्योरेंस के पैनलों से भी इन्हें बाहर किया जाएगा। इस योजना में धोखाधड़ी के 1200 मामले अब तक पकड़ में आए हैं और 376 अस्पताल जांच के दायरे में हैं। 97 अस्पतालों को अब तक पैनल से हटा दिया गया है और 6 अस्पतालों के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज हुई हैं।
अस्पतालों पर कार्रवाई करना बेहद जरूरी था क्योंकि पिछले कुछ समय से अनेक अस्पतालों ने इस योजना का मखौल बना दिया था। नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (एनएचए) की एंटी फ्रॉड यूनिट द्वारा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और झारखंड सहित कई राज्यों में आयुष्मान भारत स्कीम के तहत चल रही धोखाधड़ी के हैरतअंगेज मामले पकड़े गए हैं।आयुष्मान योजना की सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वास्तविक लाभार्थियों तक इसका लाभ पहुंचे। योजना का ढांचा ही ऐसा है कि इससे जुड़ी जानकारियां साधारण आदमी तक पहुंच नहीं पातीं। अगर गड़बड़ी करने वाले अस्पतालों के नाम वेबसाइट पर डाल भी दिए जाएं तो इसके बारे में कितने लोग जान पाएंगे। इसकी पूरी प्रक्रिया ही इसे इसके वास्तविक लाभार्थियों से दूर रखती है। अब जैसे इसका लाभ प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि लाभार्थी का नाम आयुष्मान भारत योजना की लिस्ट में हो। इस लिस्ट में अपना नाम देखने के दो तरीके हैं। एक तो यह कि इसकी वेबसाइट पर जाकर अपना नाम देखें या फिर एक खास हेल्पलाइन नंबर पर पता करें। यह काम शहरी पढ़ा-लिखा वर्ग तो कर सकता है पर अशिक्षित, ग्रामीण और गरीब वर्ग के लिए यह काम आसान नहीं है।
जिनके पास इंटरनेट या फोन नहीं है, उनके लिए यह पता करना ही कठिन है कि लिस्ट में उनका नाम है भी है या नहीं। फिर इसमें जो सूची बनी है, उसमें भी कई लोगों के नाम छूटे हुए हैं। उसमें नाम जुड़वाना भी एक गरीब आदमी के लिए आसान नहीं है। उसे यह भी बताने वाला कोई नहीं है कि कहां किस अधिकारी से मिले। अगर कोई संबंधित अधिकारी तक चला भी जाए तो इस बात की गारंटी नहीं है कि उसका काम हो ही जाएगा। यह योजना मुख्यत: समाज के एकदम कमजोर वर्ग के लिए बनाई गई है लेकिन इस बात का ध्यान ही नहीं रखा गया है कि दबा-कुचला वर्ग इसका इस्तेमाल कैसे करे। वैसे यह तमाम सरकारी योजनाओं की कॉमन बीमारी है। इन्हें बनाने वाले नौकरशाह मिडल क्लास के नजरिए से सारी योजना तैयार करते हैं, इसलिए वे जमीन पर ढंग से नहीं पहुंच पातीं और कई बार उनका फायदा समर्थ तबका उठा लेता है, जैसा कि आयुष्मान में भी हो रहा है।
अस्पतालों पर कार्रवाई करना बेहद जरूरी था क्योंकि पिछले कुछ समय से अनेक अस्पतालों ने इस योजना का मखौल बना दिया था। नेशनल हेल्थ अथॉरिटी (एनएचए) की एंटी फ्रॉड यूनिट द्वारा उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और झारखंड सहित कई राज्यों में आयुष्मान भारत स्कीम के तहत चल रही धोखाधड़ी के हैरतअंगेज मामले पकड़े गए हैं।आयुष्मान योजना की सबसे बड़ी चुनौती यही है कि वास्तविक लाभार्थियों तक इसका लाभ पहुंचे। योजना का ढांचा ही ऐसा है कि इससे जुड़ी जानकारियां साधारण आदमी तक पहुंच नहीं पातीं। अगर गड़बड़ी करने वाले अस्पतालों के नाम वेबसाइट पर डाल भी दिए जाएं तो इसके बारे में कितने लोग जान पाएंगे। इसकी पूरी प्रक्रिया ही इसे इसके वास्तविक लाभार्थियों से दूर रखती है। अब जैसे इसका लाभ प्राप्त करने के लिए जरूरी है कि लाभार्थी का नाम आयुष्मान भारत योजना की लिस्ट में हो। इस लिस्ट में अपना नाम देखने के दो तरीके हैं। एक तो यह कि इसकी वेबसाइट पर जाकर अपना नाम देखें या फिर एक खास हेल्पलाइन नंबर पर पता करें। यह काम शहरी पढ़ा-लिखा वर्ग तो कर सकता है पर अशिक्षित, ग्रामीण और गरीब वर्ग के लिए यह काम आसान नहीं है।
जिनके पास इंटरनेट या फोन नहीं है, उनके लिए यह पता करना ही कठिन है कि लिस्ट में उनका नाम है भी है या नहीं। फिर इसमें जो सूची बनी है, उसमें भी कई लोगों के नाम छूटे हुए हैं। उसमें नाम जुड़वाना भी एक गरीब आदमी के लिए आसान नहीं है। उसे यह भी बताने वाला कोई नहीं है कि कहां किस अधिकारी से मिले। अगर कोई संबंधित अधिकारी तक चला भी जाए तो इस बात की गारंटी नहीं है कि उसका काम हो ही जाएगा। यह योजना मुख्यत: समाज के एकदम कमजोर वर्ग के लिए बनाई गई है लेकिन इस बात का ध्यान ही नहीं रखा गया है कि दबा-कुचला वर्ग इसका इस्तेमाल कैसे करे। वैसे यह तमाम सरकारी योजनाओं की कॉमन बीमारी है। इन्हें बनाने वाले नौकरशाह मिडल क्लास के नजरिए से सारी योजना तैयार करते हैं, इसलिए वे जमीन पर ढंग से नहीं पहुंच पातीं और कई बार उनका फायदा समर्थ तबका उठा लेता है, जैसा कि आयुष्मान में भी हो रहा है।
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